घोड़े दिलाएंगे कोरोना वायरस से मुक्ति? ICMR को मिली क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी

punjabkesari.in Wednesday, Oct 07, 2020 - 01:52 PM (IST)

नेशनल डेस्कः भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक प्रोफेसर बलराम भार्गव ने बताया कि कोरोना मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी के प्रभाव की जांच में इसके कारगर न साबित होने पर परिषद ने इसके विकल्प के रूप में ‘हॉर्स सेरम' या ‘एक्वाइन सेरम' विकसित किया गया है और इसके क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी भी मिल गई है। भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि ‘एंटीसेरा' घोड़ों में अक्रिय सार्स सीओवी-2 (वायरस) का इंजेक्शन देकर विकसित किया गया है। डॉ. भार्गव ने मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि कोविड-19 के मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी के प्रभाव का पता लगाने के लिए 22 अप्रैल से 14 जुलाई के बीच देशभर के 39 निजी और सरकारी अस्पतालों में 464 मरीजों पर इसका परीक्षण किया गया।

 

इस परीक्षण में 350 से अधिक डॉक्टर शामिल हुए। परीक्षण से यह पता चला कि कोरोना संक्रमण के मध्यम लक्षणों वाले मरीजों तथा गंभीर रूप से बीमार मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी का कोई लाभ नहीं हुआ। इससे न ही कोरोना संक्रमण के कम गंभीर मामलों को गंभीर होने से रोकने में मदद मिली। इससे न ही कोरोना के कारण मौत के मामले में गिरावट आई। उन्होंने कहा कि ICMR के इस संबंध किए गए शोध की समीक्षा हो चुकी है और इसे शोधपत्र के रूप में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजी) में प्रकाशित किये जाने की स्वीकृति मिल गई है। यह शोध पत्र जल्द ही प्रकाशित होगा।

 

डॉ भार्गव ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी के कारगर न साबित होने के कारण विकल्प के रूप में ‘हॉर्स सेरम' विकसित किया गया। इसका जानवरों पर परीक्षण हो गया है। अब इसके क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी भी मिल गयी है। गौरतलब है कि USFDA ने अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी के आपात इस्तेमाल की मंजूरी 28 अगस्त को दी थी। ICMR ने लेकिन प्लाज्मा थेरेपी संबंधी मुश्किलों तथा मरीजों पर इसके प्रभाव को देखते हुए अन्य विकल्प की तलाश शुरू कर दी थी। पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से एक्वाइन एंटीसेरम को पृथक किया।


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Seema Sharma

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