महंगी होने लगीं सब्जियां दूध के दामों में भी उबाल
punjabkesari.in Friday, Apr 05, 2019 - 11:34 AM (IST)
मुंबईः लगातार दो बार कम बारिश की वजह से महाराष्ट्र और गुजरात समेत कई पश्चिम भारतीय राज्यों में बागवानी फसलों और चारे की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इसके परिणामस्वरूप सब्जियों की कीमतों में भारी वृद्घि देखने को मिली है और कुछ सब्जियां तो बाजारों से गायब ही हो गई हैं। वहीं चारे की किल्लत ने किसानों को अपने दुधारू मवेशियों को बेचने या इन्हें लेकर कहीं और पलायन करने के लिए बाध्य कर दिया है।
जहां सब्जी की आपूर्ति पहले ही प्रभावित हो चुकी है और आने वाले सप्ताहों में तापमान बढऩे से समस्या और गहरा सकती है। इससे आने वाले समय में दुग्ध आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है। महाराष्ट्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'महाराष्ट्र के कई जिलों में पानी की भारी किल्लत है। पड़ोसी राज्य गुजरात को भी सूखे का सामना करना पड़ा है। इसलिए सब्जियों और चारे की आपूर्ति काफी कम हो गई है। इस वजह से सब्जियों के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। किसानों ने औरंगाबाद, सांगली, विदर्भ जैसे क्षेत्रों में सुरक्षित स्थानों के लिए पलायन शुरू कर दिया है।'
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, इस साल के मॉनसून-पूर्व सीजन के दौरान 20 मार्च 2019 तक कुल बारिश एलपीए से 27 प्रतिशत कम दर्ज की गई है। पूरे देश में 2018 के लिए दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की बारिश एलपीए के 91 प्रतिशत पर दर्ज की गई और महाराराष्ट के लगभग 50 प्रतिशत गांवों को सूखे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा है। वहीं पूरे भारत के लिए इस साल उत्तर-पूर्व बारिश में 43 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, 'कम आपूर्ति की वजह से सब्जियों की कीमतें चढ़ी हैं। महाराराष्ट में सूखे की वजह से चारे की किल्लत पैदा होने से दूध उत्पादन महंगा हो गया है जिससे किसानों को कम मुनाफा हो रहा है। इसलिए उत्पादन वृद्घि का भार घटाने के लिए आने वाले महीनों में किसान दूध की कीमतों में दो रुपये प्रति लीटर तक की वृद्घि कर सकते हैं।'
सरकारी स्वामित्व वाले राराष्टीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी) द्वारा एकत्रित आंकड़ों से पता चलता है कि मुंबई की कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) में पहुंचने वाली फूलगोभी 10 प्रतिशत तक घटकर मार्च में 273 टन रह गई। इसकी थोक कीमतें 22 प्रतिशत तक बढ़ी हैं। इसी तरह बैगन की आपूर्ति भी 24 टन से घटकर मार्च में सिर्फ 14 टन रह गई।