तरुण गोगोई और अहमद पटेल: 36 घंटे में कांग्रेस ने खो दिए दो दिग्गज, दोनों गांधी परिवार के भरोसेमंद

punjabkesari.in Wednesday, Nov 25, 2020 - 12:10 PM (IST)

नेशनल डेस्क: कांग्रेस को पिछले 36 घंटे में दो गहरे सदमे लगे हैं। सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस ने पिछले दो दिनों में अपने दो वरिष्ठ और भरोसेमंद नेता खो दिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का बुधवार सुबह निधन हो गया। सोनिया गांधी के भरोसेमंद साथी और वफादार नेता के जाने से कांग्रेस को भारी क्षति हुई है। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का सोमवार को निधन हो गया था। पटेल और गोगोई दोनों की गिनती कांग्रेस के सबसे भरोसेमंद नेताओं में होती है। तरुण गोगोई ने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के साथ भी काम किया और लंबे समय तक कांग्रेस के किले को मजबूत रखा। वहीं पटेल जब तक रहे उन्होंने पश्चिम और उत्तर भारत में कांग्रेस की नींव को मजबूती दी। 

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उग्रवाद से जूझते असम की बदली छवि
वो तरुण गोगोई ही थे, जिन्होंने उग्रवाद की समस्या से जूझते असम को अवसरों की धरती में बदला और राज्य में कॉरपोरेट की एंट्री हुई। गोगोई के कार्यकाल में ही असम में कॉरपोरेट का आगाज हुआ। उन्होंने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ भी काम किया। गांधी परिवार का गोगोई पर हमेशा ही काफी भरोसा रहा। लेकिन अपने करियर के अंतिम दौर में उन्होंने राज्य में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। गोगोई लगातार 15 साल तक असम के मुख्यमंत्री रहे और प्रदेश को पहचान दिलाई। लेकिन नंबर एक बनने की राह में बाधा बनना उन्हें भारी पड़ा और हेमंत बिस्वा सरमा को गंवाने की कीमत उनको अपनी सरकार गंवा कर चुकानी पड़ी।

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कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद गोगोई को सबसे पहले 26 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और कुछ दिनों के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई थी। उन्हें 2 नवंबर को फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया। गोगोई के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था, जिससे 21 नवंबर को उनकी स्थिति बिगड़ गई और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया।

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कांग्रेस के चाणक्य थे अहमद पटेल
अहमद पटेल कांग्रेस के चाणक्य माने जाते थे। राजीव गांधी के निधन के बाद जब तक सोनिया गांधी ने कांग्रेस की बागडोर अपने हाथों में नहीं ले ली तब तक पटेल मजबूती से उनके साथ खड़े रहे। पटेल सोनिया गांधी के खास सलाहकारों में से एक थे। UPA सरकार का कार्यकाल हो, राज्यों में विधानसभा चुनाव या फिर पार्टी के अंदर कोई कलह हो, पटेल ने हमेशा ही कांग्रेस को हर संकट से उबारा है। इंदिरा गांधी के निधन के बाद पटेल राजीव गांधी के भी काफी करीब आ गए थे।

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पटेल कहा करते थे कि राहुल के साथ काम करना उनके लिए काफी अच्छा अनुभव रहा। पटेल कहते थे कि युवा शक्ति के साथ काम करके हम हमेशा कुछ नया ही सीखते हैं। वहीं पटेल के निधन पर सोनिया गांधी ने कहा कि वे एक ऐसे कामरेड, निष्ठावान सहयोगी और मित्र थे जिनकी जगह कोई नहीं ले सकता। सोनिया ने एक शोक संदेश में कहा कि अहमद पटेल के जाने से मैंने एक ऐसा सहयोगी खो दिया है जिनका पूरा जीवन कांग्रेस पार्टी को समर्पित था। 

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Seema Sharma

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