राम मंदिर- विवाद से समाधान और भूमि पूजन तक, जानिए कब क्या हुआ?

punjabkesari.in Wednesday, Aug 05, 2020 - 11:38 AM (IST)

नई दिल्ली: राम नाम के रस की मिठास में डूबे अयोध्यावासी खिली धूप के बीच रह रह कर आसमान की ओर ताक रहे है जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हेलीकाप्टर कुछ ही देर में पीले रंग में रंगी राम की नगरी में उतरेगा और वह भव्य मंदिर का भूमि पूजन कर देश दुनिया के करोडों रामभक्तों के सदियों पुराने सपने का साकार करेंगे।  मोदी का स्वागत करीब 1130 बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साकेत डिग्री कालेज में बने अस्थायी हेलीपैड में करेंगे। आइए राम मंदिर के विवाद, उसके समाधान से लेकर भूमि पूजन तक के घटनाक्रम को जानते हैं।

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  • 1528 : मुगल बादशाह बाबर के कमांडर मीर बाकी ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया। 
     
  • 1885 : महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर कर विवादित ढांचे के बाहर शामियाना तानने की अनुमति मांगी। अदालत ने याचिका खारिज कर दी। 
     
  • 1949 : विवादित ढांचे के बाहर केंद्रीय गुंबद में रामलला की मूर्तियां स्थापित की गईं। 
     
  • 1950 : रामलला की मूर्तियों की पूजा का अधिकार हासिल करने के लिए गोपाल सिमला विशारद ने फैजाबाद जिला अदालत में याचिका दायर की। 
     
  • 1950: परमहंस रामचंद्र दास ने पूजा जारी रखने और मूर्तियां रखने के लिए याचिका दायर की। 
     
  • 1959 : निर्मोही अखाड़ा ने जमीन पर अधिकार दिए जाने के लिए याचिका दायर की। 
     
  • 1961 : उत्तर प्रदेश सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने स्थल पर अधिकार के लिए याचिका दायर की। 



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  • 1 फरवरी 1986 : स्थानीय अदालत ने सरकार को पूजा के लिए हिंदू श्रद्धालुओं के लिए स्थान खोलने का आदेश दिया। 
     
  • 14 अगस्त 1989 : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादित ढांचे के लिए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
     
  • 6 दिसम्बर 1992 : रामजन्मभूमि - बाबरी मस्जिद ढांचे को ढहाया गया। 
     
  • तीन अप्रैल 1993 : विवादित स्थल में जमीन अधिग्रहण के लिए केंद्र ने अयोध्या में निश्चित क्षेत्र अधिग्रहण कानून पारित किया। अधिनियम के विभिन्न पहलुओं को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कई रिट याचिकाएं दायर की गईं। इनमें इस्माइल फारूकी की याचिका भी शामिल। उच्चतम न्यायालय ने अनुच्छेद 139ए के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर रिट याचिकाओं को स्थानांतरित कर दिया जो उच्च न्यायालय में लंबित थीं। 
     
  • 24 अक्टूबर 1994 : उच्चतम न्यायालय ने ऐतिहासिक इस्माइल फारूकी मामले में कहा कि मस्जिद इस्लाम से जुड़ी हुई नहीं है।


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  • अप्रैल 2002 : उच्च न्यायालय में विवादित स्थल के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू।
     
  • 13 मार्च 2003 : उच्चतम न्यायालय ने असलम उर्फ भूरे मामले में कहा, अधिग्रहीत स्थल पर किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि की अनुमति नहीं है। 
     
  • 30 सितम्बर 2010 : उच्चतम न्यायालय ने 2 : 1 बहुमत से विवादित क्षेत्र को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया। 
     
  • 9 मई 2011 : उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या जमीन विवाद में उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाई। 
     
  • 21 मार्च 2017 : सीजेआई जे एस खेहर ने संबंधित पक्षों के बीच अदालत के बाहर समाधान का सुझाव दिया। 
     
  • सात अगस्त : उच्चतम न्यायालय ने तीन सदस्यीय पीठ का गठन किया जो 1994 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। 
     
  • आठ फरवरी 2018 : सिविल याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई शुरू की। 
     
  • 20 जुलाई : उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा। 


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  • 27 सितम्बर : उच्चतम न्यायालय ने मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष भेजने से इंकार किया। मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर को तीन सदस्यीय नयी पीठ द्वारा किए जाने की बात कही। 
     
  • 29 अक्टूबर 2018: उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई उचित पीठ के समक्ष जनवरी के पहले हफ्ते में तय की जो सुनवाई के समय पर निर्णय करेगी। 
     
  • 24 दिसंबर : उच्चतम न्यायालय ने सभी मामलों पर चार जनवरी 2019 को सुनवाई करने का फैसला किया। 
     
  • 4 जनवरी 2019 : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मालिकाना हक मामले में सुनवाई की तारीख तय करने के लिए उसके द्वारा गठित उपयुक्त पीठ दस जनवरी को फैसला सुनाएगी। 
     
  • 8 जनवरी : उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ का गठन किया जिसकी अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई करेंगे और इसमें न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एन वी रमन्ना, न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ शामिल होंगे। 


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  • 10 जनवरी : न्यायमूर्ति यू यू ललित ने मामले से खुद को अलग किया जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई 29 जनवरी को नयी पीठ के समक्ष तय की। 
     
  • 25 जनवरी: उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का पुनर्गठन किया। नयी पीठ में प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर शामिल थे। 
     
  • 29 जनवरी : केंद्र ने विवादित स्थल के आसपास 67 एकड़ अधिग्रहीत भूमि मूल मालिकों को लौटाने की अनुमति मांगने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया। 
     
  • 26 फरवरी: उच्चतम न्यायालय ने मध्यस्थता का सुझाव दिया और फैसले के लिए पांच मार्च की तारीख तय की जिसमें मामले को अदालत की तरफ से नियुक्त मध्यस्थ के पास भेजा जाए अथवा नहीं इस पर फैसला लिया जाएगा। 
     
  • 8 मार्च : उच्चतम न्यायालय ने मध्यस्थता के लिए विवाद को एक समिति के पास भेज दिया जिसके अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफ एम आई कलीफुल्ला बनाए गए।


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  • 9 अप्रैल: निर्मोही अखाड़े ने अयोध्या स्थल के आसपास की अधिग्रहीत जमीन को मालिकों को लौटाने की केन्द्र की याचिका का उच्चतम न्यायालय में विरोध किया। 
     
  • 10 मई: मध्यस्थता प्रक्रिया को पूरा करने के लिए उच्चतम न्यायालय ने 15 अगस्त तक समय बढ़ाई। 
     
  • 11 जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने मध्यस्थता की प्रगति पर रिपोर्ट मांगी। 
     
  • 18 जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने मध्यस्थता प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति देते हुए एक अगस्त तक परिणाम रिपोर्ट देने के लिए कहा। 
     
  • 1 अगस्त: मध्यस्थता की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अदालत को दी गई।
     
  • 6 अगस्त: उच्चतम न्यायालय ने रोजाना के आधार पर भूमि विवाद पर सुनवाई शुरू की। 
     
  • 4 अक्टूबर: अदालत ने कहा कि 17 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी कर 17 नवंबर तक फैसला सुनाया जाएगा। उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा। 
     
  • 16 अक्टूबर: उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा। 

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  • 9 नवंबर : उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में पूरी 2.77 एकड़ विवादित जमीन राम लला को दी, जमीन का कब्जा केंद्र सरकार के रिसीवर के पास रहेगा। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए एक मुनासिब स्थान पर पांच एकड़ भूमि आवंटित करने का भी निर्देश दिया।
     
  • 5 फरवरी 2020: केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में इस बात का एलान किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार ने अयोध्या कानून के तहत अधिग्रहीत 67.70 एकड़ भूमि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को हस्तांतरित करने का फैसला किया है। 

     
  • 19 फरवरी 2020: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की नई दिल्ली में पहली बैठक हुई. इसमें रामजन्मभूमि न्यास के महंत नृत्य गोपाल दास को चेयरमैन और चम्पत राय को महासचिव चुना गया।
     
  • 22 जुलाई 2020: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखने का एलान हुआ। इससे पहले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने एलान किया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री को 3 और 5 अगस्त की दो तारीखें भेजी हैं और वे दोनों में से किसी भी तारीख को भूमि पूजन के लिए चुन सकते हैं।

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Edited By

Anil dev

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