Movie Review: 'फोटोग्राफ'

3/15/2019 10:47:10 AM

मुंबई: बॉलीवुड एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी और सान्या मल्होत्रा की फिल्म 'फोटोग्राफ' आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इसे रितेश बत्रा ने डायरेक्ट किया है। फिल्म की कहानी एक फोटोग्राफर की है, जिसे एक लड़की से प्यार हो जाता है। इसमें नवाजुद्दीन, सान्या के अलावा विजय राज और जिम सर्भ भी है। 

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फोटोग्राफ फिल्म की कहानी

फिल्म की कहानी एक 'फोटोग्राफ' की है, जो मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया में लोगों की तस्वीर खींचकर पैसे कमाता है। रफीक (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) सबको ये कहता है कि आपके चेहरे पर ये धूप दोबारा ऐसे नहीं पड़ेगी दोबारा ये हवाएं इस तरह आपके बाल नहीं उड़ाएंगी, ये सब एक तस्वीर में कैद कर लीजिए। ऐसे ही एक दिन एक यंग लड़की मिलोनी (सान्या मल्होत्रा) को तस्वीर खिंचवाने के लिए राजी करता है। जहां रफीक मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया के आसपास लोगों की फोटो खींचकर गुजारा करता है। वहीं मिलोनी एक्ट्रेस बनना चाहती थी पर बन नहीं पाई। मां-बाप के सपने पूरे करने के लिए सीए की पढ़ाई कर रही है। रफीक और मिलोनी की मुलाकात दिलचस्प है। कहानी मोड़ तब लेती है जब रफीक की दादी उससे शादी की जिद करने लगती हैं। 

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रफीक उन्हें मिलोनी की फोटो दिखाकर कहता है, लड़की मिल गई है। अब दादी हैं, रफीक है, मिलोनी है और है एक अनोखे तरह का प्यार, जो कहता है कि प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो। दोनों के बीच प्यार का दीया धीरे धीरे जलता तो है, लेकिन उसकी रोशनी इस प्यार को उजागर करने में थोड़ा समय लेती है और सेल्फी के दौर में फोटोग्राफ के लिए समय किसके पास है।

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रफीक मिलोनी को अपनी दादी से अपनी मंगेतर के तौर पर मिलवाता है। अलग धर्म, अलग रंग, रूप और अलग पढ़ाई होने के बाद दोनों को ये एहसास होने लगता है कि दोनों में बहुत कुछ एक जैसा है। दोनों का नेचर और इमोशन छिपाने का तरीका भी एक जैसा है।

एक्टिंग

नवाजुद्दीन अच्छे अभिनेता हैं। 'मंटो' और 'ठाकरे' जैसी फिल्मों में वह वही लगे जो किरदार उनके काबू में था। लेकिन, आम आदमी का किरदार करने में उनके भीतर का नवाजुद्दीन जाग जाता है। उनके सामने चुनौती ना हो तो वह खुद को ढीला छोड़ देते हैं। वहीं सान्या की एक्टिंग में इतना दम नहीं दिखता। मगर दादी के रोल में फारूख जफर का काम जरूर याद रह जाता है।

 

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डायरेक्शन

रितेश बत्रा ने लंच बॉक्स जैसी फिल्में दी हैं, ये फिल्म भी लंच बॉक्स वाली फीलिंग ही देती है, लेकिन ये दर्शकों को बांधकर रखने में नाकामयाब हुई है। ये फिल्म आपके धैर्य  की परीक्षा लेगी। मिलोनी और रफीक जब मिलते हैं तो शांत रहते हैं, दोनों एक दूसरे बारे  में क्या सोच रहे हैं ये निर्देशक ने हम पर छोड़ दिया है।

 

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म्यूजिक

फिल्म के बैक्ग्राउंड में म्यूजिक से ज़्यादा रियल आवाजें इस्तेमाल की गई हैं। मुंबई की बारिश, चाय और पकोड़े आपको रोमांस का हल्का अहसास कराएंगे। निर्देशक ने फिल्म का क्लाइमैक्स भी ओपन रखा है, जिसे आप अपने हिसाब से गढ़ सकते हैं। हालांकि निर्देशक ने हिंट जरूर दिया है की फिल्म का अंत कैसा होगा।


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Konika


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