ऑफ द रिकॉर्डः ब्रिटिश उच्चायुक्त ने क्यों एक माह में छोड़ा पद?

punjabkesari.in Friday, Sep 04, 2020 - 11:37 AM (IST)

नई दिल्लीः भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त सर फिलिप रॉबर्ट बार्टन के पदभार संभालने के एक माह बाद ही देश छोड़कर चले जाने के कारण सरकार सदमे और अविश्वास की स्थिति में है। इससे पहले राजनयिक ने 8 जुलाई को राष्ट्रपति के सामने प्रस्तुत दी थी और ट्वीट किया था कि वह दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध बनाने के लिए तत्पर रहेंगे। वहीं अगस्त में इसके उलट वह सबको चकित करते हुए अचानक चले गए। 

कुछ लोगों का मानना है कि मीडिया में उनके द्वारा दिया बयान कि  ‘विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण के लिए कोई समय सीमा नहीं दे सकते’, उनके  जाने का कारण बना। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि  भारतीय नौकरशाही नहीं चाहती कि ब्रिटिश कंपनियों को भारत में स्थापित होने का माहौल मिले। कई ब्रिटिश कंपनियां चीन से बाहर निकलने और भारत में अपनी स्थापना के लिए भारत आने को उत्सुक थीं, लेकिन सर रॉबर्ट ने पाया कि चीजें उस तरह से आगे नहीं बढ़ रही हैं जैसा उन्हें बढऩा चाहिए। 

उन्होंने सरकार के कई शीर्ष अधिकारियों और यहां तक कि कुछ मंत्रियों को भी बुलाया। वह उन सभी कंपनियों को जल्द से जल्द मंजूरी देना चाहते थे, जो शिफ्ट होना चाहती थीं। वैश्विक स्तर पर चीन से संबंधित हाल के घटनाक्रमों के बाद, बहुराष्ट्रीय कंपनियों में चीन से विस्थापित होने की इच्छा बढ़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी भी इसका पूरा फायदा लेने के इच्छुक हैं, लेकिन नौकरशाही तेजी से मंजूरियां नहीं दे रही है। 

ऐसी कंपनियों के लिए केंद्रीय स्तर पर कोई ‘वन-विंडो सेवा’ नहीं है, जैसा कि मोदी ने मुख्यमंत्री के रूप में गुजरात में किया था। केंद्र सरकार में अभी भी एक परियोजना को स्थापित करने के लिए 70 से अधिक मंजूरियों की आवश्यकता है और केंद्रीय रूप से कोई नियुक्त अधिकारी नहीं है। पी.एम. मोदी ने हाल ही में शीर्ष नौकरशाहों के साथ बैठक की थी कि ऐसा किया जाए। 

नीति आयोग को एक ऐसी परियोजना सौंपी जाए जो ऐसी परियोजनाओं के लिए शीर्ष पदों पर बाहरी लोगों को काम पर रखेगी। वहीं एक उदास राजनयिक सर फिलिप रॉबर्ट बार्टन अपने ज्वाइन करने के 30 दिनों के भीतर वापस लंदन लौट गए और एक अन्य राजनयिक असाइनमेंट में शामिल हो गए।


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Pardeep

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