यहां होली खेलने की है खास परंपरा, नहीं जानते होंगे आप

punjabkesari.in Monday, Mar 18, 2019 - 10:38 AM (IST)

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21 मार्च गुरुवार के दिन पूरे देश में होली का त्यौहार मनाया जाएगा। ज्यादातर लोगों को यहीं पता होगा कि इस दिन एक-दूसरे को रंग लगाया जाता है। लेकिन बहुत कम लोग होंगे जो ये जानते होंगे कि देश के कुछ शहरों में होली मनाने के तरीके कुछ अलग ही है। जहां होली पर एक-दूसरे को रंग लगाने के साथ-साथ और भी बहुत कुछ करने की मान्यता है। तो चलिए देर न करते हुए आपको बताते हैं कि हम बात कर रहे हैं बरसाने की लठमार होली की। आप में से बहुत से ऐसे भी लोग होंगे जिन्हें इनके बारे में पता होगा। लेकिन हम इससे संबंधित जिस परंपरा के बारे में आप सबको बताने वाले हैं, उससे शायद हर कोई अंजान हो होगा। आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ खास बातें-
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वैसे तो भारत के अलग-अलग राज्यों में होली बहुत ही धूमधाम के साथ मनाई जाती है लेकिन कहा जाता है कि जो बात मथुरा और वृंदावन की होली में है वो कहीं भी नहीं है। इतना ही नहीं बल्कि इस होली को देखने के लिए लोग बहुत दूर-दूर से आते हैं। पूरे मथुरा, वृंदावन में अलग ही रौनक नज़र आती है। 
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लट्ठमार होली- 
बता दें कि फाल्‍गुन की नवमी को महिलाओं के हाथ में लट्ठ रहता है और नन्दगांव के पुरुषों (गोप) जो राधा रानी के मंदिर लाड़लीजी पर झंडा फहराने की कोशिश करते हैं, उन्हें महिलाओं के लट्ठ से बचना होता है। यहां के लोक मान्यता के अनुसार इस दिन यहां की सभी महिलाओं में राधा रानी की आत्मा बसती है। यहीं कारण है कि पुरुष उनसे हंस-हंस कर लाठियां खाते हैं। आपसी वार्तालाप (महिला-पुरुष के बीच का वार्तालाप) के लिए होरी गाई जाती है, जो श्रीकृष्ण और राधा के बीच होने वाले वार्तालाप पर आधारित है। महिलाएं पुरुषों को लट्ठ मारती हैं, जिसका गोपों को प्रतिरोध करने की इजाजत नहीं होती।
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पुरुष महिलाओं को गुलाल छिड़क कर उन्हें रंगते हैं। अगर वे पकड़े जाते हैं तो उनकी जमकर पिटाई होती है। या फिर उन्हें महिलाओं के कपड़े पहनाकर,श्रृंगार इत्यादि करके नचाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार बरसाना की गोपियों ने श्रीकृष्ण को यहां नचाया था। 
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Jyoti

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