महिला अधिकारियों को सेना में मिलेगा स्थाई कमीशन, नहीं कर सकते भेदभाव: SC

punjabkesari.in Monday, Feb 17, 2020 - 02:58 PM (IST)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सेना में स्थाई कमीशन पाने से वंचित रह गई महिला अधिकारियों की याचिका पर बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, सेना में महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन मिलेगा।सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सेना में महिलाओं को स्थाई कमीशन देने के मामले पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति विकासवादी प्रक्रिया है। 


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न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक नहीं लगाई थी, फिर भी केंद्र ने उच्च न्यायालय के फैसले को लागू नहीं किया। न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले पर कारर्वाई न करने का कोई कारण या औचित्य नहीं है। उच्च न्यायालय के फैसले के नौ साल बाद केंद्र 10 धाराओं के लिए नयी नीति लेकर आया। खंडपीठ ने कहा कि स्थायी कमीशन देने से इनकार करना प्राचीन अवधारणाओं एवं महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रहों का परिणाम है। महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं। केंद्र की दलीलें परेशान करने वाली हैं, जबकि महिला सैन्य अधिकारियों ने देश का गौरव बढ़ाया है।

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कोर्ट ने कर्नल कुरैशी, कैप्टन तान्या शेरगिल आदि का उदाहरण दिया। खंडपीठ ने कहा कि केन्द्र कॉम्बैट ब्रांचों को छोड़कर अन्य शाखाओं में महिला सैन्य अधिकारियों को स्थाई कमीशन देने को बाध्य है। न्यायालय ने महिलाओं की शारीरिक विशेषताओं पर केंद्र के विचारों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार अपने द्दष्टिकोण और मानसिकता में बदलाव करे। न्यायालय ने कहा कि सेना में सच्ची समानता लानी होगी। 30% महिलाएं वास्तव में लड़ाकू शाखाओं में तैनात हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने 12 मार्च 2010 को शॉटर् सर्विस कमीशन के तहत आने वाली महिलाओं को नौकरी में 14 साल पूरे करने पर पुरुषों की तरह स्थाई कमीशन देने का आदेश दिया था लेकिन हाईकोर्ट के इस फ़ैसले के खिलाफ रक्षा मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट आ गया। उच्च न्यायालय के फैसले के नौ साल बाद सरकार ने फरवरी 2019 में 10 विभागों में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने की नीति बनाई। लेकिन यह कह दिया कि इसका लाभ मार्च 2019 के बाद से सेवा में आने वाली महिला अधिकारियों को ही मिलेगा, इस तरह वह महिलाएं स्थाई कमीशन पाने से वंचित रह गईं जिन्होंने इस मसले पर लंबे अरसे तक कानूनी लड़ाई लड़ी।

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आपको बता दें कि केन्द्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के मार्च 2010 के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें हाईकोर्ट ने सेना को अपनी सभी महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने का आदेश दिया था। केंद्र का कहना था कि भारतीय सेना में यूनिट पूरी तरह पुरुषों की है और पुरुष सैनिक महिला अधिकारियों को स्वीकार नहीं कर पाएंगे।

कमान पर सरकार का पक्ष
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि सेना में ज़्यादातर ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले जवान महिला अधिकारियों से कमांड लेने को लेकर बहुत सहज नजर नहीं आते। महिलाओं की शारीरिक स्थिति, परिवारिक दायित्व जैसी बहुत सी बातें उन्हें कमांडिंग अफसर बनाने में बाधक हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर मानसिकता में बदलाव किया जाए और इच्छाशक्ति हो तो बहुत कुछ कर पाना संभव है।


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Edited By

Anil dev

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