ट्रैक्टर रैली पर टली सुनवाई, SC ने कहा- दिल्ली में कौन आएगा-कौन नहीं, इस पर हम नहीं पुलिस लेगी फैसल

punjabkesari.in Monday, Jan 18, 2021 - 12:09 PM (IST)

नेशनल डेस्क: केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं किसान यूनियनों गणतंत्र दिवस के अवसर पर  ट्रैक्टर परेड निकालने पर अड़े हुए हैं। किसानों ने ऐलान किया कि वह दिल्ली में अपनी प्रस्तावित ट्रैक्टर परेड निकालेंगे और कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे। इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट  ने सुनवाई करते हुए कहा कि  राजधानी  में कौन प्रवेश करेगा यह दिल्ली पुलिस तय करेगी। हालांकि अदालत में बुधवार को फिर मामला सुना जाएगा। 

 

शहर में कितने लोग, कैसे आएंगे ये पुलिस तय करे: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि  रामलीला मैदान में प्रदर्शन की इजाजत पर पुलिस को फैसला करना है, साथ ही अदालत ने कहा कि शहर में कितने लोग, कैसे आएंगे ये पुलिस तय करेगी। चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या अब अदालत को बताना होगा कि सरकार के पास पुलिस एक्ट के तहत क्या शक्ति है। न्यायालय ने केंद्र सरकार की उस याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में व्यवधान डाल सकने वाले किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था।

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शांतिपूर्ण होगी परेड: योगेंद्र यादव 
यूनियन नेता योगेंद्र यादव ने सिंघू सीमा स्थित प्रदर्शन स्थल पर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हम गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में बाहरी रिंग रोड पर एक ट्रैक्टर परेड करेंगे। परेड बहुत शांतिपूर्ण होगी। गणतंत्र दिवस परेड में कोई भी व्यवधान नहीं होगा। किसान अपने ट्रैक्टरों पर राष्ट्रीय ध्वज लगाएंगे। प्राधिकारियों ने किसानों द्वारा प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च या ऐसे किसी अन्य प्रकार के विरोध प्रदर्शन पर रोक की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय का रुख किया है ताकि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह में किसी तरह की बाधा न आये।

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अड़ियल रुख छोड़ दें किसान: तोमर 
वहीं  नये कृषि कानूनों को लेकर 19 जनवरी को होने वाली दसवें दौर की वार्ता से पहले कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने रविवार को किसान नेताओं से फिर आग्रह किया कि वे नए कृषि कानूनों पर अपना अड़ियल रुख छोड़ दें और कानूनों की हर धारा पर चर्चा के लिए आएं। तोमर ने कहा कि अब जबकि उच्चतम न्यायालय ने इन कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है तो ऐसे में अड़ियल रुख अपनाने का कोई सवाल हीं नहीं उठता है। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि किसान नेता 19 जनवरी को होने वाली अगली बैठक में कानून की हर धारा पर चर्चा के लिए आएं। कानूनों को निरस्त करने की मांग को छोड़कर, सरकार गंभीरता से और खुले मन के साथ अन्य विकल्पों पर विचार करने के लिए तैयार है

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किसानों की आय को दोगुना करना हमारी प्राथमिकता: शाह 
इसके अलावा केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कर्नाटक के बागलकोट में कहा कि किसानों की आय को दोगुना करना केन्द्र सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है और तीन केंद्रीय कृषि कानून उनकी आय में कई गुना वृद्धि सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए बजट और विभिन्न फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया था। हालांकि भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) नेता राकेश टिकैत ने रविवार को कहा कि किसान केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ मई 2024 तकप्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं और दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसानों का आंदोलन वैचारिक क्रांति  है। उन्होंने कहा कि  हमारी मांग है कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाए और सरकार एमएसपी को कानूनी गारंटी प्रदान करे। 

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सरकार किसान संगठनों के बीच हुई नौ दौर की वार्ता 
गौरतलब है कि सरकार और प्रदर्शनकारी 41 किसान संगठनों के बीच अब तक नौ दौर की वार्ता हुई है लेकिन गतिरोध दूर नहीं हो सका है। दरअसल, आंदोलनरत किसान संगठन तीनों कानूनों को पूरी तरह रद्द करने की मांग कर रहे हैं। पिछली बैठक में केंद्र ने सुझाव दिया था कि प्रदर्शन को समाप्त करने को लेकर 19 जनवरी की बैठक के लिए किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों पर एक ठोस प्रस्ताव तैयार करने के लिए अपना अनौपचारिक समूह बनाएं। एक अन्य किसान यूनियन नेता दर्शन पाल सिंह ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) उन लोगों के खिलाफ मामले दर्ज कर रही है जो विरोध प्रदर्शन का हिस्सा हैं या इसका समर्थन कर रहे हैं।  पाल का इशारा एनआईए द्वारा उन समन की ओर था जो प्रतिबंधित संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस' से जुड़े एक मामले में एक किसान यूनियन नेता को कथित तौर पर जारी किये गए हैं। 


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vasudha

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