क्या 2021 में ‘पश्चिम बंगाल जीत पाएगी भाजपा’?

punjabkesari.in Wednesday, Nov 25, 2020 - 06:01 AM (IST)

नई दिल्ली(विशेष): बिहार में चुनावी जीत के बाद भाजपा का अगला पड़ाव पश्चिम बंगाल है, जहां अगले साल (अप्रैल-मई 2021) विधानसभा चुनाव होने हैं। पार्टी ने चुनावों के लिए ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ हमले के लिए मैदान तैयार करना शुरू कर दिया है। 

वहीं विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दों, सी.ए.ए., एन.आर.सी. जैसे मुद्दों के चलते तृणमूल कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। इधर, बंगाल के लिए भारतीय जनता पार्टी ने एक कोर टीम का गठन किया है, जहां 11 सदस्यीय टीम में ज्यादातर केंद्रीय नेता शामिल हैं। टीम के कु छ कोर सदस्य कोलकाता पहुंच गए हैं, वहीं कुछ पहुंचने वाले हैं। पार्टी सूत्रों ने कहा है कि राज्य में 294 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिन्हें 5 हिस्सों में विभाजित किया है। इनमें से प्रत्येक को केंद्रीय पार्टी सचिव के प्रभार में रखा जाएगा। यह प्रभार केंद्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन में सभी निर्णयों को अंतिम रूप देंगे। वहीं जमीन पर भारतीय जनता पार्टी की वास्तविकता देखी जाए तो उसके लिए यह चुनाव जीतना इतना आसान भी नहीं है जितना कि बताया जा रहा है।

दरअसल बंगाल में 2016 में तृणमूल कांगेस को 212 सीटें मिली थीं। वहीं भाजपा ने 291 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से केवल 3 सीट पर ही जीत मिली। फिलहाल भाजपा ने मुस्लिम प्रभाव वाली 98 सीटों में से 68 सीटों को संभालने की जिम्मेदारी मुकुल राय को दी है और माना जा रहा है कि इन्हीं सीटों पर ओवैसी की गतिविधियां ज्यादा रहेंगी, जिससे वर्तमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए परेशानी हो सकती है। 

वहीं 2016 के चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने 2011 की 184 सीटों के मुकाबले 211 सीट जीती थीं और करीब 6 फीसदी की वोट वृद्धि के साथ कुल मत का 44 फीसदी हिस्सा प्राप्त किया था, जबकि दूसरे नम्बर पर रहने वाली कांग्रेस सी.पी.एम. के साथ गठबंधन में 2016 में 2011 के मुकाबले 46 की बजाय 44 सीट ही जीत पाई थी, यानी उसे 2 सीटों का नुक्सान हुआ था। कांग्रेस के वोट प्रतिशत में करीब 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इस चुनाव में कांग्रेस को कु ल मतों का 12 प्रतिशत मिला था।

‘2016 के मुकाबले वर्तमान में भाजपा बहुत बढिय़ा स्थिति में नहीं’
इसी तरह तीसरे स्थान पर रहने वाली सी.पी.आई. (एम) को साल 2016 में 2011 की बजाय 40 के मुकाबले केवल 26 सीट ही प्राप्त हुईं। यानी कि पार्टी को 14 सीटों का नुक्सान हुआ। बंगाल में सी.पी.आई. (एम) को पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले 2016 में 9 फीसदी कम मत मिले थे, जबकि 2016 में भाजपा के मतों में करीब 10 फीसदी की वृद्धि हुई थी। ऐसे में साल 2016 के प्रदर्शन को देखा जाए तो वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी की स्थिति को बहुत बढिय़ा नहीं कहा जा सकता है लेकिन 2014 में लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2019 में मिले मत व सीटों को सकारात्मक संदेश माना जा रहा है। जहां 2014 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में भाजपा 2 सीट जीत पाई थी, लेकिन साल 2019 में यह आंकड़ा 18 सीटों तक पहुंच गया, जबकि तृणमूल कांग्रेस 2014 के लोकसभा चुनाव में 34 सीटों पर जीत के मुकाबले 2019 में केवल 22 सीटों पर सिमट गई।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Pardeep

Recommended News

Related News