Doctor का काम करता है ये मंत्र

punjabkesari.in Thursday, Mar 21, 2019 - 11:30 AM (IST)

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हिन्दू धर्म में ओम् महत्वपूर्ण धार्मिक प्रतीकों में से एक है। यह ब्रह्मांड की संपूर्णता, आत्मा और सत्य को उजागर करता है। ओम् शब्द तीन ध्वनियों से बना है-‘अ’, ‘उ’ ‘म’ जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश के भी प्रतीक हैं। ‘अ’ का अर्थ है- उत्पन्न होना, ‘उ’ का मतलब है- उठना यानी विकास और ‘म’ यानी मौन हो जाना। यह केवल पूजा का मंत्र नहीं बल्कि तन-मन को सुख प्रदान करने वाली जादुई दवा भी है। बिना ओम् के सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती। 

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PunjabKesariकहा जाता है कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड में ओम् ध्वनि व्याप्त है। दुनिया में ओम् शब्द किसी न किसी रूप में सभी संस्कृतियों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ओम् के उच्चारण से शरीर के अलग-अलग भागों में कम्पन शुरू हो जाता है। ‘अ’ शरीर के निचले हिस्से में (पेट के पास) कम्पन पैदा करता है, ‘उ’ से शरीर के मध्य भाग (छाती) और ‘म’ से ऊपरी भाग यानी मस्तिष्क में कंपन होता है। इस शब्द के उच्चारण से कई शारीरिक, मानसिक व आत्मिक लाभ मिलते हैं।

PunjabKesariकैसे करें ओम् का उच्चारण :
घर में किसी शांत जगह का चुनाव करें। आसन बिछाएं और सुखासन में बैठ जाएं। आंखें बंद करके अपनी सांसों पर ध्यान केन्द्रित करें। जोर-जोर से ओम् का उच्चारण करें व पूरा ध्यान बोलने पर ही रखें। अपनी क्षमता के मुताबिक समय बढ़ाएं।

PunjabKesariउच्चारण से होने वाले लाभ: 
ओम् के उच्चारण से गले में कम्पन पैदा होता है जो थॉयराइड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

अनेक बार ओम् का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव रहित हो जाता है। आपका गुस्सा और घबराहट शांत होती है।

यह शरीर से विषैले तत्वों को दूर करता है जिससे बॉडी डिटॉक्स होती है। ओम् का उच्चारण तनाव के कारण पैदा होने वाले टॉक्सिन्स को नियंत्रित करता है।

इसके उच्चारण से हार्ट व पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं ठीक होती हैं। फेफड़े व रीढ़ की हड्डी भी स्वस्थ रहती है।

जिन बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता, उनके लिए यह मंत्र लाभदायक है क्योंकि यह जहां स्मरण-शक्ति बढ़ाता है वहीं मन को भी एकाग्रचित्त बनाता है। 

एक रिसर्च में यह भी पता चला है कि इसके रोजाना उच्चारण से मस्तिष्क व पूरे शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

PunjabKesariदेवोपासना में तरह-तरह के मंत्र बोले जाते हैं, पर हरेक की शुरूआत ओम् से होती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार पूरी प्रकृति तीन गुणों से बनी है- रज, सत और तम। ओम् को एकाक्षर ब्रह्म माना गया है। घर में आप ओम् बोलने का अभ्यास शुरू कर देंगे तो आपके जीवन में अध्यात्म का विकास होगा व आप शांति महसूस करेंगे। योग की तरह ओम् को भी मैडीटेशन के साथ जोड़ कर देखें। जिसने भी ओम् का नियमित अभ्यास किया है, उसे लाभ अवश्य मिला है। रात को सोते समय मन ही मन इसका जाप करने से दिमाग का ध्यान सांसों पर केन्द्रित होने लगता है और जल्दी ही अच्छी नींद आने लगती है।

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Niyati Bhandari

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