ऑफ द रिकॉर्डः ‘बिहार में दो दशकों तक भाजपा’ का चेहरा रहे सुशील मोदी का क्या होगा?

punjabkesari.in Tuesday, Nov 24, 2020 - 05:38 AM (IST)

नई दिल्लीः बिहार में दो दशकों तक भाजपा का चेहरा रहे सुशील मोदी का राजनीतिक भविष्य अचानक अनिश्चितता के अंधेरे में चला गया है। पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेतली के साथी रहे सुशील मोदी के शब्द बिहार में कानून के बराबर होते थे। उनके विरोधी उन पर यह आरोप लगाते हैं कि सुशील मोदी ने भाजपा को बिहार में नीतीश कुमार की बी टीम बना दिया था। 
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जब बिहार में कोई विकल्प नहीं था तो पार्टी सारे कड़वे घूंट पी रही थी परंतु नरेंद्र मोदी को भाजपा का प्रधानमंत्री चेहरा प्रस्तुत किए जाने के बाद पासा पलट गया। षड्यंत्र की थ्योरी को हवा देने के लिए कई कहानियां बनाई जा रही हैं। उनमें से एक कहानी यह है कि सुशील मोदी ने 2013 में एक बयान दिया था कि नीतीश कुमार में ‘प्रधानमंत्री बनने के गुण हैं’। हालांकि नीतीश कुमार 2017 में लालू प्रसाद यादव से अपने मतभेदों के कारण एन.डी.ए. में लौट आए थे। 
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जेतली की मौत के बाद सुशील मोदी यह समझ नहीं सके कि दिल्ली में क्या चल रहा था। भाजपा ने पार्टी को बिहार में नीतीश कुमार की बी टीम बनने से रोकने के लिए कदम उठाए। पार्टी के लिए जे.पी. नड्डा बिहार के जानकार निकल आए। वह वहां पढ़े थे और उन्होंने वहां जीत हासिल करने के लिए योजना बनाई। बताया जाता है कि सुशील मोदी इस फार्मूले को स्वीकार करने से हिचकिचा रहे थे परंतु उनकी चली नहीं। 
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जब विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जनता दल (यू) से अधिक सीटें जीत लीं तो सुशील मोदी का भाग्य भी तय हो गया। सबसे पहले, सुशील मोदी को बिहार कैबिनेट में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एन.डी.ए.) की नई सरकार से दूर रखा गया। उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाने की बजाय उनके जूनियर नेताओं को यह पद दे दिया गया। 

नीतीश कुमार चाहते थे कि सुशील मोदी को भी कैबिनेट में शामिल किया जाए परंतु भाजपा ने इंकार कर दिया। सुशील मोदी स्पीकर भी नहीं बन सकते क्योंकि वह एक एम.एल.सी. हैं। अब उन्हें उम्मीद है कि शायद उन्हें  राज्यसभा में लाकर मंत्री पद दिया जा सकता है परंतु सीनियर मोदी उनके बारे में क्या सोच रहे हैं, यह उस पर निर्भर करेगा।   


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Pardeep

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