सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से पूछा- जब हमने कानूनों पर रोक लगा दी, फिर सड़कों पर प्रदर्शन क्‍यों?

punjabkesari.in Monday, Oct 04, 2021 - 03:06 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए किसानों से पूछा कि जब शीर्ष अदालत ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है और ये अधिनियम लागू नहीं हुए हैं तो आप किस चीज़ के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। आप लोग अब भी सड़कें क्यों रोके बैठे हैं। यह धरना प्रदर्शन अभ किस लिए हैं।

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानूनों की वैधता को चुनौती देने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाए जाने के बाद, विरोध प्रदर्शन करने का सवाल ही कहां उठता है। जब हमने ही तीन कृषि कानूनों पर रोक लगा रखी है, तो किसान आंदोलन का क्या मतलब है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने भी आश्वासन दिया है कि इसे लागू नहीं करेंगे फिर अब तक किसान सड़कें ब्लॉक करके क्यू बैठे हैं। अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने रविवार की लखीमपुर खीरी घटना का जिक्र किया तो इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसा कुछ भी होने पर कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है। 

 

कोर्ट का सहारा भी और प्रदर्शन भी, ऐसा नहीं चलेगा
कोर्ट ने कहा कि आम लोगों के काम-धंधों पर असर पड़ रहा है और आप लोग अब भी सड़कें बंद करके बैठे हैं। इस पर किसान महापंचायत के वकील ने कहा कि उन्‍होंने किसी सड़क को ब्‍लॉक नहीं कर रखा है। इसपर बेंच ने कहा कि कोई एक पक्ष अदालत पहुंच गया तो प्रदर्शन का क्‍या मतलब है?, जब ऑर्डर पहले ही दे चुके हैं तो फिर ऐसी घटनाएं हो क्यों रही हैं। कोर्ट ने कहा कि एक बार जब कोई मामला सर्वोच्च संवैधानिक अदालत के समक्ष होता है, तो कोई भी उस मुद्दे को लेकर सड़क पर नहीं उतर सकता।

 

कोर्ट ने कहा कि आपको कानून को चुनौती भी देनी है, कोर्ट में भी आना और आर्डर मिलने के बाद सड़कों पर प्रदर्शन भी करना है, ऐसे कैसे चलेगा। यह सब एक साथ नहीं हो सकता। जिन कृषि कानूनों के लिए किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, कोर्ट ने उस पर रोक लगाई है, केंद्र ने भी सहमति दे दी तो फिर प्रदर्शन क्यों। इसी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा की उस याचिका पर किसान संगठनों के 42 नेताओं को नोटिस जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने बातचीत में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है।

 

कोर्ट ने नोएडा के निवासी की उस जनहित याचिका को दशहरे की छुट्टी के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया, जिसमें विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को दिल्ली की सीमाओं से हटाने का अनुरोध किया गया है। दरअसल किसान महापंचायत की याचिका में जंतर-मंतर पर सत्‍याग्रह की मांग की गई है जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि या तो आप अदालत आइए या संसद जाइए या फिर सड़क पर जाइए, इनमें से एख बात हो सकती है, सभी नहीं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Seema Sharma

Recommended News

Related News