...दिस इज नॉनसेंस, आईआईटी अपने वादे से कैसे हट सकता है?

punjabkesari.in Thursday, Jul 30, 2020 - 12:23 AM (IST)

नई दिल्लीः ‘‘सात महीने बाद आईआईटी मुंबई अपने वायदे से पीछे कैसे हट सकता है? यह बकवास है (दिस इज नॉनसेंस)। यह अदालत की अवमानना है।'' नाराजगी भरी यह टिप्पणी उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अरुण कुमार मिश्रा ने बुधवार को की।

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर स्मॉग टावर प्रोजेक्ट से पीछे हटने को लेकर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मुंबई) के प्रति उस वक्त नाराजगी जताई, जब सॉलिसिटर जनरल ने उनकी अध्यक्षता वाली खंडपीठ को बताया कि आईआईटी मुंबई टावर परियोजना से पीछे हट गई है। 

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, ‘‘सात महीने के बाद आईआईटी मुंबई कैसे पीछे हट सकती है? यह बकवास है। यह कोटर् की अवमानना है। हम उसके खिलाफ कारर्वाई करेंगे।'' उन्होंने कहा कि आईआईटी मुंबई में किसी से उनकी बात कराई जाए, लेकिन श्री मेहता ने कहा कि वह वहां किसी को नहीं जानते हैं। सॉलिसिटर जनरल ने न्यायालय से कल तक का वक्त देने का अनुरोध किया, इसके बाद खंडपीठ ने मामले को कल सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Pardeep

Recommended News

Related News