आज पृथ्वी से टकराएगा सोलर तूफान, इंटरनेट-मोबाइल हो सकते हैं ठप्प...पॉवर ग्रिड फेल होने की भी आशंका
punjabkesari.in Wednesday, Aug 03, 2022 - 11:23 AM (IST)
नेशनल डेस्क: सूर्य के वायुमंडल में एक 'सुराख' से तेज गति से वाली सौर हवाएं बुधवार (3 अगस्त) को पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराएंगी, जिससे एक छोटा G-1 भू-चुंबकीय तूफान (geomagnetic storm) आ सकता है।
अधिक तेज भू-चुंबकीय तूफान हमारे ग्रह के चुंबकीय क्षेत्र को इतनी शक्तिशाली रूप से बाधित कर सकते हैं कि इससे सेटेलाइट के कामकाज और इंटरनेट तक पर असर जाए। स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर के अनुसार सूर्य से निकलने वाला मलबा या कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) के आमतौर पर पृथ्वी तक पहुंचने में लगभग 15 से 18 घंटे लगते हैं। इसी के साथ ही पॉवर ग्रिड फेल होने की भी आशंका है।
Spaceweather.com वेबसाइट के अनुसार नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन के स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर (SWPC) के पूर्वानुमानकर्ताओं ने 'सूर्य के वायुमंडल के दक्षिणी हिस्से में एक सुराख से गैसीय पदार्थ बाहर' निकलते हुए देखने के बाद यह आशंका जताई है। 'कोरोनल होल' (Coronal holes) सूर्य के ऊपरी वायुमंडल में ऐसे क्षेत्र होते हैं जहां इसकी विद्युतीकृत गैस (या प्लाज्मा) ठंडी और कम सघन होती है।
ऐसे सुराख भी होते हैं जहां सूर्य की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं अपने आप में वापस होने की बजाय, अंतरिक्ष में बाहर की ओर निकल जाती हैं। सैन फ्रांसिस्को में एक विज्ञान संग्रहालय, एक्सप्लोरेटोरियम के अनुसार इससे यह सौर सामग्री या सौर तूफान को 29 लाख किलोमीटर प्रति घंटे की गति से यात्रा करने वाली एक धार के रूप में बढ़ने में सक्षम बनाता है।
हमारे जैसे मजबूत चुंबकीय क्षेत्रों वाले ग्रहों पर ऐसे सौर मलबे खींचे चले आते है, जिससे भू-चुंबकीय तूफान शुरू हो जाते हैं। इन तूफानों के दौरान अत्यधिक ऊर्जावान कणों की तरंगों से पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र थोड़ा संकुचित हो जाता है। ये कण ध्रुवों के पास चुंबकीय-क्षेत्र की रेखाओं को नीचे गिराते हैं और वातावरण में अणुओं को उत्तेजित करते हैं, जो प्रकाश के रूप में ऊर्जा छोड़ते हैं और ये प्रकाश की रंगीन छटा बिखेरते हैं। यह देखने में नॉर्दर्न लाइट्स की तरह होते हैं। इस मलबे से उत्पन्न तूफान हालांकि कमजोर होगा। G1 भू-चुंबकीय तूफान में पावर ग्रिड में मामूली उतार-चढ़ाव और कुछ सेटेलाइट कार्यों को प्रभावित करने की क्षमता होती है। इसके अलावा मोबाइल डिवाइस और जीपीएस सिस्टम आदि भी प्रभावित होते हैं।