जम्मू-कश्मीर में मार्तंड सूर्य मंदिर में ''पूजा'' नियमों का उल्लंघन, प्रशासन के साथ मुद्दा उठाया: एएसआई अधिकारी

punjabkesari.in Tuesday, May 10, 2022 - 03:55 PM (IST)


नयी दिल्ली : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में उसके द्वारा संरक्षित मार्तंड सूर्य मंदिर परिसर में आयोजित 'पूजा' नियमों का उल्लंघन है जिसमें उपराज्यपाल मनोज सिन्हा शामिल हुए थे। अधिकारियों ने कहा कि मुद्दा केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन के समक्ष उठाया गया है।

 

सिन्हा के प्राचीन मंदिर परिसर में 'नवग्रह अष्टमंगलम पूजा' में भाग लेने के एक दिन बाद एएसआई के अधिकारियों ने कहा कि इस पूजा के लिए संरक्षण निकाय से कोई अनुमति नहीं ली गई थी।

पूजा-अर्चना कार्यक्रम के लिए लिए केंद्रशासित प्रदेश के बाहर से पुजारियों को बुलाया गया था।

 

एएसआई के एक अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, "हमने अपनी चिंता जिला प्रशासन के समक्ष रखी है। उन्हें संदेश भेजा गया है कि यह हमारे नियमों का उल्लंघन है। पूजा के लिए हमसे कोई अनुमति नहीं मांगी गई थी। उपराज्यपाल ने मंदिर के अंदर नहीं, बल्कि इसके बाहर पूजा-अर्चना की, हालांकि वह भी नियमों का उल्लंघन है।"

अधिकारी ने कहा कि एएसआई ने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिला प्रशासन को अपनी नाराजगी से अवगत कराया है और इस मुद्दे पर चिंता जताई है।

 

प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1959 के नियम 7 (1) में कहा गया है कि केंद्र सरकार की लिखित अनुमति के बिना किसी संरक्षित स्मारक में बैठकें, स्वागत, दावत, मनोरंजन या सम्मेलन आयोजित नहीं किए जा सकते।

 

नियम 7 (2) कहता है कि यह "किसी मान्यता प्राप्त धार्मिक प्रथा या प्रथा के अनुसरण में" आयोजित होने वाले किसी भी कार्यक्रम पर लागू नहीं होना चाहिए।

अधिकारियों ने कहा कि नियमों के अनुसार, यदि कोई स्थल संरक्षण निकाय के अधिकार क्षेत्र में आने के समय पूजा-अर्चना का एक कार्यात्मक स्थान था, तो वह पूजा स्थल बना रहेगा।

 

अधिकारियों ने कहा कि हालांकि, मार्तंड सूर्य मंदिर ऐसा स्थल नहीं है, इसलिए अनुमति की जरूरत थी।

ऐसे संरक्षित स्थल जो एएसआई के कार्यभार संभालने के समय पूजा स्थल थे, उनमें जामिया मस्जिद, श्रीनगर और फतेहपुर सीकरी मस्जिद शामिल हैं।

आठवीं शताब्दी का मार्तंड मंदिर भारत के सबसे पुराने सूर्य मंदिरों में से एक है और अमूल्य प्राचीन आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है।

 

इस मुद्दे पर उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

रविवार को सिन्हा पूजा में शामिल हुए थे जो संतों, कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों और स्थानीय निवासियों की उपस्थिति में आयोजित की गई थी। उपराज्यपाल ने इस आयोजन को एक च्च्दिव्य अनुभवज्ज् करार दिया था।

 

इस अवसर पर, सिन्हा ने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व के प्राचीन स्थलों की रक्षा एवं विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

बाद में सिन्हा ने मंदिर में विभिन्न सुविधाओं की समीक्षा की। इस दौरान क्षेत्र की पर्यटन क्षमता के दोहन पर भी चर्चा हुई।


 


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Content Writer

Monika Jamwal

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