ऑफ द रिकॉर्डः ‘अपने खास नौकरशाह को उत्तर प्रदेश भेजने के पीछे क्या है मोदी के मन में’

punjabkesari.in Saturday, Jan 23, 2021 - 05:46 AM (IST)

नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश में भाजपा के विधान परिषद के नवनिर्वाचित सदस्य ए.के. शर्मा, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सर्वाधिक विश्वसनीय नौकरशाह रहे हैं, के बारे में अंतिम शब्द लिखा जाना बाकी है। ए.के. शर्मा को लेकर लखनऊ से दिल्ली तक के राजनीतिक गलियारों में असमंजस बना हआ है। 

मोदी जब 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे, शर्मा उनके खास अफसरों की टोली में शामिल थे। चाहे वह पी.के. मिश्रा हों, के. कैलाशनाथन हों, जे.सी. मुर्मू हों, आर.के. अस्थाना हों या ए.के. शर्मा हों, ये सभी मोदी के प्रधानमंत्री कार्यालय का हिस्सा बने हैं। जब 2014 में मोदी गुजरात से दिल्ली आए तो उनके साथ 12 अधिकारियों का यह समूह भी आया। इनमें से के. कैलाशनाथन को मोदी अपने पीछे गुजरात की मुख्यमंत्री का पद संभालने वाली आनंदीबेन पटेल के मुख्यमंत्री कार्यालय में बने रहने को कह आए थे। 

नौकरशाही हलके में के. कैलाशनाथन, जिन्हें के.के. कहकर पुकारा जाता है, का रुतबा गुजरात में कभी कम नहीं हुआ, चाहे कोई भी मुख्यमंत्री बने। विजय रूपानी के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वह राज्य के मुख्य प्रधान सचिव हैं और जब 2013 में मोदी मुख्यमंत्री थे, वह तब भी इसी पद पर थे। के.के. गुजरात में साहेब के प्रतिनिधि माने जाते हैं और मोदी भी सीधे उन्हीं से बात करते हैं और राज्य का चक्का चलता रहता है। 

पी.के. मिश्रा ने प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रधान सचिव के रूप में नृपेंद्र मिश्रा की जगह ली है और आर.के. अस्थाना एक ताकतवार आई.पी.एस. अधिकारी माने जाते हैं। जे.सी. मुर्मू को मोदी के आंख-कान बनाकर उपराज्यपाल के रूप में जम्मू-कश्मीर भेजा गया था लेकिन वह परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाए तो उन्हें वापस दिल्ली बुलाकर कैग बना दिया गया। 

मोदी की कार्यशैली की इस पृष्ठभूमि में ए.के. शर्मा को उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पारी खेलने के लिए भेजना अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा है। उत्तर प्रदेश में भाजपा के मामले देखने वाले किसी नेता के पास इस सवाल का जवाब नहीं कि शर्मा को विधान परिषद का सदस्य क्यों बनाकर भेजा गया? किसने उनके नाम का प्रस्ताव किया? मोदी ने अपने सबसे विश्वसनीय नौकरशाह को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास क्यों भेजा है? उत्तर प्रदेश के प्रशासन में उनकी क्या भूमिका होगी? क्या वह मुख्यमंत्री कार्यालय में रहेंगे या कैबिनेट मंत्री बनाए जाएंगे? किसी के पास जवाब नहीं। देखते हैं, मोदी क्या चाह रहे हैं? 


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Pardeep

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