सर्द मौसम हो या खतरनाक खाई, घुसपैठ रोकने के लिए बर्फ की मोटी चादर के बीच जवान करते हैं गश्त

punjabkesari.in Thursday, Jan 20, 2022 - 07:31 PM (IST)

नेशनल डेस्क: पुंछ सेक्टर में कमर तक की बर्फ की मोटी चादर के बीच भारतीय जवान भीषण ठंड एवं दुर्गम क्षेत्र के बावजूद गश्त करते हैं एवं नियंत्रण रेखा के उस पार से घुसपैठ के लिए तैयार बैठे आतंकवादियों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं। सिपाही सुरिंदर सिंह (परिवर्तित नाम) आतंकवादियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पुंछ सेक्टर में नियंत्रण रेखा के समीप 7000 फुट की ऊंचाई पर बर्फ को चीरते हुए रोज अग्रिम चौकी पर जाते हैं। ये आतंकवादी पलक झपकते हुए घुसपैठ के लिए तैयार बैठे रहते हैं। अपने निगरानी उपकरणों से अग्रिम चौकी पर निगरानी कर रहे एक सैनिक ने यात्रा पर आये पत्रकारों से कहा, ‘‘बर्फबारी हो या नहीं-- सर्द मौसम हो या खतरनाक खाई--भले ही हमलों का खतरा हो, हमारा मनोबल नियंत्रण रेखा के आसपास सदैव चौकसी के लिए हमेशा ऊंचा रहता है। हम ऐसी स्थितियों एवं परिस्थितियों से डरते नहीं हैं।''
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इन सैनिकों को हमेशा पाकिस्तान की ओर से चालबाज दुश्मन सैनिकों के नापाक मंसूबों, घुसपैठ की फिराक में बैठे आतंकवादियों, पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम के हमले के खतरे, प्रतिकूल मौसम, स्थलाकृति से हमेशा लोहा लेना पड़ता है। एक अन्य जवान ने कहा कि उन्हें नियंत्रण रेखा की रखवाली की खातिर लंबी गश्त के दौरान बर्फ, भीषण सर्दी और दुर्गम क्षेत्र से दो-चार होना पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘‘नियंत्रण रेखा पर बादल छा जाने या बर्फ गिरने के दौरान दृश्यता इतनी घट जाती है कि हम महज कुछ मीटर की दूरी पर भी अपने जवानों को नहीं देख पाते हैं। साथ ही, हमें पाकिस्तान के नापाक मंसूबों से अपने आप को भी बचाना पड़ता है।''
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सैनिकों ने कहा कि सर्दियों के दौरान रस्सियों की मदद से नियंत्रण रेखा पर गश्त के लिए सेना अग्रिम एवं पहाड़ी चौकियों पर रस्सियों का जाल तैयार करती है। उन्होंने कहा कि उनके पास इजराइल निर्मिम मशीन गन ‘नेगेव एनजी-7' और उच्च प्रौद्योगिकी निगरानी उपकरण समेत नयी प्रकार की राइफल हैं। एनजी-7 एसएलआर स्वचालित राइफल है और यह एक मिनट में 600-700 गोलियां दाग सकती हैं। पिछले साल ही नियंत्रण रेखा के लिए इसे सेना में शामिल किया गया था। आठ किलो वजनी यह राइफल एक किलोमीटर तक लक्ष्य भेद सकती है। एक सैन्यकर्मी ने कहा, ‘‘हिमपात के कारण हम रस्सियों की मदद से आते-जाते हैं और नियंत्रण रेखा पर गश्त करते हैं।
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सर्दियों से पहले इसे रणनीति के तौर पर लगा दिया जाता है।'' हाजीपुर चोटी पर तैनात एक अन्य जवान ने कहा कि उनके पास अब इजराइली हथियार हैं जिन्होंने इंसास राइफल की जगह ली है। अधिकारियों का कहना है कि नियंत्रण रेखा पर गश्त करना, लांचिंग पैड एवं घुसैपठ करते आतंकवादियों पर नजर रखना, नियंत्रण रेखा के पार की गतिविधियां देखना, पाकिस्तान की बैट टीम से चौकन्ना रहना एवं किसी घुसपैठ से बाड़ की रक्षा करना रोजाना का काम है। साथ ही, भारतीय सेना को समय समय पर बदलते मौसम में अपनी सुरक्षा को भी ध्यान रखना होता है।


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Content Editor

rajesh kumar

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