कांग्रेस-BJP की कर्जमाफी पर नाकाम नीति, लोक-लुभावन राजनीति से ज्यादा और कुछ नहीं
3/24/2019 12:38:10 PM
जबलपुर (विवेक तिवारी): जिनके घर शीशे के बने होते हैं, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंका करते। ये डायलॉग मध्यप्रदेश की राजनीति में बिल्कुल सटीक बैठ रहा है, यहां पर चाहे वो बीजेपी हो या सत्ता में काबिज कांग्रेस दोनों ही किसानों के घर में बैठ कर रोटियां तो सेकते है लेकिन बाद में भूल जाते हैं की किसान के घर में दो वक्त की रोटी भी बन रही है की नहीं,अब सियासत का पारा जबलपुर में बढ़ती गर्मी के साथ और ज्यादा गर्म होता जा रहा है। यहां एक किसान कर्ज न माफ होने के चलते आत्महत्या का प्रयास करता है तो बीजेपी इस मुद्दे को भुनाने के लिए सड़कों पर उतर आती है।
जानकारी के अनुसार, जबलपुर के पिपरिया गांव का निवासी भूपत पटेल ने 2 लाख का कर्ज लिया लिया था। कमलनाथ सरकार की कर्जमाफी की घोषणा के चलते उसने भी बैंक का कर्ज जमा नहीं किया था। इसी बीच चुनावी तारीख़ की घोषणा के साथ अचार संहिता लग जाती है और कर्जमाफी की प्रक्रिया यही थम जाती है लेकिन बैंक उस पर लगातार कर्ज़ जमा करने का दवाब बना रहा था लिहाजा वो तंग आ कर आत्महत्या का प्रयास करता है। 13 साल में 15 हजार किसानों की आत्महत्या के आंकड़े के साथ बीजेपी अब विपक्ष में है लेकिन ये आंकड़े बौने हो जाते हैं जब बात राजनीति की हो तो लिहाजा अब कांग्रेस सरकार के कर्जमाफी की वादों को पूरा न करने का आरोप लगाते हुए बीजेपी इस किसान के आत्महत्या के प्रयास के मामले को ले कर कमलनाथ सरकार को सड़कों पर उतर कर घेर रही है तो पुलिस के डंडे भी भी खा रही है और कमलनाथ सरकार को किसानों का सब से बड़ा दुश्मन बनाने में कोई परहेज नही कर रही।
मध्यप्रदेश में किसानों के मुद्दे पर ही कांग्रेस ने बाजी मार ली थी लिहाजा अब अपनी खोई ताकत को हासिल करने के लिए बीजेपी कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती। लिहाजा अब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह खुद पीड़ित किसान को देखने रात में ही अस्पताल पहुंच जाते हैं उस किसान का हाल जानते हैं और साथ ही कमलनाथ सरकार को एक नाकाम और धोखेबाज सरकार भी बता देते हैं। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार किसानों के कर्ज माफ करने का वादा कर के सत्ता में आई थी लेकिन चुनाव के वक्त जब किसानों के कर्जमाफी के सिस्टम पर रोक लगी तो बीजेपी ने इसे मुद्दा बना लिया ,प्रदेश में जगह जगह प्रदर्शन भी हुए हालांकि इसका किसानों पर कितना फर्क पड़ा वो चुनावी परिणाम से पता चल जाएगा लेकिन जब वक्त चुनाव का हो तो कोई भी राजनीतिक दल आए हुए मुद्दे को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता। लिहाजा अब बीजेपी के पिटारे में कर्जमाफी का मुद्दा प्रदेश की राजनीति में हलचल मचाए हुए हैं।
आकड़ों से बीजेपी बैकफुट पर
मध्य प्रदेश में पिछले 13 वर्षों में 15 हजार किसानों ने आत्महत्या की है। ये वो वक्त है जब प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी। एनसीआरबी रिपोर्ट के आधार पर 13 साल की इस अवधि में किसानों की सर्वाधिक 1022 आत्महत्या की घटनाएं सीधी जिले में थी। उस वक़्त तक ये कांग्रेस विपक्ष में थी और यहां से नेता प्रतिपक्ष रहे अजय सिंह का नाता था।
वर्ष आत्महत्या
2004 1638
2005 1248
2006 1375
2007 1263
2008 1379
2009 1395
2010 1237
2011 1326
2012 1172
2013 1090
2014 826
2015 581
2016 599 करीब
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