''अशोक स्तम्भ'' को लेकर आप के संजय सिंह ने छेड़ा ''ट्विटर वॉर'' तो कपिल मिश्रा ने कहा- भगवंत मान की दवाई पीकर ट्वीट मत करो
punjabkesari.in Tuesday, Jul 12, 2022 - 03:43 PM (IST)
नई दिल्ली: नये संसद भवन में राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को लेकर इन दिनों काफी विवाद चल रहा है । दरअसल, विपक्ष की ओर से मौजूदा सरकार पर संसद भवन परिसर में राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तम्भ में बदलाव करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। जिसे लेकर विपक्ष लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेर रहे है।
इस बीच आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजय सिंह ने एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा, 'मैं 130 करोड़ भारतवासियों से पूछना चाहता हूँ राष्ट्रीय चिन्ह बदलने वालों को “राष्ट्र विरोधी” बोलना चाहिये की नही बोलना चाहिये।'
दरअसल, संजय सिंह ने जिस ट्वीट को रिट्वीट किया है, उसमें अशोक स्तम्भ की नई और पुरानी तस्वीर जिसे लेकर ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा, आप स्वतः ही निष्कर्ष निकालें...नीचे हमारे राष्ट्रीय चिन्ह की 2 तस्वीरें हैं। एक में सिंह जिम्मेदार शासक की तरह गंभीर मुद्रा में दिख रहा है और दूसरे में सिर्फ आदमखोर शासक की भूमिका मे खौफ फैलाने जैसा….'
संजय सिंह जी, भगवंत मान जी वाली दवाई पीकर ट्वीट मत किया कीजिये , आप झेल नहीं पाते 😀
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) July 11, 2022
अशोक चिन्ह के शेर को आदमखोर कह कर आप केवल खुद की बची खुची इज्जत का केजरीवाल बनवा रहे हो 😀😀😀😀 https://t.co/5wtc7MTgQ9
जिसके बाद की यूजर्स ने इस पर अपनी अपनी प्रतिक्रिा दी, जिसमें से एक ने लिखा कि झूठ मत फैलाओ कुछ नहीं बदला है वहाँ कोई सांड नही था @SanjayAzadSln, पहले भी शेर ही था और अब भी शेर ही है। पूछना है तो ये पूछो कि क्या ये राष्ट्र विरोधी नही है.?
वहीं कपिल मिश्रा ने जवाब में लिखा कि संजय सिंह जी, भगवंत मान जी वाली दवाई पीकर ट्वीट मत किया कीजिये , आप झेल नहीं पाते। अशोक चिन्ह के शेर को आदमखोर कह कर आप केवल खुद की बची खुची इज्जत का केजरीवाल बनवा रहे हो।
मैं 130 करोड़ भारतवासियों से पूछना चाहता हूँ राष्ट्रीय चिन्ह बदलने वालों को “राष्ट्र विरोधी”बोलना चाहिये की नही बोलना चाहिये। https://t.co/JxhsROGMRi
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) July 11, 2022
वहीं इससे पहले सोमवार को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी एतराज जताते हुए ट्वीट किया था कि संविधान संसद, सरकार और न्यायपालिका के अधिकारों को पृथक करता है। सरकार का प्रमुख होने के नाते, प्रधानमंत्री को नए संसद भवन में राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण नहीं करना चाहिए था। लोकसभा के अध्यक्ष लोकसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं और लोकसभा सरकार के अधीन नहीं है। प्रधानमंत्री ने संवैधानिक मानदंडों का उल्लंघन किया है।
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