चाइनीज पिचकारियां व खिलौने मार्कीट में आने से भारतीय व्यापार पर पड़ा बुरा प्रभाव

punjabkesari.in Wednesday, Mar 20, 2019 - 04:03 PM (IST)

श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा): भले ही रंगों के पर्व होली को लेकर स्थानीय शहर के बाजारों में रंगों व पिचकारियों की दुकानें पूरी तरह सज चुकी हैं परंतु दूसरी ओर दिन-प्रतिदिन मौसम के बदलते मिजाज ने दुकानदारों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। बाजार में बड़ी संख्या में दुकानों पर कई तरह के रंग व पिचकारियां बेचने के लिए सजाई गई हैं, जिन्हें खरीदने के लिए बच्चे, नवयुवक, लड़कियां आ रहे हैं, लेकिन मार्च माह में भी सर्दी पडऩे के कारण पहले जैसी रौनकें देखने को नहीं मिल रही हैं। 

बाजार में लगी दुकानों को देखते हुए यह स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि इस बार भी पहले से अधिक होली की पिचकारियां व रंगों पर भी चाइना का रंग पूरी तरह छाया हुआ है। कुछ सूझवान लोगों का कहना है कि इस बार बिकने के लिए मार्कीट में आए रंगों में ज्यादा मात्रा में भयानक किस्म के कैमिकल होने की संभावना है और यह रंग इतने पक्के हैं कि यदि किसी के चेहरे पर लग जाते हैं तो कई दिनों तक उतारना मुश्किल है। कई बार तो अगर इन्हें उतारने की कोशिश की जाती है तो इसके इन्फैक्शन से चेहरा बुरी तरह बिगड़ जाता है। इसके अतिरिक्त इन चाइनीज पिचकारियों, रंग व अन्य खिलौने आदि सामान मार्कीट में आने के कारण भारतीय व्यापार पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। 

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पानी के रंगों की बजाय सूखे गुलाल का करें उपयोग
इस संबंधी समाज सेवी डी.आर. तनेजा व अशोक शिकरी से बातचीत की गई तो उन्होंने संयुक्त रूप से कहा कि होली के त्यौहार दौरान भारी मात्रा में पानी की बर्बादी की जाती है। पूरा जीवन पानी पर निर्भर है। पानी की एक-एक बूंद हमारे लिए बेशकीमती है और हमें अनमोल खजाने की संभाल करनी चाहिए। उन्होंने समूह क्षेत्र वासियों को अपील की है कि पानी वाले रंगों का उपयोग करने की बजाय सूखे गुलाल का उपयोग करना चाहिए, जिससे किसी तरह का कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।

होली का त्यौहार मनाने में महज एक ही दिन शेष है व बाजारों में बड़ी मात्रा में बिक रहे भयानक रंगों संबंधी प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया जबकि स्वास्थ्य विभाग के उच्चााधिकारियों को चाहिए था कि बाजारों में बिकने के लिए आए रंगों की जांच करवाई जाती कि कहीं इन रंगों में कोई ऐसा कैमिकल तो नहीं जो मनुष्य शरीर के लिए घातक सिद्ध हो। अगर प्रशासन द्वारा ऐसा कदम उठाया जाए तो चमड़ी के लिए घातक इन रंगों पर रोक लगाई जा सकती है, परंतु इसके उलट स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन बिल्कुल बेखबर है।


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Anjna

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