हर साल 100 पशुओं की जान ले रहा पॉलीथिन

punjabkesari.in Monday, Mar 18, 2019 - 12:32 PM (IST)

सिरसा (माहेश्वरी): पालीथिन की बिक्री बदस्तूर जारी है।  प्रशासन सब कुछ देखकर भी अनदेखा कर रहा है। पॉलीथिन न केवल पर्यावरण को नुक्सान रहे हैं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बने हुए हैं। चिकित्सकों का कहना है कि पॉलीथिन के निर्माण में प्रयुक्त होने वाला कैमिकल सबसे खतरनाक होता है। यह एक धीमा जहर है। इससे न सिर्फ पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचती है, बल्कि मनुष्य कैंसर की चपेट में भी आ सकता है। सीवरेज व्यवस्था कंडम होने में भी इसका बड़ा हाथ है। पॉलीथिन न गलने वाला पदार्थ है जिससे नालियां व सीवरेज जाम हो जाते हैं। शहर में जगह-जगह पॉलीथिन के ढेर लगे देखे जा सकते हैं।

हालांकि शहर के कई व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर नॉन बुवन क्लाथ के थैलों का इस्तेमाल किया जाने लगा है, लेकिन अधिकतर व्यापारियों ने पॉलीथिन का प्रयोग बंद नहीं किया है। इसके पीछे दुकानदारों का मत है कि नॉन बुवन क्लाथ के थैले पॉलीथिन के मुकाबले काफी महंगे पड़ते हैं। दुकानदारों को इस बात से शायद कोई सरोकार नहीं कि साल भर में करीब 100 पशु पॉलीथिन गटक कर काल का ग्रास बन जाते हैं। पर्यावरण को नुक्सान झेलना पड़ता है वह अलग। पॉलीथिन के गंभीर खतरे को देखते हुए वर्ष 2010 में प्रदेश भर में इसके इस्तेमाल पर पाबंदी लागू की गई थी।

8 वर्ष बीत गए लेकिन पॉलीथिन के प्रयोग पर पाबंदी नहीं लग पाई। पॉलीथिन पर पाबंदी सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों, नगरपालिकाओं व तहसीलदार सहित अन्य विभागों के अधिकारियों को सौंपी गई थी, मगर इन अधिकारियों द्वारा अपनी जिम्मेदारी का पूरी जिम्मेदारी के साथ पालन न करने का ही नतीजा है कि रेहडिय़ों-दुकानों पर पॉलीथिन का धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा है। 

सालों साल नहीं गलता पॉलीथिन
जीव-जंतु कल्याण अधिकारी रमेश मेहता कहते हैं कि पॉलीथिन इतना खतरनाक पदार्थ है कि सालों साल इसे धरती में दबाने के बाद भी नहीं गलता। पॉलीथिन पर प्रभावी ढंग से अंकुश तभी लग सकता है जब प्रशासन द्वारा अभियान छेड़ा जाए और इस अभियान में निरंतरता बनी रहे। साथ ही लोगों को भी जागरूक होना होगा। पॉलीथिन की बिक्री पूरी तरह बंद न होने तक लोगों को चाहिए कि वे पॉलीथिन का कचरा बजाए गली में फैंकने के कूड़ेदान में डालें, ताकि कोई पशु अकाल मौत का शिकार न हो। 


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Deepak Paul

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