गुजरात दंगे के दो चेहरे: एक ने खोली दुकान, दूसरा उद्घाटन करने पहुंचा

punjabkesari.in Tuesday, Sep 10, 2019 - 08:57 PM (IST)

नेशनल डेस्कः गुजरात दंगे का चेहरा रहे दो लोग एक बार फिर साथ आए हैं। अशोक परमार और कुतुबुद्दीन अंसारी चाहे-अनचाहे गुजरात के 2002 के दंगे के बरबस याद आने वाले दो चेहरे बन गए हैं। दोनों शुक्रवार को यहां जूते की दुकान का उद्घाटन करने के लिए साथ आए और उन्होंने एकता का संदेश दिया। लोहे की छड़ लहराते हुए अशोक परमार की तस्वीर उस हिंसक भीड़ का प्रतीक बन गई थी, जो गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद मार-काट पर उतर आई थी। अंसारी की तस्वीर दंगे के शिकार लोगों के दुख डर, बेसहारापन और निराशा दर्शाती है। उनकी यह तस्वीर दंगे की एक भयावह तस्वीर पेश करती है।
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यह दंगा भारत की सांप्रदायिक हिंसा की सबसे भयावह घटनाओं में एक था। शुक्रवार को जब अंसारी और परमार यहां दिल्ली दरवाजा इलाके में परमार की दुकान का उद्घाटन करने एक साथ पहुंचे तब सभी की आंखों उन्हीं पर टिकी थीं। परमार ने इस दुकान का नाम 'एकता चप्पल शॉप' रखा है।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने 2012 में दोनों की बैठक कराई थी, तब से दोनों मित्र हैं। परमार ने कहा, "हम दुनिया को बताना चाहते हैं कि हम बतौर इंसान एक हैं और एक दूसरे के धर्म का आदर करते हैं। अहमदाबाद अतीत में सांप्रदायिक दंगों के लिए जाना जाता था लेकिन अब इसे हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए जाना जाना चाहिए। हममें से कोई हिंसा नहीं चाहता।"

परमार पहले जीविका के लिए जूतों की मरम्मत करते थे। उन्हें जूते की दुकान खोलने के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की केरल इकाई से वित्तीय मदद मिली। 2002 के दंगे को लेकर व्यापक रूप से छाई तस्वीरों में जहां परमार हाथ में लोहे की छड़ लहरा रहे हैं, उनकी आंखें लाल हैं और पृष्ठभूमि में टायरों के जलने का दृश्य है, वहीं अंसारी हाथ जोड़े हुए हैं और उनकी आंखें डबडबायी हुई हैं तथा वह दंगाइयों से दया की भीख मांग रहे हैं। 
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परमार ने उन स्थितियों को याद करते हुए कहा, "गोधरा में जो कुछ हुआ और अहमदबाद में दंगे के दौरान जो हो रहा था, उससे मैं नाराज था। मैं दिहाड़ी मजदूर था। हिंसा के कारण मैं कुछ कमा नहीं पा रहा था जिससे मैं नाराज था।" उन्होंने कहा, "लेकिन फोटोग्राफ में मेरी भावना को सही तरीके से नहीं दर्शाया गया और गलत तरीके से मेरा संबंध हिंसा से जोड़ दिया गया। मैं भाजपा और बजरंग दल से जुड़ा था जो गलत है।" 
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अंसारी ने कहा, "हम अच्छे दोस्त हैं। हम नियमित रूप से एक दूसरे से मिलते हैं। वह चाहता था कि मैं उसकी दुकान का उद्घाटन करूं। मैं उसके जीवन में अच्छे की कामना करता हूं।"


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Yaspal

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