चुनावों में ''रेवड़ियां'' बांटने पर SC सख्त, कहा-मुफ्त के चक्कर में श्रीलंका की हालत हुई खराब...भारत भी उसी रास्ते पर
punjabkesari.in Tuesday, Jul 26, 2022 - 02:11 PM (IST)
नेशनल डेस्क: चुनाव के समय जनता के साथ बड़े-बड़े और लुभावने वादे करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से कहा कि मुफ्त के चक्कर में कहीं भारत के भी श्रीलंका जैसे हालात न हो जाएं। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए श्रीलंका में मुफ्त की चीजें देने का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां फ्री में सबकुछ बांटने की वजह से ऐसी स्थिति आई है और भारत भी उसी रास्ते पर जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी सीनियर वकील अश्वनी उपाध्याय की याचिका पर आई। वकील अश्वनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर यह मांग की कि चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा ऐसे वादे करने पर रोक लगनी चाहिए जिसमें चुनाव जीतने के बाद जनता को मुफ्त सुविधा या चीजें बांटने की बात कही जाती है।
क्या बोले CJI
चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना ने कहा कि यह बहुत ही संजीदा मसला है, यह वोटर को घूस देने जैसा है। चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार के वकील के एम नटराज से उनकी राय मांगी तो उन्होंने कहा कि ये चुनाव आयोग को तय करना है, इसमें केंद्र सरकार का कोई दखल नहीं है। इस पर CJI ने नाराजगी जताते हुए कहा कि केंद्र सरकार इससे अपने आपको अलग नहीं कर सकती। अदालत ने केंद्र सरकार को फिर से एक हलफनामा दाखिल कर अपना पक्ष साफ करने को कहा है।
सिब्बल बोले- केंद्र सरकार का इसमें रोल नहीं
जस्टिस रमन्ना ने कोर्ट में मौजूद वकील और पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल से कहा कि वे भी अपने अनुभव से इस मामले में अपनी राय दे सकते है। सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि इसमें केंद्र सरकार का ज्यादा रोल नहीं है, ये काम वित्त आयोग को देखना चाहिए। सिब्बल के मुताबिक, वित्त आयोग एक निष्पक्ष एजेंसी है जो राज्यों को फंड देती है। ऐसे में वित्त आयोग राज्य सरकारों को फंड देने से पहले ये कह सकती है कि आप को मुफ्त सुविधा देने की लिए फंड आवंटित नहीं किया जाएगा। सिब्बल ने कहा कि सीधे सरकारों पर इसे नियंत्रित करने की जिम्मेदारी डालने से कोई हल नहीं निकलेगा। इसके बाद चीफ जस्टिस ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 3 अगस्त की तारीख डाल दी। कोर्ट ने कहा की केंद्र सरकार इस दौरान यह बताए की इस पर वित्त आयोग क्या कर सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह वित्त आयोग से पता लगाए कि पहले से कर्ज में डूबे राज्य में मुफ्त की योजनाओं का अमल रोका जा सकता है या नहीं।
क्या है याचिका में
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि हर राज्य पर लाखों-करोड़ों का कर्जा है, जैसे पंजाब, उत्तर प्रदेश भी कर्ज में डूबे हुए हैं। ऐसे में अगर सरकार मुफ्त सुविधा देती है तो ये कर्ज और बढ़ जाएगा. अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि श्रीलंका में भी इसी तरह से देश की अर्थव्यवस्था खराब हुई है।