जम्मू कश्मीर में बच्चों के शोषण के बढ़ते मामलों के पीछे है एक बड़ी वजह, आप भी जान लें
punjabkesari.in Thursday, Aug 06, 2020 - 07:19 PM (IST)
जम्मू: समाज को स्वस्थ्य और सकारात्मक सोच का करना है तो सबसे पहले जरूरी है कि बच्चों और उनके अधिकारों के प्रति एक संवेदनशील तरीका अपनाया जाए। एक देश के फलने-फूलने के पीछे एक बड़ा कारण होता है बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और उनके अधिकारों को सुरक्षित करना। बात अगर कश्मीर की करें तो धरती के इस स्वर्ग में आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक, कई तरह की समस्याएं हैं और इनमें एक बड़ी समस्या यह है कि बच्चों के अधिकारों का हनन होता है। हैरानगी की बात है कि यूनियन टैरेटरी में बच्चों के अधिकारों को लेकर कोई आयोग नहीं है। पोक्सो कानून के बाद भी बच्चों के प्रति हिंसा में कोई कमी नहीं है। उनका शोषण, रेप, शारीरिक हिंसा जारी है। बाल अपराध में कहीं कोई कमी नहीं है।
एक अध्ययन के अनुसार बच्चों के प्रति सैक्शयुल हिंसा उस समय गंभीर रूप् ले लेती है जब कोई रिश्तेदार या फिर अपना करीबी उसे सैक्शयुल एक्ट करने को फोर्स करता है। यह एक तरह का अपराध है जिसमें कोई प्रौढ़ या फिर युवा बच्चों को अपनी तृप्ति हेतु इस्तेमााल करता है। स्टडी से पता चलता है कि बच्चों को गलत तरीके से छूना, सैक्स के लिए फोर्स करना या फिर गलत तरीके से उसे पकड़ना सब अपराध है।जम्मू कश्मीर में बच्चों को यौन शोषण के प्रति जानकारी नहीं दी जाती है और यही कारण है कि बहुत सारे मामले कभी बाहर निकल कर नहीं आते हैं। जब एफआईआर नहीं होती है तो डाटा जमा करना भी कठिन हो जाता है।
टूट जाते हैं बच्चे
जिन बच्चों के साथ यौन शोषण होता है वे अक्सर अूट जाते हैं और अवसाद का शिकार हो जाते हैं। ऐसे बच्चों को परामर्श की आवश्यकता होती है। जम्मू कश्मीर में यौन शोषण को लेकर जागरूकता नहीं होने से ऐसे मामलों में इजाफा तो होता ही है साथ ही पीड़ित बच्चे भी मानसिक परेशानी का शिकार होते हैं।
कुछ ऐसे मामले
5 जून 2020 को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में एक तीन वर्ष के बच्चे का उसके 13 वर्षीय कजिन ने कथित तौर पर बलातकार किया और इस संदर्भ में पोक्सो कानून के तहतह मामला दर्ज कराया गया।
एक अन्य मामले में अनंतनाग में एक 14 वर्ष की लड़की को पेट दर्द की शिकायत पर अस्पताल ले जाया गया औरा डाक्टर ने उसे गर्भवती पाया। परिवार ने एक 35 वर्ष के रिश्तेदार पर रेप का आरोप लगाया।
मुुसाब उमर, सीएसए सरवाइवर ने बताया कि उसे 14 वर्ष लग गये यौन शोषण पर बोलने में। जब वह 14 वर्ष का था तो उसका रेप किया गया। बलातकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई पर दो महीने के कम समय में आरोपी को जमानत मिल गई। उसने कहा कि कश्मीर में सैक्स पर बात करना अभिशाप की तरह है। लोग बात नहीं करना चाहते हैं।
पहले मामले में पीड़ित और आरोपी दोनों की अल्पायु के हैं। क्या हुआ कि एक बच्चा अपने ही तीन साल की कजिन का रेप करता है। मतलब साफ है कि बच्चों को सैक्स एजूकेशन नहीं दी जाती है। दूसरे मामले में आरोपी परिपक्व है और पीड़ित अल्पायु। पीड़ित आठ महीने की गर्भवती हो गई और परिवार को पता नहीं चला। तीसरे मामले में पीड़ित को 14 वर्ष लग गये अपने खिलाफ हुये अपराध को बोलने में। उसका कहना है कि वो कई दिनों तक ठीक से चलने की क्षमता में नहीं था और परिवार ने इस बात को नोटिस नहीं किया।
सुझाव
पुलिस को प्रशिक्षण होना चाहिये कि ऐसे पीड़ितों के साथ कैसे पेश आया जाए।
स्कूलों में सैक्स एजूकेशन अनिवार्य होनी चाहिये। इसके लिए काउंसलर को नियुक्त किया जाना चाहिये।
बच्चों और शिक्षकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि बच्चे के व्यवहार में बदलाव क्यों आया।
परिवार को पीड़ित को फोर्स नहीं करना चाहिये कि वो अपना अनुभव उनसे बांटे।