चीन में काम करना हो रहा है मुश्किल, भारत बन सकता है वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग हबः अमेरिकी राजदूत

punjabkesari.in Tuesday, Jan 05, 2021 - 06:25 PM (IST)

नई दिल्लीः भारत में अमेरिका के निवर्तमान राजदूत केन जस्टर ने मंगलवार को कहा कि भारत में अमेरिका के राजदूत केन जस्टर ने मंगलवार को चीन के साथ मौजूदा रिश्ते और हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कई देशों की कंपनियों को चीन में काम करना मुश्किल हो रहा है। इस वजह से उन्हें भारी घाटा भी हो रहा है, इसलिए मेरा मानना है कि भारत विश्व में वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है। भारत के पास अवसर है कि वह अपने विनिर्माण क्षेत्र को आगे बढ़ा सके।

इससे पहले हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सभी देशों के समृद्ध होने के लिए दिशानिर्देश बनाने की जरूरत है और आवश्यकता पड़ने पर ‘‘रेड लाइंस'' बनाने की भी जरूरत है। जस्टर ने यहां अपने विदाई नीति भाषण में कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और लोकतांत्रिक शासन की जरूरत है और इसलिए भारत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि दुनिया में कोई भी द्विपक्षीय संबंध उतना व्यापक और ठोस नहीं है जितना भारत और अमेरिका के बीच है। जस्टर तीन नवंबर 2017 को भारत में अमेरिका के 25वें राजदूत नियुक्त किए गए थे।

भारत-अमेरिका संबंधों में हिंद-प्रशांत के महत्व को उजागर करते हुए जस्टर ने कहा, ‘‘हम अब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मजबूत आधार बना रहे हैं जो हमें आगामी चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाएगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘अगले पांच वर्ष और उसके बाद हमारा मिशन इस प्रयास को और मजबूत बनाने और दिशानिर्देश तैयार करने पर होना चाहिए, तथा आवश्यकता पड़ने पर रेड लाइंस भी बनाने की जरूरत है। इससे क्षेत्र में सभी देश समृद्ध हो सकेंगे जहां संप्रभुता का सम्मान किया जाता हो, नियम आधारित शासन हो और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक विवादों का शांतिपूर्ण निपटारा हो।''

जस्टर ने कहा कि लोकतंत्र के तौर पर अमेरिका और भारत नियम आधारित शासन के लिए प्रतिबद्ध हैं, साथ ही वे शांति और कूटनीति के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम (भारत और अमेरिका) महात्मा गांधी और मार्टिन लूथर किंग जूनियर की विरासत से प्रभावित हैं। लेकिन हम जानते हैं कि जैसा हम सोचते हैं, वैसा हर कोई नहीं सोचता और कुछ देश आत्मघाती हमलावर या सैन्य घुसपैठ जैसे तरीके अपनाते हैं।'' जस्टर ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा, ‘‘इसलिए अमेरिका और भारत अपने रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।''


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Yaspal

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