UK में फिर भड़का खालिस्तान का मुद्दा, सिख फेडरेशन ने ब्रिटिश MP पर भाजपा को लेकर साधा निशाना

punjabkesari.in Sunday, Aug 09, 2020 - 02:59 PM (IST)

लंदनः ब्रिटेन में 'रेफरेंडम 2020' खालिस्तान के पक्ष में फिर सिख समूहों ने आवाज उठाई है। यहां एक बार फिर खालिस्तान को लेकर बयानबाजी का दौर शुरू हो गया। ब्रिटेन के प्रमुख सिख समूह सिख फेडरेशन ने कंजर्वेटिव पार्टी की सांसद पीयर लॉर्ड रामी रेंजर पर भाजपा हितैषी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए रामी पर सिखों के अधिकारों और उनकी जायज मांगों की कीमत पर हिंदुत्व और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली भारत सरकार के हितों के लिए काम करने का आरोप लगाया है।

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सिख फेडरेशन ने संसद की पहली सिख महिला सदस्य और शैडो इंटरनेशनल डेवलपमेंट सेक्रेटरी प्रीत कौल गिल के सांसद और कंजर्वेटिव पार्टी के लॉर्ड रामिंदर रेंजर के बीच सोशल मीडिया पर विवाद होने के बाद यह आरोप लगाया। बता दें कि  रामी रंगी ने एक ट्वीट में दावा किया था कि ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन खालिस्तान का समर्थन नहीं किया है। उन्होंने लिखा था " मैंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री, बोरिस जॉनसन सांसद के साथ बात की, जिन्होंने स्पष्ट रूप से मुझे आश्वासन दिया कि ब्रिटिश सरकार खालिस्तान आंदोलन का समर्थन नहीं करती है। धन्यवाद PM।"

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उनके दावे का जवाब देते हुए, लेबर सांसद प्रीत कौल गिल ने  खालिस्तान की एक अलग मातृभूमि के लिए सिखों की मांगों के संदर्भ में लिखा कि "संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद I में आत्मनिर्णय का सिद्धांत प्रमुखता से सन्निहित है"। इसके जवाब में बर्मिंघम एजबेस्टन से संसद सदस्य ने कहा "यह जुड़वां मानवाधिकार वाचा (नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय करार (ICCPR) और (ICESCR) में पहले अधिकार के रूप में समाहित है।"

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गिल ने आगे स्पष्ट किया कि भले ही प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने यह दावा किया हो, लेकिन वह कानून से ऊपर नहीं । ब्रिटेन में सिख समुदाय ने लॉर्ड रेंजर द्वारा दिए गए गैरजिम्मेदाराना बयान के खिलाफ बहुत गुस्से से जवाब दिया है क्योंकि उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री और ब्रिटिश सरकार सिख समुदाय के आत्मनिर्णय के अधिकार में विश्वास नहीं करती ।

 

क्या है रेफरेंडम 2020 विवाद?
दरअसल, सिख फॉर जस्टिस (SFJ) नाम का एक समूह पिछले कई सालों से खालिस्तान की मांग को लेकर लंदन में माहौल बना रहा है। SFJ  का कहना है कि उनका मकसद इस मामले को संयुक्त राष्ट्र तक ले जाना है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को यह भी बताना है कि पंजाब की जो स्वतंत्र स्थिति पहले थी, उसे फिर से कायम किया जाए।  वहीं, भारत सरकार ने इस रैली का कड़ा विरोध जताया है और सरकार इन्हें अलगवावादी बता रही है।


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Tanuja

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