सन 1962 के युद्ध के जांबाज को रक्षा मंत्री ने जब अनोखे अंदाज में दिया सम्मान, वीडियो हुआ वायरल
punjabkesari.in Thursday, Nov 18, 2021 - 06:18 PM (IST)
नेशनल डेस्कः रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पूर्वी लद्दाख के रेजांग ला में नए सिरे से बने युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया, जहां भारतीय सैनिकों ने 1962 में चीनी सेना का वीरता से मुकाबला किया था। स्मारक उन बहादुर भारतीय सैनिकों को समर्पित है, जिन्होंने रेजांग ला की लड़ाई में अपने प्राणों की आहूति दी थी। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक वॉर वेटरेन को विशेष सम्मान दिया।
वॉर वेटरेन का सम्मान
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 1962 की लड़ाई में चीन के खिलाफ बहादुरी के साथ लड़ने वाले 13 कुमाऊं रेजिमेंट के ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) आरवी जतार को व्हीलचेयर पर लेकर युद्ध स्मारक तक गए। इस अवसर पर उनके साथ चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ सीडीएस जनरल बिपिन रावत थे। जून 2020 में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में शहीद होने वाले भारतीय जवानों के नाम भी इस स्मारक में जोड़े गए हैं।
#WATCH | Leh, Ladakh: Brigadier (Retd) RV Jatar of 13 Kumaon, who bravely fought in the 1962 Sino-Indian conflict, escorted by Defence Minister Rajnath Singh: PRO Udhampur, Ministry of Defence
— ANI (@ANI) November 18, 2021
(Source: PRO Udhampur, Ministry of Defence) pic.twitter.com/6bXg7qeEpE
आर वी जातर ने युद्ध में निभाया था अहम रोल
ब्रिगेडियर आर वी जातर देश के उन वीर सैनिकों में से एक है जिन्होंने जरूरत पड़ने पर अपनी जान की परवाह किए बिना वीरता का परिचय दिया. चीन से युद्ध के समय जातर कंपनी कमांडर थे। 18 नवंबर 1962 को रेजांग ला की 18000 फीट की ऊंचाई पर ऐसी लड़ाई लड़ी की चीनी सैनिकों के हौसले पस्त हो गए। रक्षा मंत्री ने आर वी जातर को एस्कॉर्ट किया और कहा कि वह उनके साहस और वीरता को नमन करते हैं। जातर की कंपनी ने चीन को हर एक समय कड़ा जवाब दिया और रेजांग ला की पोस्ट पर उनका कब्जा नहीं होने दिया।
1300 चीनी सैनिक मारे गए
भारत के इतिहास में रेजांग ला दर्रे का एक अहम महत्व है. इसे भारत की ताकत और शौर्य के रूप में देखा जाता है। यह दर्रा चीनी के बेहद करीब है और इसे वास्तविक नियंत्रण रेखा के दूसरी तरफ से आसानी से देखा जा सकता है। रेजांग ला में विपरीत परिस्थितियों में 13 कुमाऊं रेजीमेंट की चार्ली कंपनी ने चीन को करारा जवाब दिया था। इस कंपनी में करीब 120 सैनिक थे और ज्यादातर सैनिक हरियाणा से संबंध रखते थे।
भारतीय सैनिकों के कपड़े ठंड से राहत देने वाले नहीं थे, न ही उनके पास चीन के मुकाबले गोला बारूद था, बावजूद इसके उन्होंन रेजांग ला में चीन को टक्कर दी और उसका कब्जा नहीं होने दिया। भारतीय सैनिकों की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रेजांग ला पर कब्जा करने की कोशिश में चीन के करीब 1300 सैनिक मारे गए थे।