शिमला-कालका NH पर अवैध निर्माण पर HC सख्त, मुख्य सचिव को दिए ये आदेश

punjabkesari.in Wednesday, Mar 20, 2019 - 10:56 PM (IST)

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को टाऊन एंड कंट्री विभाग में पिछले 10 वर्षों में कार्य कर चुके उन सभी आला अधिकारियों के नाम बताने के आदेश दिए, जिनके कार्यकाल के दौरान शिमला-कालका राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर अवैध निर्माण हुए। आला अधिकारियों में टी.सी.पी. के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव, संयुक्त सचिव, विशेष सचिव अथवा यूडी और साडा में तैनात रहे निरीक्षण अधिकारियों का विस्तृत ब्यौरा देने को कहा है। कोर्ट ने अधिकारियों के कार्यकाल के समय, उनके द्वारा अवैध निर्माण को रोकने के लिए की गई कार्यवाही का ब्यौरा भी मांगा है।

कर्मियों के खिलाफ अमल में लाई जाएगी कार्रवाई

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अधिकारियों के नाम सामने आने पर कोर्ट विचार करेगा कि उनके खिलाफ  अवैध निर्माण को बढ़ावा देने के लिए क्यों न आवश्यक कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उन सभी कर्मियों के खिलाफ  कार्रवाई अमल में लाई जाएगी, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान उक्त सड़क मार्ग के आसपास अवैध निर्माण होने दिए व जानबूझ कर कोई कार्रवाई नहीं की। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने मुख्य सचिव को यह जानकारी 6 मई तक देने के आदेश दिए।

विस्तृत सूची तैयार कर कोर्ट में करें प्रस्तुत

कोर्ट ने नगर निगम शिमला, शोघी, कंडाघाट, बड़ोग, सोलन व कसौली प्लानिंग क्षेत्र की स्पैशल एरिया डिवैल्पमैंट अथॉरिटी को आदेश दिए कि वह अपने क्षेत्र के अवैध, अनधिकृत, अनअपरूव्ड व अस्वीकृत निर्माणों की विस्तृत सूची तैयार कर कोर्ट को बताए। उक्त अथॉरिटीज को यह भी बताना होगा कि अवैध निर्माणों को एक इंच भी कम्पाऊंडिंग किए बिना कितने समय के भीतर हटा दिया जाएगा। कोर्ट ने उन संबंधित कर्मियों के नाम भी बताने को कहा है जो इन आदेशों को लागू करने के लिए जिम्मेदार होंगे ताकि समय आने पर लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ  कार्रवाई की जा सके।

गुम हुए रिकॉर्ड को पुन: तैयार करने के आदेश

नगर परिषद सोलन को गुम हुए रिकॉर्ड को पुन: तैयार करने के आदेश भी दिए। कोर्ट ने चेताया कि ऐसा न करने पर नगर परिषद सोलन के कार्यकारी अधिकारी व प्रधानों को कारण बताओ नोटिस जारी किए जाएंगे जिनके कार्यकाल में रिकॉर्ड गुम हुआ। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की स्टेटस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि केवल जूनियर इंजीनियर व उससे निचले स्तर के कर्मियों को अवैध निर्माण में लापरवाही बरतने का दोषी बताना सही नहीं है। इसमें वो आला अधिकारी भी जिम्मेदार हैं जो चाहते तो अवैध निर्माण रुकवा सकते थे। मामले पर सुनवाई 6 मई को होगी।


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Vijay

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