नाभा की मैक्सिमम सिक्योरिटी जिला जेल आतंकवादियों/गैंगस्टरों के लिए सब से सुरक्षित

punjabkesari.in Thursday, Apr 11, 2019 - 09:54 AM (IST)

नाभा(जैन): 27 नवम्बर 2016 को मैक्सिमम सिक्योरिटी जेल में हुई भारी गोलीबारी दौरान फिल्मी स्टाइल में खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के प्रमुख हरमिंदर सिंह मिंटू, गैंगस्टर हरजिंदर विक्की गौंडर, कुलप्रीत सिंह नीटा दयोल समेत 6 हवालाती को 4 वाहनों में आए अनेक बदमाश सिर्फ 12 मिनटों में ही छुड़ा कर ले गए थे। मिंटू को दिल्ली पुलिस ने 24 घंटों में गिरफ्तार कर लिया था परन्तु पिछले साल उसकी मौत हो गई थी, जिसके साथ मिंटू का खालिस्तानी राष्ट्रपति बनने का स्वप्न अधूरा ही रह गया था, जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राहर की सांस ली थी। वह 20 दिसम्बर 2014 से लेकर 27 नवंबर 2016 तक यहां जेल में रहा। मिंटू को 2007 से 2013 तक आई.एस.आई. से 7 लाख रुपए मिले थे। मिंटू कहा करता था कि नाभा जेल में मोबाइल नैटवर्क सक्रिय होने के साथ यह जेल सब से सुरक्षित है। मिंटू के खिलाफ 19 पुलिस केस दर्ज हुए थे, जिन में से 5 मामलों में वह बरी हुआ। 

5 साल पहले थाईलैंड से मिंटू को गिरफ्तार करके यहां लाया गया था। उसने जेल में से ही कैनेडा, इंगलैंड, पाकिस्तान और हांगकांग में बैठे आतंकवादियों को एकजुट किया था और ङ्क्षहदू संगठनों के नेताओं के कत्ल की साजिश में शामिल था, जिस कारण विदेशों में से फंङ्क्षडग होती थी। जेल ब्रेक अध्याय में शामिल विक्की गौंडर पुलिस मुकाबले में मारा गया था परन्तु पुलिस जेल ब्रेक के 28 महीनों 14 दिनों बाद भी फरार आतंकवादी कश्मीर सिंह गलवड्ढी का सुराग नहीं लगा सकी। बड़े-बड़े दावों के बावजूद इस जेल के जैमर को पिछले 13 सालों से विवादों में रहने के बावजूद अभी तक 4जी डाटा मोबाइल अनुसार अपडेट नहीं किया जा सका, जिस पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए। 

जेल ब्रेक के बाद ए.डी.जी.पी. स्तर के अफसरों की जांच टीम की जांच में सामने आया था कि 55 लाख रुपए की डील होने के बाद बाहर से मुहैया करवाए गए 4जी सिम को इस्तेमाल करके स्काइप पर जेल में बंद गैंगस्टर/आतंकवादी बाहरी साथियों के साथ कहानी करते थे। यही कारण था कि जेल ब्रेक से 12 घंटे पहले जेल में बंद गैंगस्टरों और यू.पी. में से गिरफ्तार पिंदा के बीच स्काइप और वीडियो कान्फ्रैंसिंग के द्वारा 18 मिनट बातचीत हुई थी। यह पिंदा नाभा सिविल अस्पताल काम्पलैक्स में से जेल ब्रेक से कई महीने पहले पुलिस कर्मचारियों की आंखों में मिर्ची डाल कर हथकडिय़ों समेत फरार हो गया था परन्तु समय की सरकारों ने किसी के खिलाफ एक्शन नहीं लिया। 

पहली बार 21 सितम्बर 2016 को दया सिंह लाहौरिया आतंकवादी (जो कि पूर्व केंद्रीय मंत्री मिर्धा के भतीजे को अगवा करने और मङ्क्षनदरजीत सिंह बिट्टा पर कातिलाना हमले की साजिश में शामिल था) से इस जेल में मोबाइल, सिम कार्ड और बैटरी बरामद हुई थी। पिछले 12 सालों के दौरान लगभग 300 मोबाइल जेल काम्पलैक्स में से मिले परन्तु पुलिस मामले सिर्फ दिखावा बन कर रह गए। विदेशी कैदी/हवालती भी नाभा जेल में ही रखे जाते हैं। नाभा जेल में अनेक बारी खूनी झड़पें हुईं। एक बारी सैंट्रल बार टावर पर तैनात कैदी ने खुदकुशी कर ली थी। नई जिला जेल में तस्कर भी बंद हैं। नशीले पदार्थ धड़ल्ले के साथ इस्तेमाल होते हैं। इस रियासती शहर में ही तीसरी जेल ओपन कृषि जेल है जो 10 अक्तूबर 1976 को उस समय के जेल मंत्री यश जी ने कायम की थी।

इसी जेल में उम्रकैद की सजा भुगत रहे कैदी खुले आसमान के नीचे जिंदगी व्यतीत करते हैं। मंत्रियों की सिफारिशों पर ही कैदी और जेलों में से इस जेल में तबदील किए जाते हैं, जो खेती करते हैं। सुरक्षा जेल और नई जेल दोनों का विवादों के साथ पुराना रिश्ता है परन्तु सरकार की तरफ से न तो जेल ब्रेक के बाद अभी तक जैमर को 4जी डाटा मोबाइल या 5जी डाटा अनुसार तबदील किया गया है और न ही गैंगस्टरों/आतंकवादियों के आपसी रिश्ते तोडऩे के लिए प्रयत्न किए गए हैं। मजे की बात है कि सिक्योरिटी जेल में सुपरिंटैंडैंट लगने को भी कोई तैयार नहीं है। लोग कहते सुने जाते हैं कि जब तक अधिकारियों/कर्मचारियों की स्क्रीङ्क्षनग नहीं की जाती मोबाइल/नशों की रोकथाम नहीं होगी। 


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swetha

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