अंबा माई के इस मंदिर से जुड़ा है ऐसा रहस्य, सुनकर उड़ जाएंगे होश

punjabkesari.in Wednesday, Apr 10, 2019 - 04:10 PM (IST)

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देशभर में बहुत से देवी मंदिर स्थापित हैं, जिनसे जुड़ी अलग-अलग मान्यताएं और कथाएं प्रचलित हैं। आज हम आपको नवरात्रि के खास मौके पर एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित मां अंबा जी के नाम से प्रसिद्ध है। हिंदू शास्त्रों की मानें तो देवी अंबा की ही मेहरबानी से ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण, विष्णु जी पालन और भगवान शंकर जी संहार करने की शक्ति रखते हैं। तो चलिए जानते हैं इस मंदिर के बारे में, कहां है ये मंदिर और इससे जुड़ा वो कौन सा रहस्य है जो आपके होश उड़ा सकता है। बता दें जिस मंदिर की बात हम कर रहे हैं वो सतपुड़ा के घने जंगलों में बसा हुआ है, जिससे देश के तमाम लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। इसका कारण है, इससे जुड़ी पौराणिक कथा।
PunjabKesari, Ambadevi Temple at Madhya pradesh
पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान सती के अग्नि में कूद जाने के बाद भगवान शंकर कोध्रित होकर उन्हें लेकर ब्रह्मांड में घूमने लगे थे तब इस स्थान पर उनकी चुनरी गिरी थी। इसलिए इसे चुनरी वाला दरबार के नाम से भी जाना जाता है। बताया जाता है कि मंदिर के प्रमुख पुजारी को यहां खुदाई के दौरान कितनी बार यहां से लाल चुनरी प्राप्त हुई है। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में धारूड़ ग्राम पंचायत में अंबा माई का मंदिर परम पवित्र सतपुड़ा पर अपनी वैभवशाली सत्त लिए सुशोभित है। कहा जाता है कि इस मंदिर की खोज एक मनिहार बेचने वाले मंगला नामक महिला ने की थी। जिसे आज भी लोग इसे मंगला मां कहते हैं। कुछ किवदंतियों के अनुसार मंगला ने अंबा देवी की कृपा करके विभिन्न तरह की सिद्धियां प्राप्त कर ली थीं। जिसके चलते अंबा मा के दरबार में आने वाला कोई भी भक्त कभी खाली हाथ नहीं गया।

चूंकि अंबा देवी की ये गुफा घने जगल में स्थापित हैं, इसलिए यहां शेरों का आना-जाना आम बात माना जाता है परंतु इन शेरों से आज तक मंदिर में आने वाले किसी भक्त को कोई नुक्सान नहीं हुआ। अंबा देवी मंदिर में एक गहरी गुप्त गुफा भी है जहां ऋषि मुनि आश्रम प्राचीन समय में निवास किया करते थे। ऋषि मुनि आश्रम की इस गुफ़ा में एक बगीचा है जहां आज भी कई ऋषि-मुनि तपस्या में लीन हैं। इसके अलावा यहां कई प्रकार के  वनस्पति पेड़ भी मौज़ूद है और गुफा में निर्मित तलाब के पास मां अंबे, गणेश जी, शिव शंकर और काली मां विराजमान हैं। लेकिन आपको बता दें कि इस गुफा में जाना मौत के समान माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां जाने के मार्ग में कई जंगली जानवरों का सामना करना पड़ता है।
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कुछ किवंदतियों के अनुसार यहां आने वाले कई ऐसे भक्त है जिनको तपस्वी मंगला देवी ने इस आश्रम के दर्शन करवाएं, उनमें से कई आज भी जीवित हैं।

पौराणिक किवंदतियों के अनुसार-
एक बार की बात है मध्यप्रदेश में आठनेर नामक गांव के किसी सुनील नामक 9 साल के बालक को सपने में माता रानी किसी जगह के दर्शन करवाती थी उसके बाद उसे पलंग से नीचे फेंक देती थी। देखते ही देखते ऐसा हर रोज़ होने लगा। भूत-प्रेत का साया समझकर उसके माता-पिता ने कई बाबाओं के पास जाकर उसके कई इलाज करवाए। लेकिन कोई फायदा न हुआ और उसको हर रात वही सपना आता रहा। अंत में सुनील के माता-पिता अंबे मां के किसी भक्त से मिले। उसने उन्हें बताया कि इस बालक पर किसी भूत-प्रेत का साया नहीं है बल्कि अंबे मां का आर्शीवाद है। सपने में दिखाई दे रही जगह को ढूंढते-ढूंढते 3 साल बीत गए। फिर कहीं जाकर उसको मां अंबे के पावन दरबार के दर्शन हुए। मां अंबे की गुफा को देखकर सुनील बहुत खुश हो गया और उसने वहीं रहकर मां की पूजा-अर्चना करने का मन बनाया। सुनील के साथ अंबा देवी के मंदिर में कई चमत्कार भी घटित हुए। जैसे नवरात्रों में कई बार जब वो मां का श्रृंगार कर रहा होता या श्रृंगार कर चुका होता, तो गुफा में कुछ शेर आ जाते थे। ऐसा प्रतीत होता था कि जैसे मां की सवारी मां को लेने आई हो। हैरान करने वाली बात यह है कि मां की इस सवारी ने सुनील को कभी नुकसान नहीं पहुंचाया।
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मां की सेवा करते-करते 12 साल बीत गए लेकिन एक दिन उसको जन्म देने वाली मां की दी हुई कसम के कारण उसे गुफा छोड़ वापिस अपने घर जाना पड़ा। तब सुनील अंबे देवी के चरणों मेंफूट-फूट कर रोने लगा और मां के चरणों में रहने की अरदास करने लगा। मां ने उसे सपने में दर्शन दिए और कहा बेटा तू चिंता न कर मैं हमेशा तेरे साथ हूं और मेरा आर्शीवाद सदा तेरे साथ रहेगा। जा बेटा तू अपनी जन्म देने वाली मां के पास जाकर उनकी आज्ञा का पालन कर और मेरी ही मूर्तियों का निर्माण कर अपनी आजीविका चला। मां के कहने पर वो वापिस अपने घर चला गया और जैसे मां ने बोला था उसने वैसे ही मूर्तियों को बनाने का अभ्यास शुरू कर दिया और उसको इसमें सफलता भी मिली। जहां तक कि वो माता रानी की ऐसी-ऐसी मूर्तियां बनाने लगा। जिनका निर्माण बड़े-बड़े मूर्तिकार भी नहीं कर सकते थे मां के परम भक्त सुनील पर मां अंबे देवी की ऐसी कृपा हुई कि आज सुनील द्वारा तैयार की गई मुर्तिया मध्यप्रदेश के कई शहरों में जा रही है।
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ऐसा भी कहा जाता है कि किस्मत वालों को ही मां का बुलावा आता है कितनी भी दर्शन की इच्छा हो लेकिन जब तक मां का बुलावा नहीं आ जाता आप अंबा देवी नहीं आ सकते है।

मां अंबा देवी की दर्शन यात्रा बैतुल जिले से आरंभ होती है। रास्ते में घना जंगल और अनेक घाट के साथ-साथ कई खतरनाक मोड़ भी आते हैं, भक्तों का ऐसा विश्वास है कि जंगल के बीच रास्ते में आने वाले नहालदेव बाबा के दर्शन मात्र से ही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
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इसके थोड़ा आगे चलकर एक बड़ी पहाड़ी आती है। जहां से माता के दरबार पहुंचने के लिए सीधी चढ़ाई चढ़नी पड़ता है। इसलिए इस स्थान को खड़ी पहाड़ी कहा जाता है। इन पहाड़ियों पर निरंतर मां के जय जय कारे गूंजते रहते हैं। नवरात्रों में ये नज़ारा देखने वाला होता है। दूर-दूर से भक्तजन मां के दर्शन करने आते हैं। इस शक्तिपीठ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि अंबा माई का हर रोज़ जलाभिषेक कर चोला और वस्त्र पहनाकर श्रृंगार किया जाता है। तो दोस्तों अगर आप भी अंबे मां की कृपा का पात्र बनना चाहते हैं तो इस नवरात्रों में मां के दर्शन करने मां अंबा देवी जरूर जाएं।
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Jyoti

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