शुभ मुहूर्त में किया गया होलिका दहन

punjabkesari.in Thursday, Mar 21, 2019 - 10:15 AM (IST)

फरीदाबाद (महावीर गोयल): शहर में बुधवार को महिलाओं ने होलिका पूजन में भाग लेकर सबकी सुख शांति की कामना की। पूजन में महिलाएं अपने परिवार के साथ शामिल हुई। इसके बाद रात्रि में 9.27 बजे से शुभ मुहूत्र्त मिलने के बाद शहर में जगह - जगह होलिका दहन का सिलसिला शुरू हुआ जो देर रात तक जारी रहा। इस मौके पर  प्रशासन ने भी पुलिस बल तैनात किया हुआ था।  होलिका पूजन करने के लिए महिला होली वाले दिन व्रत रखती हैं और होलिका का पूजन करने के लिए हल्दी, गुड़, जौ, गेहूं की बाली और गोबर से बनी हुई बुरकली लेकर आती हैं। महिलाएं होली को लेकर 10 दिन पहले से बुरकली थापना शुरू कर देती हैं। होलिका पूजन में जौ की बालियों से इसलिए पूजा की जाती है, क्योंकि अब रबी की फसल पूरी तरह से पक चुकी है। अब फसल की कटाई का समय आ गया है। 

जिन युवतियों की शादी होती है वे अपनी पहली होली ससुराल की बजाय मायके में पूजती हैं। नवविवाहिता सज-धज कर परिवार की महिलाओं के साथ पूजन करने के लिए जाती हैं। शहर में हजारों की संख्या में नवविवाहिताओं ने होलिका का पूजन किया। होलिका दहन के दौरान रात को गेहूं और जौ की बालियों को भून कर लाते हैं। होलिका में भूनी गई बालियों के दानों को आपस में बांट कर खाते हैं। एक कहावत है कि जो भी होलिका में भुने दानों को प्रसाद के रूप में खाता है तो उसे कभी भी आधा सीसी (आधे सिर का दर्द) नहीं होता है। फसलों को भूनने का अर्थ दूसरा यह है कि अब त्योहारों का मौसम खत्म हो चुका है और रबी की फसल गेहूं, जौ, सरसों आदि पक चुके हैं। अब फसल को उठाकर घर में लाना है। बाजार में व्यापारी होलिका में दानों को भून कर दुकान-दुकान पर जाते हैं और राम-राम करते हैं। होली का  धार्मिक महत्व के अनुसार होलिका का पूजन इसलिए किया जाता है भक्त प्रहलाद को हिरणाकश्यप के कहने पर होलिका गोद में लेकर आग में बैठ गई थी। तब आग में भक्त प्रहलाद बच गए और होलिका जल गई। 


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Deepak Paul

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