विश्वभर में शांति समझौतों में महिलाओं की कम भागीदारी से भारत निराश
punjabkesari.in Tuesday, Oct 22, 2019 - 12:49 PM (IST)
संयुक्त राष्ट्रः भारत ने विश्वभर में संघर्षों को रोकने के लिए होने वाले शांति समझौतों की प्रक्रिया में महिलाओं की कम भागीदार पर निराशा जताते हुए कहा कि संघर्ष की रोकथाम और पुनर्वास प्रक्रियाओं में महिलाओं की भागीदारी अत्यावश्यक है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में प्रथम सचिव पोलोमी त्रिपाठी ने रेखांकित किया कि पिछले तीन दशकों में जिन शांति समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, उनमें से ज्यादातर में किसी महिला के हस्ताक्षर नहीं थे और ज्यादातर शांति समझौते महिलाओं का संदर्भ देने और लिंग के आधार पर होने वाली हिंसा जैसी उनकी ज्यादातर समस्याओं को उठाने में विफल रहे।
त्रिपाठी ने शांति निर्माण आयोग की राजदूत स्तरीय बैठक में सोमवार को कहा, “ संघर्षों को रोकने, सुलझाने और संघर्ष के बाद पुनर्निर्माण प्रक्रियाओं में महिलाओं के योगदान को मान्यता दिए जाने के बावजूद उन्हें शांति प्रक्रियाओं के दौरान होने वाली बातचीत से अक्सर बाहर रखा जाता है।” उन्होंने कहा, “संघर्ष को रोकने और संघर्ष के बाद पुनरुद्धार कार्यों में महिलाओं की सहभागिता को संस्थागत करने की तत्काल जरूरत है। इसके लिए न सिर्फ निर्देशात्मक सलाह की, बल्कि जमीनी स्तर पर प्रतिबद्धता, क्षमता एवं संस्था निर्माण की भी जरूरत है।'' त्रि
त्रिपाठी ने इस बात को भी रेखांकित किया कि महिलाएं हिंसक चरमपंथ और संघर्ष संबंधी यौन हिंसा से निपटने में शुरुआती चेतावनी संकेत उपलब्ध कराने और हिंसा को बढ़ने से रोकने में सक्रिय भूमिका भी निभाती हैं। उन्होंने कहा, “शांति निर्माण में महिलाओं की सहभागिता मानवाधिकारों और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देती है, यह औपचारिक शांति समझौतों, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार निरोधी तंत्रों को लागू करने की बेहतर निगरानी में मदद करती है।”
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