कोरोना की चेन को तोडऩे के लिए वैक्सीनेशन जरूरी, कोई साइड इफैक्ट नहीं

punjabkesari.in Saturday, Apr 17, 2021 - 11:57 AM (IST)

लुधियाना, 16 अप्रैल (विशेष): पंजाब में कोरोना वायरस संक्रमण के केस तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। अब कुल संक्रमितों का आंकड़ा 3 लाख की संख्या को छूने जा रहा है। लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइंस के मुताबिक लोगों को कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैक्सीनेशन शुरू हो गई है। राज्य के बाकी जिलों के साथ-साथ जिला लुधियाना ने भी 50 हजार वैक्सीनेशन का लक्ष्य हासिल कर लिया है।

 

वैक्सीनेशन को लेकर लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियां पाई जा रही हैं, जिनको दूर करने के लिए जिला लुधियाना के डिप्टी कमिश्नर वरिन्द्र कुमार शर्मा ने आज सोशल मीडिया पर एक मीडिया कर्मी की भूमिका में डॉक्टरों से सवाल किए। कुछ सवाल ऑनलाइन भी आए, जिनका जवाब डाक्टरों द्वारा बाखूबी दिया गया। डिप्टी कमिश्नर के साथ वार्ता में डॉ. विश्व मोहन प्रोफैसर ऑफ काॢडयोलॉजी दयानंद मैडीकल कॉलेज लुधियाना, डॉ. हरमिन्द्र सिंह पन्नू, डायरैक्टर ऑफ मैडिसिन, फोर्टिस हॉस्पिटल लुधियाना, डॉ. किरण गिल आहलूवालिया, नोडल इंचार्ज लुधियाना जोकि इससे पहले जिला टीकाकरण अफसर रही हैं, मौजूद थे और उनके नेतृत्व में 50 हजार वैक्सीनेशन का लक्ष्य हासिल किया गया है। बातचीत के दौरान डॉक्टरों ने कहा कि यदि किसी को कोरोना संक्रमण हो जाता है तो बजाय किसी दूसरे को दोष देने के हमें पहले ही स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइंस मुताबिक मास्क पहनना चाहिए, छह फीट की दूरी बनाकर रखनी चाहिए और बार-बार हाथ धोते रहना चाहिए। भीड़ में जाने से बचना चाहिए। जितनी देर तक हम यह नहीं करते हम एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराते रहेंगे। वहीं कोरोना की चेन को तोडऩे के लिए वैक्सीनेशन जरूरी है और हर किसी को लगवानी चाहिए।  


वैक्सीनेशन से इंफैक्शन रेट कम हो जाता है
 

डिप्टी कमिश्रर : लोगों में एक धारणा है कि कोरोना एक छूत की बीमारी है और वैक्सीनेशन से भी इसका इलाज नहीं होना है। फिर यह वैक्सीनेशन क्यों जरूरी है, इसका आम लोगों को क्या फायदा है।
डॉ. विश्व मोहन: एक वर्ष पहले जब दुनिया भर के साइंटिस्ट वैक्सीन की खोज में जुटे और अब जब वैक्सीन बन गई है और वैक्सीनेशन हो भी रही है, इसका मुख्य उद्देश्य लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है। वैक्सीनेशन होने से शरीर के अंदर एंटीबॉडीज बनने शुरू हो जाते हैं और इंफैक्शन रेट काफी कम हो जाता है। अगर किसी व्यक्ति के शरीर में वायरस प्रवेश कर भी जाता है तो यह वैक्सीनेशन सीरियस कंप्लीकेशन नहीं होने देता। वैक्सीनेशन का दूसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि यदि किसी व्यक्ति को दो वैक्सीनेशन के बाद इंफैक्शन हो भी जाती है तो इंफैक्शन मामूली होगी। तीसरा जो डैथ रेट है, जिनको वैक्सीन लगी है उनमें लगभग जीरो है। मुख्य तौर पर इसके दो फायदे हैं, एक तो हॉस्पिटलाइजेशन लगभग जीरो है तथा कोई कंप्लीकेशन नहीं है। कोई डैथ रेट नहीं होगी। इसके अलावा कोविड वायरस की चेन को तोडऩे में यह वैक्सीन फायदा करेगी।  

 

वैक्सीनेशन के लिए न छुट्टी की जरूरत, न घर बैठने की


डिप्टी कमिश्रर : लुधियाना कामकाज वाले लोगों का शहर है। एक तो वो लोग हैं जो मेहनत- मजदूरी करते हैं और दूसरे वे लोग हैं जो दफ्तरों में काम करते हैं। लोगों के मन में यह सवाल उठता रहता है कि अगल मैं टीकाकरण करवाऊंगा तो मुझे घर तो नहीं बैठना पड़ेगा? क्या मैं अपने दिन की ड्यूटी नॉर्मल तरीके से निभा सकता हूं? मुझे कोई समस्या तो नहीं होगी? या वैक्सीन का कितनी देर तक असर रहता है? सरकारी मुलाजिमों के लिए यह व्यवस्था की गई थी कि जब उन्होंने टीकाकरण करवाना है तो वे दफ्तर से घंटे-दो घंटे की छुट्टी लेकर जा सकते हैं।
डॉ. पन्नू: कोरोना की जो वैक्सीन उपलब्ध है इसके साइड इफैक्ट बहुत ही कम हैं। ज्यादातर लोग वैक्सीनेशन करवाकर अपनी ड्यूटी उसी समय शुरू कर सकते हैं। इसके लिए कोई छुट्टी नहीं लेने पड़ती और न ही घर बैठना पड़ता है। बहुत कम लोगों में जैसे कि बाजू में दर्द होना जोकि हम आम तौर पर किसी भी वैक्सीनेशन में देखते हैं आदि की समस्या हो सकती है। इससे किसी का कामकाज नहीं रुकता है। हमने खुद भी वैक्सीनेशन करवाकर साथ ही साथ काम किया है।  


कोई भी पहचान-पत्र ले जाकर करवाई जा सकती है वैक्सीनेशन

डिप्टी कमिश्रर : यह टीका कहां लगता है। सरकारी अस्पताल में लगता है या प्राइवेट अस्पताल में लगता है तथा क्या इसकी कोई फीस लगती है? इसके अलावा जब हमने टीकाकरण करवाना हो तो हमें कौन-कौन से कागज साथ लेकर जाने हैं तथा अगर किसी व्यक्ति ने घर बैठे रजिस्ट्रेशन करवानी है तो उन्हें क्या करना पड़ेगा। क्या रजिस्ट्रेशन जरूरी है या सीधे अस्पताल जाकर टीकाकरण करवाया जा सकता है।
डॉ. किरण: यदि किसी ने टीकाकरण करवाना है तो वह किसी भी सरकारी संस्था में जा सकता है या हमारे द्वारा जिला लुधियाना में बनाए गए 88 अस्पताल हैं, प्राइवेट वाले वहां जाकर टीकाकरण करवा सकते हैं। इसके अलावा डोर-टू-डोर अभियान चलाया गया है और मोहल्ला में कैंप लग रहे हैं वहां जाकर भी कोई व्यक्ति टीकाकरण करवा सकता है। अगर कोई व्यक्ति सरकारी अस्पताल जा रहा है या अभियान के तहत लग रहे कैंप में जा रहा है तो वहां उस व्यक्ति को मुफ्त टीका लगेगा तथा यदि कोई व्यक्ति प्राइवेट अस्पताल जाता है तो वहां सरकार की गाइडलाइंस मुताबिक 250 रुपए फीस लगती है। इसके अलावा टीकाकरण करवाने वाले व्यक्ति को अपने साथ फोटोयुक्त पहचान-पत्र के रूप में आधार कार्ड, बैंक की कॉपी, फैक्टरी/संस्था का आई कार्ड लेकर जाना है तथा घर बैठे भी रजिस्ट्रेशन हो सकती है या पहचान-पत्र साथ ले जाकर टीकाकरण कैंप में भी मौके पर रजिस्ट्रेशन करवाई जा सकती है।


जनन शक्ति या मर्दानगी पर कोई असर नहीं

डिप्टी कमिश्रर : गांवों में या अन्य जगहों पर कई हास्यस्पद बातें भी होती हैं कि क्या टीकाकरण का पुरुषों की जनन शक्ति या फिर मर्दानगी पर भी कोई असर पड़ता है या फिर नौजवानों पर आगे बच्चे पैदा करने का कोई असर है। क्या या अफवाह है या इसके पीछे कोई तथ्य हैं?
डॉ. विश्व मोहन:  वास्तव में जब से कोरोना वायरस फैला है और टीकाकरण शुरू हुआ है तब से ही हम कई अफवाहों से लड़ते आ रहे हैं। यह सब कुछ सोशल मीडिया द्वारा फैलाई गई अफवाहें थीं जो कुछ लोगों में फैल गईं। टीकाकरण कोई नई बात नहीं है और यह पिछले सौ वर्ष से चल रहा है। पोलियो, टैटनस, टायफाइड के टीके लगते आ रहे हैं आज तक इनका कोई साइड इफैक्ट नहीं है। ये सब बिना सिर-पैर के अफवाहें हैं। यह सौ फीसदी सुरक्षित है और इसका जनन शक्ति या फिर मर्दानगी पर कोई असर नहीं पड़ता है। इसी तरह महिलाओं में भी यह सवाल होता है कि क्या टीकाकरण से उनकी जनन शक्ति पर कोई असर पड़ता है। इस टीकाकरण का जनन शक्ति या लेडीज पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। सिर्फ गर्भवती महिला के लिए टीकाकरण की कोई गाइडलाइन नहीं है। बाकी सभी के लिए यह सुरक्षित है और वे लगवा सकते हैं।


50 दिन के भीतर कभी भी ली जा सकती है दूसरी डोज

डिप्टी कमिश्रर : वैक्सीनेशन की पहली और दूसरी डोज में कितना अंतर जरूरी है? पहले यह चार सप्ताह का था और कंप्यूटर पर मैसेज चार सप्ताह का फीड है। चार सप्ताह बाद जिन लोगों ने पहली डोज ली है उन्हें दूसरी डोज का मैसेज आ गया। इस तरह के मैसेज से कोई घबराने की जरूरत है या कितने दिन बाद दूसरी डोज के लिए जाना है।
डॉ. पन्नू: अपने देश में इस समय दो कोविड वैक्सीन उपयोग की जा रही हैं तथा जैसा कि समाचार मिल रहा है कि कुछ बाहर की वैक्सीन भी आएंंगी। पहली वैक्सीन है कोविशील्ड वैक्सीन। यह वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी एस्ट्राजेनका और सीरम इंस्टीच्यूूट ऑफ इंडिया के जरिए बनी है। शुरूआत में दो डोज के बीच अंतर चार सप्ताह का ही बताया गया था। एक बात ध्यान देने योग्य है कि ये वैक्सीन नई हैं और हर रोज इसके बारे में डाटा जनरेट हो रहा है। अब यह साबित हुआ है कि यदि वैक्सीनेशन इंटरवल 12 सप्ताह तक होगा तो इसका फायदा ज्यादा होगा। इसलिए इस टाइम इंटरवल में बदलाव किया गया है। इसलिए हम 6 से 8 सप्ताह के बीच कोविशील्ड की दूसरी डोज लगवा सकते हैं। दूसरी वैक्सीन भारत बायोटैक और नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी तथा आई.सी.एम.आर. द्वारा बनाई गई है। इस वैक्सीन में इंटरवल 4 सप्ताह का ही फिक्स है। जिन लोगों ने कोवैक्सीन लगवाई है उन्हें 4 सप्ताह बाद ही दूसरी डोज लगवानी चाहिए।  अगर किसी को 4 सप्ताह बाद भी मैसेज आ जाता है तो टीका लगवा लेना चाहिए, दूसरी डोज मिस नहीं होनी चाहिए। आने वाले दिनों में इस वैक्सीनेशन के बारे में और भी जानकारियां मिलेंगी तथा हो सकता है इस वैक्सीन के बूस्टर डोज भी आएंगे जो चार-छह महीने या फिर साल बाद लगवाने होंगे ताकि दोबारा हमें यह बीमारी किसी भी हालत में न आ सके। इसलिए आप 50 दिन तक दूसरी डोज लगवा सकते हैं।


लोगों द्वारा पूछे गए ऑनलाइन सवाल और उनके जवाब
45 वर्ष से कम रजिस्टर्ड लोगों को जरूर लगेगी दूसरी डोज
श्री गुरप्रीत जी का सवाल-केंद्र सरकार ने पिछले दिनों ही कहा है कि 45 वर्ष से नीचे वाले किसी भी व्यक्ति को वैक्सीन नहीं लगनी है। लेकिन बहुत से ऐसे लोग हैं जिनकी आयु 45 वर्ष से कम थी और उन्होंने वैक्सीन की पहली डोज ले ली थी। सरकार उनके लिए दूसरी डोज का प्रबंध करेगी या उन्हें दूसरी डोज मिस करवाई जाएगी।
डॉ. किरण : गुरप्रीत जी यदि आपको पहली डोज लग गई है और आप हमारे पास रजिस्टर्ड हैं तो आपको दूसरे डोज अवश्य लगेगी। इस संबंध में आपको मैसेज जरूर आएगा।  
कमलप्रीत का सवाल-जो महिलाएं बच्चों को मदर फीड देती हैं क्या वे टीका लगवा सकती हैं।
डॉ. किरण : जैसा कि विश्व मोहन जी ने पहले ही बताया है कि एक गर्भवती महिला और दूसरी मदर फीडिंग देती महिलाओं में यह इंजैक्शन नहीं लगाना है। इसलिए उन्हें यह टीका नहीं लगवाना चाहिए।


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Content Writer

vasudha

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