Bye Bye 2019: अंतरिक्ष में ऊंची उड़ान का साल, दुनिया ने माना ISRO का लोहा

punjabkesari.in Wednesday, Dec 18, 2019 - 10:19 AM (IST)

नेशनल डेस्क: अंतरिक्ष में अपने कारनामे से दुनिया को हैरान करने वाले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए​ यह साल काफी चुनौतीपूर्ण रहा। इसरो का मिशन चंद्रयान-2 अपेक्षा के अनुरूप भले ही सफल न हो पाया लेकिन विश्व पटल पर वह अपनी धाक जमाने में कामयाब जरूर हुआ। भारतीय वैज्ञानिकों के सितारों से आगे जाने के मजबूत इरादों को  दुनिया ने भी मान लिया है। जानिए किस लिहाज से ISRO के लिए खास है 2019:-

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संचार उपग्रह जी सैट-31 सफलतापूर्वक लॉन्च
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने 6 फरवरी, 2019 को फ्रेंच ग्‍याना के अंतरिक्ष स्‍थल से 40वां संचार उपग्रह जीसैट-31 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। जीसैट-31 उपग्रह का वजन दो हजार पांच सौ 36 किलोग्राम था जो भारत का 40वां संचार उपग्रह था। इस तरह के 11 उपग्रह पहले से ही अंतरिक्ष में देश की संचार सेवाओं के लिए काम कर रहे हैं। इस उपग्रह के काम करने की अवधि 15 साल होगी और यह कक्षा में स्थित उपग्रहों में से कुछ को अपना काम जारी रखने की सुविधा उपलब्‍ध कराएगा। साथ ही यह भू स्थिर कक्षा में केयू बैंड ट्रांसपोंडर क्षमता को भी बढ़ावा देगा। 

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29 सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग
इसरो ने अप्रैल 01, 2019 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 29 नैनो सैटेलाइट्स लॉन्च किए। इनमें भारत का एमिसैट, 24 अमेरिका के, 2 लिथुआनिया के और 1-1 उपग्रह स्पेन और स्विट्जरलैंड के थे। यह पहली बार था जब इसरो का मिशन एकसाथ तीन कक्षाओं के लिए भेजा गया। लॉन्च किए गए भारतीय उपग्रह एमिसैट का इस्तेमाल इलेक्‍ट्रोमैग्‍नेटिक स्‍पेक्‍ट्रम दुश्मन देशों के रडार सिस्टम पर नजर रखने के साथ ही उनकी लोकेशन का भी पता लगाएगा। इस उपग्रहों में एमिसैट का वजन 436 किलोग्राम और बाकी 28 उपग्रहों का कुल वजन 220 किलोग्राम था। 

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जासूसी सैटेलाइट RISAT-2B लॉन्च
इसरो ने मई 22, 2019 में पृथ्वी निगरानी उपग्रह रिसैट-2बी का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण करके इतिहास रच दिया। पीएसएलवी सी46 ने RISAT-2B को पृथ्वी की निचली कक्षा सफल तौर पर स्थापित कर दिया। यह सैटेलाइट खुफिया निगरानी, कृषि, वन और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में काम आएगा। इसके जरिए अंतरिक्ष से जमीन पर 3 फीट की ऊंचाई तक की बेहतरीन तस्वीरें ली जा सकती हैं। यह दिन के साथ रात में भी साफ तस्वीरें लेने और सभी मौसमों में काम करने वाला है। यह धरती पर हो रही छोटी-छोटी गतिविधियों की सटीक स्थिति दिखा पाने में सक्षम है। इससे दुश्मनों पर नजर रखने में मदद मिलेगी। 

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चांद की कक्षा में दाखिल हुआ चंद्रयान-2
इसरो अंतरिक्ष में एक बड़ी सफलता से सिर्फ 2 कदमों की दूरी पर रह गया, जब लैंडर विक्रम चांद (Moon) की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर आकर वह अपना रास्ता भटक गया। दरअसल 3,840 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को जीएसएलवी एमके-3 एम1 रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था। चंद्रयान-2 ने धरती की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की तरफ अपनी यात्रा 14 अगस्त को इसरो द्वारा ‘ट्रांस लूनर इन्सर्शन’ नाम की प्रक्रिया को अंजाम दिये जाने के बाद शुरू की थी। यह प्रक्रिया अंतरिक्ष यान को ‘लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्ट्री’ में पहुंचाने के लिये अपनाई गई। इसरो ने दो सितंबर को ऑर्बिटर से लैंडर को अलग करने में सफलता पाई थी, लेकिन विक्रम का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था। हालांकि यह मिशन नाकाम नहीं हुआ है। ऑर्बिटर तब भी भी चन्द्रमा के चक्कर लगा रहा था। 2,379 किलो वजनी ऑर्बिटर के साथ 8 पैलोड हैं और यह 1 साल काम करेगा यानी लैंडर और रोवर की स्थिति का पता नहीं चलने पर भी मिशन जारी रहेगा। 8 पैलोड के अलग-अलग काम होंगे।

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ताकतवर रक्षा सैटेलाइट पीएसएलवी-सी 47 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण
27 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारत ने अंतरिक्ष में एक और कामयाब उड़ान भरी थी। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा लॉन्च पैड से पीएसएलवी-सी47 के जरिए कार्टोसैट-3 और अमेरिका के 13 नैनो सैटेलाइट एक साथ अंतरिक्ष में भेजे गए। सभी सैटेलाइट अपनी कक्षा में स्थापित कर दिए गए हैं। कार्टोसैट-3 एक सैन्य जासूसी उपग्रह है। यह सबसे ताकतवर कैमरे वाला उपग्रह है। कार्टोसैट-3 का इस्तेमाल देश की सीमाओं की निगरानी के लिए होगा। यह प्राकृतिक आपदाओं में भी मदद करेगा। यह पृथ्वी से 509 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर लगाएगा। कार्टोसैट उपग्रह से किसी भी मौसम में धरती की तस्वीरें ली जा सकती हैं। इसके जरिए आसमान से दिन और रात दोनों समय जमीन से एक फीट की ऊंचाई तक की साफ तस्वीरें ली जा सकती हैं। 

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सैटलाइट का ऐंटेना खोलने में मिली कामयाबी
साल के अंत में भी इसरो ने इतिहास रचते हुए रिसैट-2बीआर1 के अंदर मौजूद एंटीने को खोज निकाला। 130 किलोमीटर दूर स्थित श्रीहरिकोटा से उपग्रह RISAT-2BR1 को प्रक्षेपित करने के एक दिन बाद ही इसरो के हाथ य​ह बड़ी कामयाबी लगी। यह एक जटिल प्रौद्योगिकी थी, जिसमें 3.6 मीटर व्यास के एंटीना को खोला जाता है। एंटीना प्रक्षेपण के दौरान उपग्रह के अंदर बंद रहता है। ऐंटेना को खोलने के इस मिशन को 9 मिनट 12 सेकेंड में पूरा किया गया। इसरो ने एक वीडियो भी जारी किया था, जिसमें यह एंटीना सैटलाईट के अपनी कक्षा में पहुंचने के बाद धीरे धीरे खुलकर पूरा फैलता दिखाई दिया। 

 


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vasudha

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