म्यांमार में तख्तापलट के खिलाफ भारत-अमेरिका सहित कई देशों ने उठाई आवाज, UN ने दी कड़ी प्रतिक्रिया

punjabkesari.in Tuesday, Feb 02, 2021 - 12:41 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः म्यांमार में सेना के तख्ता पलट के बाद स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची समेत देश के शीर्ष नेताओं को सोमवार को हिरासत लेने के बाद  सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है।  भारत, अमेरिका,  ब्रिटेन, नेपाल  समेत दुनिया  के विभिन्न देशों और संगठनों ने म्यांमार में हुए इस घटनाक्रम की निंदा की है और हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा करने की मांग की है।

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 भारत ने जताई  ‘‘गहरी चिंता''
भारत ने म्यांमार में सैन्य तख्तापलट और शीर्ष नेताओं को हिरासत में लिए जाने पर ‘‘गहरी चिंता'' व्यक्त करते हुए कहा कि देश में कानून का शासन बना रहना चाहिए और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। विदेश मंत्रालय ने म्यांमार के घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत म्यामां में हालात पर निकटता से नजर रख रहा है और वह म्यामां में लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया का हमेशा समर्थक रहा है।

 

अमेरिका ने दी सख्त चेतावनी, कहा-स्थिति पर करीब से नजर
अमेरिका ने कहा है कि वह स्थिति पर करीब से नजर बनाए हुए है। साथ ही आगाह किया कि अगर देश में लोकतंत्र को बहाल करने के लिए सही कदम नहीं उठाए गए तो वह कार्रवाई करेगा। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा, अमेरिका हालिया चुनाव के नतीजों को पलटने के प्रयास या म्यांमार में लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता के हस्तांतरण को रोकने के कदम का विरोध करता है।

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उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर इन कदमों को वापस नहीं लिया गया तो अमेरिका इसके लिये जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। अमेरिका के विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकेन ने कहा कि म्यांमार की घटना से अमेरिका बेहद चिंतित है। ब्लिंकेन ने  कहा, ‘‘हमने म्यामां की सेना से सभी सरकारी अधिकारियों और नेताओं को रिहा करने का आह्वान किया है और आठ नवंबर को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत हुए चुनावों में म्यामां की जनता के फैसले का सम्मान करने को कहा है। 

 

संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद ने दी कड़ी प्रतिकिया
अमेरिका की इस चेतावनी के बाद म्‍यांमार सेना पर चौतरफा दबाव बनाने के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद ने भी अपनी कड़ी प्रतिकिया दी है। परिषद के राजनयिकों ने कहा कि नोबल शांति पुरस्‍कार विजेता आंग सांग समेत उनके राजनीतिक सहयोगियों की सैन्‍य गिरफ्तारी के मामले में वह मंगलवार के बाद मिलने वाले हैं। संयुक्त राष्ट्र ने म्‍यांमार में तख्तापलट की कठोर निंदा की है।

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 ब्रिटेन-ऑस्ट्रेलिया ने की तख्तापलट की आलोचना
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी तख्तापलट की आलोचना की । उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘मैं तख्तापलट और आंग सान सू ची समेत नागरिकों को गैरकानूनी रूप से हिरासत में लिए जाने की निंदा करता हूं। जनादेश का सम्मान होना चाहिए और असैन्य नेताओं को रिहा करना चाहिए।'' ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारिसे पेने ने कहा, ‘‘हम सेना से कानून के शासन का सम्मान करते हुए कानूनी व्यवस्था के जरिए विवाद सुलझाने और गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिए गए सभी असैन्य नेताओं को रिहा करने आह्वान करते हैं। यह मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सीधा हमला है।'' 

 

बांग्लादेश  और नेपाल ने भी म्यांमार में शांति और स्थिरता का आह्वान
बांग्लादेश  और नेपाल ने भी म्यांमार में शांति और स्थिरता का आह्वान किया और उम्मीद जताई कि म्यांमार में मौजूदा घटनाक्रम से रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी पर असर नहीं पड़ेगा। सिंगापुर ने भी घटनाक्रम पर चिंता प्रकट की। सिंगापुर के विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘हम हालात पर करीबी नजर रखे हुए हैं और उम्मीद है कि सभी पक्ष संयम बरतेंगे और वार्ता के जरिए सकारात्मक और शांतिपूर्ण समाधान निकालने का प्रयास करेंगे।'' ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल' ने भी आंग सान सू ची और हिरासत में लिए गए अन्य लोगों को रिहा किए जाने की मांग की। ‘ह्यूमन राइट्स वाच' के एशिया निदेशक ब्रैड एडम्स ने हिरासत में लिए गए सभी नेताओं को तुरंत रिहा करने का अनुरोध किया। 

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तुर्की ने  शीर्ष अधिकारियों की रिहाई मांगी
तुर्की ने म्यांमार की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट समेत  कई वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में लिए जाने की कड़ी निंदा की है। मंत्रालय ने हिरासत में लिए गए शीर्ष अधिकारियों की रिहाई और विवादित चुनाव परिणामों के अनुपालन का भी आह्वान किया है। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा, ‘‘ हम म्यांमार में सैन्य तख्तापलट को लेकर बेहद चिंतित हैं और इसकी कड़ी निंदा करते हैं। 


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Tanuja

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