तीनों कृषि कानून लागू होने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, CJI बोले- कमेटी के सामने पेश हों किसान
punjabkesari.in Tuesday, Jan 12, 2021 - 04:01 PM (IST)
नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला लेते हुए तीनों कृषि कानून के के अमल पर रोक लगा दी है। किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। पीठ ने इस समिति में भारतीय किसान यूनियन के भूपिंद्र सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवट, डॉ. प्रमोद जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी को शामिल किया गया है। सुनवाई के दौरान पीठ ने सख्त लहजे में कहा कि कोई भी ताकत उसे इस तरह की समिति गठित करने से रोक नही सकती है। कोर्ट ने कहा कि किसानों को इस समिति के साथ सहयोग करना चाहिए।
समाधान चाहिए तो कमेटी में जाएं किसान
साथ ही कोर्ट ने किसानों से कहा कि अगर आप समस्या का समाधान चाहते हैं तो हमारी गठित की गई कमेटी के पास जाइए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम कृषि कानून को सस्पेंड कर सकते हैं लेकिन जमीनी हकीकत जानने के लिए कमेटी गठित कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर किसान अपनी समस्याओं का हल चाहते हैं तो उनको कमेटी के पास जाना ही होगा। कोर्ट कहा कि कमेटी के पास कोई भी जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि अगर आप समाधान नहीं चाहते हैं तो धरना प्रदर्शन जारी रख सकते हैं। चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि यह कमेटी आप पर अपना कोई फैसला नहीं थोपेगी, न ही आपको किसी तरह से परेशानी होगी। यह कमेटी हमें दोनों पक्षों की रिपोर्ट सौंपेगी। चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने कहा कि किसान सरकार से बात कर सकती है तो कमेटी से क्यों नहीं।
भाकियू के वकील एमपी सिंह ने कोर्ट में कहा कि किसान आंदोलन में अब महिलाएं और बच्चे शामिल नहीं होंगे। वकील एमपी सिंह के बयान को सुप्रीम कोर्ट ने दर्ज कर लिया। वहीं CJI ने कहा कि हम सकारात्मक माहौल बनाना चाहते हैं, लेकिन अगर किसान सहयोग नहीं करेंगे तो मुश्किल हैं। किसानों की तरफ से पेश वकील एमएल शर्मा ने कहा कि किसानों के साथ चर्चा के लिए काफी लोग आए लेकिन जो मुख्य है यानि कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वो क्यों नहीं बातचीत को आए। इस पर CJI ने कहा हम प्रधानमंत्री को जाने के लिए नहीं आदेश नहीं दे सकते। वैसे भी वे इस मामले में कोई पार्टी नहीं है।
याचिकाकर्त्ताओं में से एक के लिए पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने दलील दी कि कानूनों को लागू करने पर रोक को राजनीतिक जीत के रूप में देखने के बजाय, कृषि कानूनों पर व्यक्त चिंताओं की एक गंभीर परीक्षा के रूप में देखा जाना चाहिए। अपनी बहस के दौरान साल्वे ने दलील दी कि प्रतिबंधित संगठन इस प्रदर्शन को फंडिंग कर रहे हैं। इसका उल्लेख अदालत के समक्ष एक याचिका में किया गया था। इस पर न्यायालय ने वेणुगोपाल से इसकी पुष्टि करने को कहा। एटर्नी जनरल ने इसकी पुष्टि के लिए एक दिन का समय मांगा। इसके बाद न्यायालय ने इसे पुलिस पर ही छोड़ दिया।