Movie Review: एक्शन से भरपूर है फिल्म ''जंगली''
3/29/2019 10:53:38 AM
मुंबई: बॉलीवुड एक्टर विद्युत जामवाल की फिल्म 'जंगली' सिनेमाघरों में आज रिलीज हो गई है। विद्युत की फिल्म जंगली आपको जंगल में ले जाती है। जहां हाथी के दांत की तस्करी के लिए उन्हें मार दिया जाता है। फिल्म को हॉलीवुड के डायरेक्टर चक रसेल ने डायरेक्ट किया है। फिल्म में विद्युत के साथ पूजा सावंत, आशा भट, अतुल कुलकर्णी और अक्षय ओबेरॉय लीड रोल में हैं। फिल्म में जानवर और इंसान की दोस्ती के साथ ही हाथी के दांत की तस्करी के मुद्दे पर लोगों का ध्यान खींचा गया है।
कहानी
यह कहानी राज नायर(विद्युत जामवाल) की है, जो एक जानवरों का डॉक्टर है। राज को जानवरों से बहुत प्यार है। उसका बचपन जानवरों के साथ खासकर हाथियों के साथ गुजरा है। राज मुंबई में डॉक्टर होता है और 10 साल बाद अपने घर चंद्रिका अपनी मां की बर्सी के लिए जाता है। राज के पिता चंद्रिका में ही हाथियों की सेंचुरी संभालते होते हैं। जहां जाकर उसे पता चलता है कि जंगल में हाथी के दांत की तस्करी की वजह से हाथियों को मारा जा रहा है। इसी बीच राज के दोस्त भोला, जो की एक हाथी है उसे मार दिया जाता है। जिसके बाद राज हाथी के दांत की तस्करी रोकने और हाथियों को बचाने में लग जाता है। जिस बीच आपको विद्युत का शानदार एक्शन देखने को मिलेगा। वहीं परिस्थितियां वैसी बनती चली जाती है। हर कहानी की तरह यहां महिला पात्र राज के पिता के साथ मिल कर हाथियों के संररक्षण में मदद करती है और उसे राज से प्यार होता है।
इस क्रम में एक किरदार वीडियो जर्नलिस्ट का है, जो कि नायर पर फिल्म बनाना चाहती है। वह भी राज से जुड़ जाती है। ऐसे में ऐसी परिस्थितियां जंगल में ही व्यतीत होती हैं कि राज चाहकर भी वापिस नहीं जा पाता। उसके साथ एक के बाद एक त्रासदी होती जाती है। न वह सिर्फ अपने बाबा को बल्कि अपने प्रिय हाथियों को भी खोता जाता है। हाथियों के झूंड का जो सरदार हाथी है, वह फिल्म के नायक का बचपन का दोस्त है। हाथियों के दांत के लालच में उसकी स्मगलिंग के एक शिकारी उनका शिकार करता है और फिर नायक उन सबसे बदला लेता है।
डायरेक्शन
फिल्म का डायरेक्शन अच्छा है। फिल्म बहुत ही ब्राइट लगती है। फिल्म में चक रसेल ने एनिमेशन की जगह असली जानवरों को लिया गया है। हरियाली आपको खुश कर देती है। मगर कहानी में बहुत कुछ छूटा हुआ महसूस होता है क्योंकि आप खुद को कहानी से जोड़ नहीं पाते हैं।
एक्टिंग
परफार्मेंस की बात करें तो इस बार विद्युत अपनी एक्टिंग से खास कमाल नहीं दिखा पाए। उनका कैरेक्टर कई बार आपसे डिसकनेक्ट हो जाता है। एक्शन हर बार की तरह शानदार है। वहीं शिकारी के रुप में अतुल कुलकर्णी हर बार की तरह इस बार भी अपने किरदार में ढले हुए नजर आए। पूजा सावंत की एक्टिंग अच्छी थी। वह अपने किरदार को बखूबी निभाती नजर आईं। वहीं पूजा भट एक जर्नलिस्ट का किरदार निभा रही थीं। वह पूरी फिल्म में बस हर चीज रिकॉर्ड ही करती नजर आई हैं।
म्यूजिक
समीर उद्दीन ने फिल्म का म्यूजिक दिया है। म्यूजिक आपको कहानी से जोड़ने में काफी मदद करता है। बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है।
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