गुजरात चुनाव : साबरकांठा में बेरोज़गारी का मुद्दा भाजपा को कर सकता है परेशान

punjabkesari.in Saturday, Dec 03, 2022 - 06:50 PM (IST)

नेशनल डेस्क : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गुजरात के दलित और आदिवासी समुदाय के वर्चस्व वाले साबरकांठा जिले की सभी चार सीटों को जीतने की उम्मीद कर रही है। हालांकि बेरोज़गारी एक अहम मुद्दा बन गया है जिसे सत्तारूढ़ पार्टी हिंदुत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘करिशमे' से बेअसर करने की कोशिश में है। दूसरी ओर कांग्रेस इस जिले में अधिक सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है और जिले के ग्रामीण इलाकों में खामोशी से प्रचार कर रही है। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में चार में से एक सीट जीती थी।

इस बार आम आदमी पार्टी (आप) भी मैदाम में है। ‘आप' का असर खेड़ब्रह्मा को छोड़कर बाकी तीनों सीटों पर नहीं है। वहीं कांग्रेस और भाजपा से बगावत कर निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहे नेता दो सीटों पर दोनों दलों के लिए परेशानी पैदा कर सकते हैं। साबरकांठा में दूसरे चरण के तहत पांच दिसंबर को मतदान होना है जिसमें हिम्मतनगर, इडर, खेड़ब्रह्मा और प्रांतिज विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। कांग्रेस के गढ़ कहे जाने वाले खेड़ब्रह्मा को छोड़कर, भाजपा ने 2017 में शेष तीन सीटों पर जीत हासिल की थी। जिले में लगभग 11 लाख मतदाता हैं, जिनमें अनुसूचित जनजाति के 30 प्रतिशत वोटर शामिल हैं।

अनुसूचित जाति समुदाय के कुल मतदाताओं की आबादी 20 प्रतिशत है जबकि मुस्लिम लगभग दो फीसदी और पटेल 10 प्रतिशत हैं जबकि शेष में क्षत्रिय, राजपूत, कोली, ब्राह्मण और अन्य समुदाय शामिल हैं। लगभग 85 प्रतिशत मतदाता ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और जिले की अर्थव्यवस्था कृषि, लघु व्यवसाय और हिम्मतनगर में मिट्टी के बरतन बनाने वाले उद्योग और दूध प्रसंस्करण के इर्द-गिर्द घूमती है। अनुसूचित जाति (एससी), क्षत्रिय, ब्राह्मण और राजपूत पिछले दो दशकों से भाजपा के प्रतिबद्ध मतदाता रहे हैं, लेकिन प्रभावशाली पाटीदार समुदाय 2012 तक भाजपा के साथ था लेकिन समुदाय का एक बड़ा वर्ग आरक्षण आंदोलन के बाद पार्टी से छिटक गया।

जिले में अनुसूचित जाति (एसटी), कोली समुदाय और अल्पसंख्यकों की पहली पसंद कांग्रेस रही है। जिले में बेरोजगारी एक प्रमुख मुद्दे के रूप में उभरा है। भाजपा हिंदुत्व और मोदी के सहारे है और उद्योगों को स्थापित करने का वादा कर मतदाताओं को लुभा रही है। भाजपा नेता विजय पंड्या ने कहा, “ हमें इस बार सभी सीटें जीतने का पूरा भरोसा है। यहां के लोग खुद को हमारी विचारधारा से जोड़कर देखते हैं और राज्य के किसी भी अन्य हिस्से की तरह यहां भी प्रधानमंत्री मोदी के काफी समर्थक हैं। हमने क्षेत्र में बड़ी विनिर्माण इकाई लगाने का वादा किया है, ताकि युवाओं को कहीं और न जाना पड़े।”

साबरकांठा जिला 2002 में गोधरा की घटना के बाद हुए दंगों का दंश भी झेल चुका है। जिले में दलितों और अन्य समुदायों के बीच भाजपा का मजबूत आधार है। गोधरा ट्रेन आगजनी की घटना में जान गंवाने वाले कुछ 'कारसेवक' जिले के थे। हालांकि यहां के आदिवासी कांग्रेस और भाजपा में बंटे हुए हैं। अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी कम है जो जिले में दंगों के बाद अन्य क्षेत्रों में पलायन कर गए। खेड़ब्रह्मा के आदिवासी पिछले कई चुनावों से कांग्रेस के प्रतिबद्ध मतदाता रहे हैं, जबकि इडर और अन्य विधानसभा क्षेत्रों में वह भाजपा को वोट देते हैं।

नाम न छापने की शर्त पर एक भाजपा के एक नेता ने कहा, "जब तक भाजपा यहां है, हिंदू जिले में सुरक्षित हैं। साबरकांठा इस बात का उदाहरण है कि हिंदुत्व विचारधारा का भाईचारा कितना मजबूत हो सकता है।" इस जिले में भाजपा के लिए एक और बड़ी बाधा उम्मीदवारों के चयन को लेकर कार्यकर्ताओं में आपसी कलह और नाराजगी है। खेड़ब्रह्मा सीट जीतने की कोशिश में भाजपा ने तीन बार के कांग्रेस विधायक अश्विन कोतवाल को पार्टी में शामिल किया और उन्हें इस सीट से टिकट दे दिया, जिसने पार्टी में टिकट चाहने वालों और पुराने लोगों के एक वर्ग को नाराज कर दिया।

इस क्षेत्र में आदिवासियों की संख्या सबसे अधिक है और यह सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय के लिए आरक्षित है। ‘आप' इस सीट पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकती है, क्योंकि इसने एक स्थानीय आदिवासी नेता को अपना उम्मीदवार बनाया है। नब्बे के दशक से भाजपा का गढ़ रही इडर सीट से पार्टी ने अपने मौजूदा विधायक और अभिनेता हितू कनोडिया की जगह अपने पूर्व विधायक रमनलाल वोरा को टिकट दिया है। वोरा जिले में पार्टी के सबसे कद्दावर दलित नेता हैं। क्षेत्र में भाजपा से समुदाय के लोग नाराज़ है और कांग्रेस को पटेल समुदाय की मदद से यह सीट जीतने की की उम्मीद है।

पूरे राज्य की तरह कांग्रेस साबरकांठा में भी खामोशी से प्रचार कर रही है। कांग्रेस क्षेत्र में जनता के बीच पहुंचकर, भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को भुनाने की कोशिश कर रही है और इस क्षेत्र में युवाओं के लिए रोजगार का वादा कर रही है। जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पटेल ने कहा, "भाजपा ने जिले में रोजगार सृजित करने के लिए कुछ नहीं किया है। अधिकांश युवा रोजगार के लिए राज्य या देश के अन्य हिस्सों में जाते हैं। भाजपा के हिंदुत्व और नरेंद्र मोदी का जादू इस बार नहीं चलेगा।" दिलचस्प है कि साबरकांठा लोकसभा सीट का तीन बार प्रतिनिधित्व गुलजारलाल नंदा ने किया, जो दो बार अंतरिम प्रधानमंत्री रहे।


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News Editor

Parveen Kumar

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