अफगानिस्तान में तालिबान राज की वापसी से भारत पर हमलों की आहट

punjabkesari.in Saturday, Jul 31, 2021 - 11:08 AM (IST)

नई दिल्ली (नेशनल डेस्क): अफगानिस्तान से 20 वर्ष बाद रात के अंधेरे में अमरीकी सैनिकों की वापसी होते ही वहां तालिबान राज स्थापित होने के संकेत मिल रहे हैं। इसके साथ ही भारत पर हमलों की आहट भी सुनाई दी रही है। अफगानिस्तान में शांति मामलों के राज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले 4 माह में तालिबान ने अफगानिस्तान के विभिन्न हिस्सों में 22000 हमले किए। हालांकि इन हमलों में 24000 तालिबानी लड़ाके मारे गए व घायल हुए इसके बावजूद हमलों में कोई कमी नहीं आई है।


मंत्रालय के एक अधिकारी सैयद अब्दुल्ला हाशमी ने कहा कि राज्य में हिंसा को बढ़ाने के लिए अफगानिस्तान के बाहर से 10000 से अधिक लड़ाकों की आमद से पता चलता है कि अफगानिस्तान में युद्ध के पीछे विदेशी हाथ हैं। हमलों में जहां हजारों तालिबानी मारे गए हैं वहीं इस अवधि के दौरान महिलाओं व बच्चों सहित 5777 नागरिकों की भी मौत हो चुकी है। दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर विचलित कर देने वाली कुछ वीडियो और तस्वीरें शेयर की जा रही हैं जिनमें तालिबान को अफगानिस्तान में लोगों को प्रताडि़त करते तथा मारते हुए दिखाया गया है।


तालिबान के प्रवक्ता दावा कर रहे हैं कि वे अपने देश को एक आधुनिक इस्लामिक राष्ट्र बनाएंगे जिसमें महिलाओं और बच्चों को उनका हक मिलेगा, लेकिन हकीकत यह है कि अफगानिस्तान एक बार फिर से तालिबान के बर्बर शासन की ओर बढ़ता दिख रहा है। अमरीकी जनरल मार्क मिले के अनुसार, अफगानिस्तान के 419 जिला केंद्रों में से लगभग आधे तालिबान के नियंत्रण में जा चुके हैं, इसके अलावा तालिबानियों ने 11 टैलीकम्युनिकेशन नैटवर्क ध्वस्त कर दिए हैं।

 

बांधों पर हमलों के पीछे ईरान
अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में बिजली और सिंचाई के प्रमुख स्रोत सलमा बांध पर बीते दिनों तालिबान आतंकवादियों ने दर्जनों मोर्टार दागे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2016 में पश्चिमी अफगानिस्तान के हेरात प्रांत के चिस्त-ए-शरीफ में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ संयुक्त रूप से अफगानिस्तान-भारत मैत्री बांध (सलमा बांध) का उद्घाटन किया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बांध पर हमलों की रणनीति के पीछे ईरान का हाथ बताया जा रहा है।

 

सुरक्षा बलों के साथ लड़ाई में मानव ढाल का इस्तेमाल करते हैं तालिबानी 
उत्तरी अफगानिस्तान के बल्ख के रहने वाले लोगों ने बताया कि तालिबानियों ने उनके घरों को बर्बाद कर दिया है तथा जब अफगान सुरक्षा बलों के साथ तालिबानी आतंकियों की लड़ाई होती है तो आतंकियों द्वारा अफगानी नागरिकों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।


उत्तरी क्षेत्रों में विदेशी लड़ाकों की मौजूदगी : कूफी
तालिबान के साथ बातचीत में इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करने वाले शांति वार्ता दल की सदस्य फौजिया कूफी ने कहा है कि अफगानिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों में विशेष रूप से अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा पर विदेशी तालिबान लड़ाकों की मौजूदगी से खतरा है।


महाशक्तियों के माथे पर चिंता के बल
अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते प्रभाव ने रूस और चीन जैसी महाशक्तियों के माथे पर भी चिंता के बल डाल दिए हैं। एक तरफ रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन तालिबान से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि तालिबान मध्य एशियाई सीमाओं का सम्मान करेगा जो कभी सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करती थीं, वहीं चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने अफगानिस्तान पर बातचीत के लिए अगले हफ्ते मध्य एशिया का दौरा करने की योजना बना रखी है। इसके साथ ही चीन ने तालिबान का समर्थन करने का वादा करते हुए उईगर चरमपंथियों के सफाए में मदद तक मांग ली है।

नाटो ने तुर्की में अफगान सैनिक बलों के लिए प्रशिक्षण शुरू किया
 नाटो ने तुर्की में अफगानिस्तान के सैनिकों के लिए एक सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। यह नाटो प्रशिक्षण मिशन की समाप्ति के बाद अफगान के सैनिकों के लिए अफगानिस्तान से बाहर पहला सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम है। अंकारा से मिली जानकारी के मुताबिक अफगान स्पैशल फोर्सेज के सदस्यों को ट्रेनिंग के लिए तुर्की भेजा गया है।


मिशन अफगानिस्तान फतह पर विदेश मंत्री
तालिबानियों द्वारा अफगानिस्तान के बड़े क्षेत्र पर फिर से कब्जा, सलमा डैम पर हमले और देश पर मंडराते खतरे को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार की तरफ से महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। महासंकट की इस घड़ी में विदेश मंत्री एस. जयशंकर लगातार ईरान से लेकर रूस तक की यात्रा कर रहे हैं। ‘मिशन अफगानिस्तान’ को फतह करने के लिए विदेश मंत्री ने सबसे पहले कतर से इसकी शुरूआत की। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

vasudha

Recommended News

Related News