चीन के साथ सीमा विवाद पर बोले रक्षा मंत्री, जवानों ने चीनी सैनिकों को वापस जाने पर मजबूर किया

punjabkesari.in Monday, Dec 14, 2020 - 06:52 PM (IST)

नई दिल्लीः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सशस्त्र बलों ने चीनी सेना का ‘‘पूरी बहादुरी'' के साथ सामना किया और उन्हें वापस जाने को मजबूर किया। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सात महीने से जारी सैन्य गतिरोध पर केंद्रित अपने बयानों में सिंह ने कहा, ‘‘देश के इतिहास में हर दौर में एक समय आता है जब उसे खुद के लिए खड़े होने की जरूरत होती है, बताना होता है कि वह किसी से भी लड़ सकता है, वह किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम है।''

उद्योग मंडलों के संगठन ‘फिक्की' की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि हिमालय की हमारी सीमाओं पर बिना किसी उकसावे के अक्रामकता दिखाती है कि दुनिया कैसे बदल रही है, मौजूदा समझौतों को कैसे चुनौती दी जा रही है। इस संदर्भ में रक्षा मंत्री ने कहा कि हिमालय ही नहीं बल्कि पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जिस तरह से शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है, उसे देखते हुए क्षेत्र और दुनिया का भविष्य अनिश्चित होता जा रहा है।

पाकिस्तान आतंकवाद का स्त्रोत
किसानों द्वारा नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को तेज करने के बीच राजनाथ सिंह ने सोमवार को जोर देते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र ''मातृ क्षेत्र'' है और इसके खिलाफ कोई भी प्रतिगामी कदम उठाने का सवाल ही नहीं उठता। सीमापार आतंकवाद का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने ऐसे समय में अकेले भी इस समस्या का मुकाबला किया है जब कोई उसके समर्थन के लिए नहीं था, लेकिन बाद में दुनियाभर के देशों ने समझा कि ‘‘हमारी बात सही है कि पाकिस्तान आतंकवाद का स्रोत है''।

आने वाली पीढ़ियों को गर्व होगा
चीन के साथ लंबे खिंच रहे सीमा गतिरोध पर सिंह ने कहा कि भारत की भावी पीढ़ियों को इस साल सशस्त्र बलो की उपलब्धि पर गर्व होगा। उन्होंने कहा, ‘‘परीक्षा की इस घड़ी में हमारे बलों ने अनुकरणीय साहस और उल्लेखनीय धैर्य दिखाया है। उन्होंने पीएलए (जन मुक्ति सेना) का पूरी बहादुरी से सामना किया और उन्हें वापस जाने को मजबूर किया। हमारे बल ने इस साल जो हासिल किया, उस पर देश की आने वाली पीढ़ियों को गर्व होगा।'' रक्षा मंत्री ने कहा कि जब दुनिया घातक कोरोना वायरस से जूझ रही थी तब भारत के सशस्त्र बल बहादुरी से अपनी सरहदों की रक्षा कर रहे थे और कोई वायरस उन्हें उनके कर्तव्य पथ से डिगा नहीं सकता।

सिंह ने कहा, ‘‘ हिमालय की हमारी सीमाओं पर बिना किसी उकसावे के अक्रामकता दिखाती है कि दुनिया कैसे बदल रही है, मौजूदा समझौतों को कैसे चुनौती दी जा रही है, केवल हिमालय में ही नहीं बल्कि हिंद-प्रशांत में भी आक्रामकता दिखायी जा रही है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ और इस पृष्ठभूमि में क्षेत्र और दुनिया का भविष्य कितना अनिश्चित हो सकता है। जैसा कि आपको पता है कि लद्दाख में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर सशस्त्र बल की भारी तैनाती है।''

भारत चीन से बहुत आगे
सिंह ने कहा कि भारतीय सेना और चीनी सेना की संख्या की तुलना हो सकती है लेकिन जब सॉफ्ट पॉवर की बात आती है तो भारत इस मामले में चीन से बहुत आगे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जब भी एलएसी पर ऐसे हालात होते हैं तो जाहिर तौर पर भारत और चीन की सेना की शक्ति की तुलना होती है। लेकिन मैं इस पर नहीं जाना चाहता। किसके पास ज्यादा सैन्य शक्ति है, इस पर गंभीर चर्चा हो सकती है लेकिन जब सॉफ्ट पॉवर की बात आती है तो किसी तरह की अस्पष्टता नहीं है।'' रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘जब विचारों के साथ दुनिया का नेतृत्व करने की बात है तो भारत इस मामले में चीन से बहुत आगे है। आप म्यामां से लेकर थाइलैंड तक और इंडोनेशिया से लेकर मलेशिया और जापान तक पूर्वी एशिया को देखें तो इन सभी देशों पर गहरा भारतीय सांस्कृतिक असर है।''

घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ाने की सरकार की पहलों का जिक्र करते हुए उन्होंने पूछा कि क्या भारतीय उद्योग सही प्रौद्योगिकी लाने के लिए सशस्त्र बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो सकते हैं। किसान आंदोलन का परोक्ष जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि ‘‘हमारे कृषि क्षेत्र के प्रतिकूल कदम उठाने'' का कोई सवाल ही नहीं उठता।

सिंह ने कहा, ‘‘ हाल ही में किए सुधार किसानों के सर्वोच्च हित को ध्यान में रखकर किए गए हैं। हालांकि, हम हमेशा अपने किसान भाइयों की बातें सुनने के लिए तैयार रहते हैं, उनकी गलतफहमियों को दूर करते हैं...।'' उन्होंने कृषि को ‘‘मातृ क्षेत्र'' बताते हुए कहा कि सरकार मुद्दों को हल करने के लिए चर्चा और बातचीत के लिए हमेशा तैयार है। सिंह ने कहा, ‘‘ कृषि एक ऐसा क्षेत्र है, जो कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के प्रतिकूल प्रभावों से बचने में सक्षम रहा। हमारी उपज और खरीद भरपूर है और हमारे गोदाम भरे हुए हैं। कभी भी हमारे कृषि क्षेत्र के खिलाफ प्रतिगामी कदम उठाने का कोई सवाल ही नहीं उठता।''


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Yaspal

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