अमेरिकी अखबार ने खोली पोलः भारत की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के पीछे क्यों पड़े हैं ट्रंप ?

punjabkesari.in Tuesday, Apr 07, 2020 - 04:27 PM (IST)

वॉशिंगटनः कोरोना वायरस के कहर से पूरा विश्व मुसीबत में है और इससे बचने के लिए जद्दोजहद कर रहा है । दुनिया के डाक्टरों के सामने सबसे बड़ी चिंता इसके इलाज को लेकर है। अमेरिका में कोरोना का सबसे अधिक भयावह रूप सामने आया है। अमेरिका में लगातार तेजी से बढ़ रहे मौतों के आंकड़े के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से मदद मांगी है। ट्रंप अमेरिका में कोरोना से हो रही मौंतों को लेकर काफी चिंतित हैं और जल्द से जल्द इस बिमारी का इलाज ढूंढना चाहते हैं। ट्रंप ने कोरोना उपचार के लिए भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा मांगी है और इसके लिए वह धमकी तक उतर आए हैं। पूरी दुनिया हैरान है कि ऑखिर क्यों इस दवा के पीछे हाथ धोकर पड़ गए हैं ? क्या इसके पीछे कोई अंतरराष्ट्रीय दबाव है? या डोनाल्ड ट्रंप का कोई निजी मकसद।

PunjabKesari
डोनाल्ड ट्रंप का है निजी फायदा
अमेरिका के एक अखबार ने इस बात का खुलासा किया गया है कि डोनाल्ड ट्रंप आखिर क्यों मलेरिया की इस दवा के पीछे पड़े हैं। मीडिया संस्थान ने बताया है कि डोनाल्ड ट्रंप का इसमें निजी फायदा है। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार अगर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को दुनियाभर में कोरोना के इलाज के लिए अनुमति मिलती है तो उससे ये दवा बनाने वाली कंपनियों को बहुत फायदा होगा। ऐसी ही एक कंपनी में डोनाल्ड ट्रंप का शेयर है। साथ ही उस कंपनी के बड़े अधिकारियों के साथ डोनाल्ड ट्रंप के गहरे रिश्ते हैं।

 

भारत में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के अधिकउत्पादन की यह है वजह
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को प्लाकेनिल ब्रांड के नाम से भी बेचा जाता है। वेबसाइट पर लिखा है कि डोनाल्ड ट्रंप का फ्रांस की दवा कंपनी सैनोफी को लेकर व्यक्तिगत फायदा है। कंपनी में ट्रंप का शेयर भी है। ये कंपनी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को प्लाकेनिल ब्रांड के नाम से बाजार में बेचती है। मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन बेहद कारगर दवा है। भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोग मलेरिया की चपेट में आते हैं। इसलिए भारतीय दवा कंपनियां बड़े स्तर पर इसका उत्पादन करती हैं।

PunjabKesari

भारत ने दिया करारा जवाब
भारत में ये दवा बड़े स्तर पर बनाई जाती है। ट्रंप के धमकी भरे लहजे मांगी गई मदद पर भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि पहले भारत में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की जरूरतों और स्टॉक को देखने के बाद ही कोरोना प्रभावित देशों के ये दवा देने का फैसला लिया जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका जैसे देशों में यह दवा कोरोना वायरस के मरीजों को दी जा रही है और यह इसके उपचार में सहायक भी साबित हो रही है। इसी वजह से इसकी मांग और बढ़ गई है। हालांकि, हाल के दिनों में भारत में इस दवा के उत्पादन में थोड़ी कमी आई है। इसका निर्यात भी बंद किया गया था लेकिन वापस शुरू कर दिया गया।

PunjabKesari

इस दवा का है खास असर
हालांकि ये दवा एंटी मलेरिया ड्रग क्लोरोक्वीन से थोड़ी अलग दवा है। यह एक टेबलेट है, जिसका उपयोग ऑटोइम्यून रोगों जैसे कि संधिशोथ के इलाज में किया जाता है, लेकिन इसे कोरोना से बचाव में इस्तेमाल किए जाने की बात भी सामने आई है। इस दवा का खास असर सार्स-सीओवी-2 पर पड़ता है। यह वही वायरस है जो कोविड-2 का कारण बनता है। और यही कारण है कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन के टेबलेट्स कोरोना वायरस के मरीजों को दिए जा रहे हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Tanuja

Recommended News

Related News