चंबा में उदासी, न कभी MP न प्रत्याशी
punjabkesari.in Sunday, Apr 14, 2019 - 10:32 AM (IST)
चंबा (विनोद): विकास की दृष्टि से प्रदेश के साथ-साथ देश के कई जिलों से पिछड़ा चंबा जिला राजनीतिक दृष्टि से भी इस कदर पिछड़ा हुआ है कि अब तक वह न तो लोकसभा के लिए और न ही राज्यसभा के लिए अपनी मजबूत दावेदारी जता सका है। इसका मुख्य कारण यह है कि पड़ोसी राज्य कांगड़ा की जनसंख्या के साथ-साथ वहां के विधानसभा क्षेत्रों की संख्या के आगे चम्बा जिला कभी भी नहीं ठहरता है। यही वजह है कि पूरा देश लोकसभा के चुनावोंं के जश्न में डूबा हुआ है लेकिन चम्बा जिला में कोई चुनावी गर्माहट नजर नहीं आ रही। यहां तक कि जिला के नेता भी आराम फरमा रहे हैं क्योंकि जिला चम्बा से प्रत्याशी नहीं होने की वजह से नेतागण भी आराम फरमाने या फिर जिला से बाहर रहने में अधिक रुचि दिखा रहे हैं। साफ शब्दों में कहा जाए तो जिला चम्बा के पांचों विधानसभा क्षेत्र लोकसभा चुनावों के लिए महज वोट बैंक ही हैं। इसके अलावा अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने चम्बा की इस हैसियत को बढ़ाने में कोई रुचि नहीं दिखाई है। यहां तक कि जब भी किसी राजनीतिक दल का राष्ट्र स्तरीय नेता कांगड़ा-चम्बा में रैली करने आता है तो उसमें भी जिला कांगड़ा को प्राथमिकता दी जाती है।
उपेक्षा की यह वजह
जिला चंबा में 5 विधानसभा क्षेत्र हैं लेकिन इसे राजनीतिक दृष्टि से कमजोर करने की ऐसी साजिश रची गई है कि प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा के साथ इसे जोड़ा गया है, साथ ही इसके जनजातीय विधानसभा क्षेत्र भरमौर-पांगी को कांगड़ा-चम्बा संसदीय क्षेत्र से तोड़ कर मंडी संसदीय क्षेत्र के साथ मिलाया गया है। भरमौर-पांगी के मतदाताओं को अपने सांसद के दर्शन करने के लिए अक्सर लंबा इंतजार करना पड़ता है। कांगड़ा और मंडी जिले बड़े होने के चलते प्रत्याशी भी यहीं से देते हैं राजनीतिक दल।
राज्य सभा में भी मौका नहीं
कांगड़ा-चम्बा संसदीय क्षेत्र का हिस्सा होने के चलते चम्बा को वोटों की संख्या के आधार पर तोल कर सभी राजनीतिक दल अब तक जिला चम्बा से लोकसभा चुनावों के लिए अपना प्रत्याशी खड़ा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए हैं लेकिन राज्यसभा का पद भी जिला चम्बा को कभी नहीं मिला। एक तरफ जहां लोकसभा का सांसद कांगड़ा से चुना जाता है तो वहीं राज्यसभा का पद भी कांगड़ा जिला की झोली में ही जाता है। अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने राज्यसभा के लिए भी जिला चम्बा से किसी को मौका नहीं दिया है।
सांसद निधि में भी भेदभाव सांसद निधि की बात की जाए तो इस मामले में भी
जिला चम्बा के साथ भेदभाव होता रहा है। चम्बा के नाम पर औपचारिकता के तौर पर ही सांसद निधि का पैसा जारी होता है जबकि जिला कांगड़ा के लिए दिल खोलकर सांसद निधि खर्च की जाती है।
साढ़े 3 लाख से अधिक मतदाता
2011 की मतगणना के अनुसार जिला चम्बा की आबादी साढ़े 5 लाख है और वर्ततान में करीब साढ़े 3 लाख से अधिक मतदाता अबकी बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। ये मतदाता कांगड़ा-चम्बा व मंडी संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए सांसदों के चुनाव में अपनी सहभागिता मतदान करने के रूप में निभाएंगे।
पांगी के लोग कर चुके हैं बायकाट का ऐलान
पांगी के विकास को लेकर पांगी वासियों ने खुद को उपेक्षित महसूस किया है, इसी के चलते इस बार पांगी के लोगों ने कड़ा रुख अपनाया हुआ है। भरमौर के साथ-साथ चम्बा के भी कई गांवों में अब विकास कार्यों को लेकर हो रही देरी के प्रति रोष देखने को मिल रहा है। लोग अब किसी भी प्रकार के आश्वासनों के धागों में बंधने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं। वहीं चम्बा जिला की देश के सबसे बड़े लोकतंत्र में हिस्सा देरी महज वोट बैंक के रूप में होने की बात को लेकर जिला के लोगों में रोष दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
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