नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट पर लंबे समय से रहा कांग्रेस का वर्चस्व, आसान नहीं होगी BJP की राह

punjabkesari.in Tuesday, Mar 19, 2019 - 04:00 PM (IST)

नैनीतालः उत्तराखंड की 5 लोकसभा सीटों में से सबसे हॉट मानी जा रही नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट पर लंबे समय तक कांग्रेस का वर्चस्व रहा है लेकिन इस चुनाव में जीत हासिल करने के लिए उसे और भाजपा को कड़ी मशक्कत करनी होगी।

1957 में अस्तित्व में आई नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट
पहाड़ और मैदान के बीच विभाजित इस सीट पर कई मुद्दे ऐसे हैं जो चुनाव में जीत का आधार तय करेंगे। इन मुद्दों में पलायन और ढांचागत सुविधाओं का विकास अहम है। यह सीट 1957 में अस्तित्व में आ गई थी, तब इसमें बहेड़ी विधानसभा क्षेत्र भी शामिल था। पुनर्गठन के बाद इसमें कई क्षेत्रों का समावेश हुआ। इस लोकसभा सीट के अंतर्गत इस समय 15 विधानसभाएं सम्मिलित हैं। राज्य की राजनीति की दिशा और दशा तय करने में इस लोकसभा सीट की अहम भूमिका रही है। इस सीट में नैनीताल जिले की 6 और ऊधमसिंह नगर जिले की 9 विधानसभा सीटें शामिल हैं। नैनीताल जिले की नैनीताल, भीमताल, हल्द्वानी, कालाढूंगी, लालकुआं तथा ऊधमसिंह नगर की बाजपुर, जसपुर, खटीमा, नानकमत्ता, सितारगंज, गदरपुर, काशीपुर, किच्छा और रूद्रपुर विधानसभा सीटें शामिल हैं। इनमें से अधिकतर पर भाजपा का कब्जा है।

इस सीट पर अधिकांश समय रहा कांग्रेस का वर्चस्व
कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायण दत्त तिवारी की जन्मभूमि और कर्मभूमि मानी जानी वाली इस सीट पर अधिकांश समय कांग्रेस का वर्चस्व रहा है। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के भगत सिंह कोश्यारी ने सभी पुराने समीकरणों को बदलकर रख दिया है। उन्होंने कांग्रेस के केसी सिंह बाबा को 284717 मतों से पराजित किया था। अब तक हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस इस सीट पर 11 बार अपना परचम लहरा चुकी है जबकि भाजपा 3 बार जीती है। भाजपा ने 1991, 1998 और 1914 के आम चुनावों में ही इस सीट पर कब्जा किया है। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से कांग्रेस 2004 और 2009 के आम चुनावों में और भाजपा 2014 में एक बार इस सीट पर आधिपत्य कायम करने में सफल रही है। इस बार 1788737 मतदाता अपने सांसद के भाग्य का फैसला करेंगे। इनमें 937354 पुरुष और 841420 महिला महिला हैं। इस लोकसभा चुनाव में भी ढांचागत सुविधाओं का विकास अहम मुद्दा होगा।

सरकार ने पलायन रोकने के लिए आयोग का किया गठन
इसके अतिरिक्त पहाड़ों से पलायन रोकना, पहाड़ी किसानों की खेती को जंगली जानवरों से बचाना, बेरोजगारी और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाना प्रमुख मुद्दों में शामिल हैं। पिछले कुछ सालों में पहाड़ों से लगातार पलायन हुआ है। सरकार भी मानती है कि पलायन राज्य की प्रमुख समस्याओं में से एक है। इसके लिए सरकार ने सरकार ने पलायन आयोग भी बनाया।


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Nitika

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