ऑफ द रिकॉर्डः यातना के मध्यकालीन हथियारों से चीन की क्रूरता दुनिया को दिखाने का वक्त

punjabkesari.in Friday, Jun 26, 2020 - 05:28 AM (IST)

नई दिल्लीः 15 जून की घातक रात को पीछे हटने के बजाय चीनी सैनिकों ने जब यातना देने वाले मध्यकालीन हथियारों से कर्नल संतोष बाबू व अन्य भारतीय सैैनिकों पर अचानक हमला किया था तो उन्होंने निश्चित रूप से जिनेवा संधि का उल्लंघन किया था। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल.ए.सी.) के दो किलोमीटर दायरे में गोली चलाने और धमाके करने से दोनों तरफ के सैनिकों को रोकने के लिए भारत और चीन के बीच समझौते हुए हैं। 
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तत्कालीन प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के समय 1996 में हस्ताक्षरित समझौते में साफ-साफ लिखा गया है कि दोनों देशों को एल.ए.सी. पर क्या-क्या करना है और क्या-क्या नहीं करना है। परंतु चीनी सैनिकों ने शरारातपूर्ण हमले में भारतीय गश्ती टीम पर कील लगे डंडों, कंटीली तारों से बंधे बड़े पत्थरों आदि से वार किए। इन हथियारों के प्रतिबंध की बात चाहे 1996 के समझौते में न कही गई हो परंतु 1949 की जिनेवा संधि में 1977 में जोड़े गए प्रोटोकोल-1 में ऐसे मध्यकालीन हथियारों के इस्तेमाल पर सख्त पांबदी है। 
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यह जानकारी भी रोचक है कि मूल जिनेवा संधि में 1977 का प्रोटोकोल 1962 में भारत पर चीनी आक्रमण के बाद जोड़ा गया था। इस प्रोटोकोल के अनुच्छेद-35 के भाग-3 में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी सशस्त्र लड़ाई में युद्ध के तरीके और साधन अमर्यादित ढंग से प्रयोग नहीं किए जा सकते हैं। प्रोटोकोल ऐसे किसी भी हथियार, सामग्री और तरीके के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करता है जिससे अत्यधिक चोट या अनावश्यक पीड़ा पहुंचती हो।
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भारत सरकार ने यातना देने वाले इन मध्यकालीन हथियारों पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है और न ही कोई अन्य तफसील दी है। परंतु सूत्रों के अनुसार भारत इस बात पर विचार कर रहा है कि चूंकि यह हमला बर्बरता है और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है तो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के बीच इसको व्यापक रूप से दिखाया जाए। 

कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र ले जाने की पूर्व प्रधानमंत्री की गलती का भारत को एहसास है परंतु यातना देने वाले मध्यकालीन डंडों का इस्तेमाल बिल्कुल दूसरा मामला है। भारत अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का गैर-स्थायी सदस्य बन गया है इसलिए कुछ लोग महसूस करते हैं कि भारत को चीनी क्रूरता के विरुद्ध वैश्विक जनमत खड़ा करना चाहिए।


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Pardeep

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