चैत्र नवरात्रि 2019 : यहां एक साथ विराजमान हैं दो देवियां

punjabkesari.in Saturday, Apr 06, 2019 - 05:24 PM (IST)

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जैसे कि सब जानते हैं कि नवरात्रि आज से शुरू हो गए हैं, जिसके चलते हर कोई मां को मनाने में जुटा हुआ है। कहा जाता है कि नवरात्रि में मां के विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है। तो चलिए आपको बताते हैं ऐसे दो मंदिरों के बारे में जो देशभर में बहुत प्रसिद्ध है।
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हम बात कर रहे हैं कि मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र के देवास शहर में बसे देवी के प्रसिद्ध धाम की, जो माता के 52 शक्तिपीठों में शामिल हैं। देवास का यह शक्तिपीठ इंदौर से करीब 34 कि.मी ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इसकी प्रसिद्धि का कारण यहां विराजमान दो बहनें। जी हां,  देवी के इस अनोखे दरबार में दो देवियां विराजमान हैं। बता दें कि ये दो देवी हैं मां तुलजा भवानी और मां चामुंडा देवी। इस प्रसिद्ध मंदिर को टेकरी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि यहां देवी मां का रक्त गिरा था। इसलिए यहां मां चामुण्डा का प्रकाट्य यहां स्थापित हुआ है।
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कहा जाता है कि अनादि काल से स्थापित इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त माता के दर्शन करने आते हैं। लोक मान्यता है कि यहां देवी के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति के वारे-न्यारे हो जाते हैं। यहां स्थापित देवी मां के दो स्वरूपो के बारे में कहा जाता है कि ये दोनों ही देवियां जाग्रत अवस्था में हैं।
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इस मंदिर के प्रति लोगों की इतनी आस्था है कि उनका कहना है मां तुलजा भवानी और मां चामुंडा देवी से जो भी मुराद मांगी जाती है वह पूरी ज़रूर होती है। माता के इन दोनों स्वरूपों को छोटी मां और बड़ी मां के नाम से जाना जाता है। बता दें कि तुलजा देवी को बड़ी माता और चामुंडा देवी को छोटी माता कहा जाता है। हर मंदिर की तरह यहां भी भैरो स्थापित हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि उनके दर्शन किए बिना हर प्रार्थना अधूरी होती।  इसीलिए लोग बड़ी मां और छोटी मां के साथ भैरो बाबा के भी दर्शन ज़रूर करते हैं।

वैसे तो पूरे सालभर ही यहां भक्तों की भीड़ देखनो को मिलती है परंतु नवरात्रि के पावन पर्व पर पूरे नौ दिनों तक यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। कहा जाता है कि नवरात्रि के दिनों में यहां पर एक विशेष पूजा कराई जाती है। जिसके लिए लोग लंबी कतारों में लगे रहते हैं। इस मंदिर तक पहुंचने के दो रास्ते हैं, एक हैं सीढ़ियों का रास्ता जिनकी संख्या लगभग 410 है व दूसरा है पक्की रोड का जो पहाड़ी से होते हुए मंदिर की ओर जाती है।

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पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार बड़ी मां और छोटी मां के बीच बहनों का रिश्ता था। यहां दोनों माताएं एक साथ रहती थी। एक दिन किसी बात पर दोनों बहनों में विवाद हो गया और यह बहुत बढ़ गया जिसके चलते दोनों ही माताएं अपना अपना स्थान छोड़कर जाने लगी। बड़ी मां पाताल में समाने लगी और छोटी मां अपना स्थान छोड़कर खड़ी हो गई और टेकरी से जाने लगीं। तभी माताओं को कुपित देख कर उनके साथी हनुमान जी और भैरो बाबा ने उन दोनों के क्रोध को शांत किया और वहीं रूकने कि विनती की। दोनों माताएं उसी अवस्था में जैसी थी वैसे ही रूक गई। बड़ी माता का आधा शरीर पाताल में समा चूका था। तो वो जैसी स्थिति में थी वैसी ही टेकरी पर रूक गईंऔर छोटी माता टेकरी से उतर रही थी। उनका मार्ग अवरुद्ध होने के कारण वे और कुपित हो गई। जिस अवस्था में वे नीचे उतर रही थीं वे उसी वे टेकरी पर विराजमान हो गईं।
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Jyoti

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