Yes Bank को लेकर ट्विटर पर शुरू हुई राजनेताओं की जंग, सीतारमण ने यूपीए सरकार पर लगाया ये आरोप
punjabkesari.in Friday, Mar 06, 2020 - 07:03 PM (IST)
नई दिल्ली। देश में नोटबंदी के बाद बैंकों के दिवालिया होने से लोगों को कई बार लाइन में लगते देखा गया है। अपने पैसे पर ही आये इस संकट से लोग जिस तरह से जूझ रहे हैं वो सरकार पर सवाल उठाता है। अब जब ‘येस बैंक’ की वजह से लोगों पर एक बार फिर अपने ही पैसे को लेकर गाज गिरी है तब कुछ विपक्षी राजनेताओं ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है।
ओवैसी ने पूछा सवाल...
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा है कि क्या बैंकों में हमारी बचत सुरक्षित है? दरअसल, येस बैंक को लेकर ग्राहकों पर आये संकट को लेकर ओवैसी ने ट्वीट करते हुए कहा है, ‘पहले गिरती इकॉनमी का शिकार गैर बैंकिंग कंपनियां जैसे ILFS & Dewan हुईं, उसके बाद फिर अमीर राज्य महाराष्ट्र में एक बड़ा सहकारी बैंक पीएमसी बैंक विफल हुआ। इसके बाद अब पहला शैड्यूल कमर्शियल बैंक YES बैंक फेल हो गया। क्या बैंकों में हमारी बचत सुरक्षित है।’
First it was non banks like ILFS & Dewan that collapsed under the weight of a crashing economy
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) March 6, 2020
Then a big cooperative bank in the rich state of Maharashtra, PMC Bank failed
Now we’ve the first ever scheduled commercial bank to fail: Yes Bank
Are our savings safe from banks? https://t.co/GaS22OXaZE
राहुल गांधी ने साधा निशाना
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी येस बैंक मामले पर केंद्र सरकार पर सीधा निशाना साधा है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है, ''नो यस बैंक। मोदी और उनके आइडियाज ने भारत की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है।''
No Yes Bank.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 6, 2020
Modi and his ideas have destroyed India’s economy.
#NoBank
वित्त मंत्री ने दिलाया विश्वास
इस बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है, ''मैं सभी जमाकर्ताओं को भरोसा दिलाना चाहती हूं कि उनका पैसा सुरक्षित है, मैं लगातार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के साथ संपर्क में हूं। जमाकर्ताओं, बैंक और अर्थव्यवस्था के हित में कदम उठाए जा रहे हैं।''
Finance Minister Nirmala Sitharaman: Since 2017, RBI has been continuously monitoring & scrutinizing Yes Bank. It noticed that there were governance issues and weak compliance in the bank. There was a wrong asset classification together with risky credit decisions. pic.twitter.com/fttfPgSGZ2
— ANI (@ANI) March 6, 2020
इसके साथ ही निर्मला सीतारमण ने कहा कि हम पूरी तरह से येस बैंक को उबारने में जुटे हैं और इस बैंक में पैदा हुई समस्याएं यूपीए के दौर की ही हैं।
पी चिदंबरम ने पूछा- अब कौन?
वहीं, कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने इस मामले पर ट्वीट कर कहा, ''बीजेपी 6 साल से सत्ता में है, वित्तीय संस्थानों को नियंत्रित और विनियमित करने की उनकी क्षमता उजागर होती जा रही है। पहले पीएमसी बैंक, अब यस बैंक। क्या सरकार बिल्कुल भी चिंतित है? क्या वो अपनी जिम्मेदारी से बच सकती है? क्या लाइन में कोई तीसरा बैंक है?''
भाजपा 6 साल से सत्ता में है, वित्तीय संस्थानों को नियंत्रित और विनियमित करने की उनकी क्षमता उजागर होती जा रही है।
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) March 6, 2020
पहले पीएमसी बैंक, अब यस बैंक। क्या सरकार बिल्कुल भी चिंतित है? क्या वो अपनी जिम्मेदारी से बच सकता है?
क्या लाइन में कोई तीसरा बैंक है?
बीजेपी नेता ने दिया पलट जवाब
बीजेपी नेता और आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल गाँधी को जवाब देते हुए कहा- “नहीं राहुल, यह (यस बैंक संकट) पी चिदंबरम की वजह से हुआ, तुम्हारे पूर्व वित्त मंत्री, जो भारतीय बैंकों और अर्थव्यवस्था की तकलीफों के लिए जिम्मेदार हैं।”
No Rahul, it is P Chidambaram, your former finance minister, who is responsible for the mess India’s banks and economy are in...
— Amit Malviya (@amitmalviya) March 6, 2020
Don’t take my word for it. Listen to your former ally. https://t.co/zSeOIDYvGy pic.twitter.com/T1Mfq3iiNB
उन्होंने अस्पताल में भर्ती नेता अमर सिंह का वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा है, “ऐसा मैं नहीं तुम्हारे गठबंधन के पूर्व साथी का कहना है।”
बैंक के पास क्या है विकल्प
कुछ रिपोर्ट्स की माने तो येस बैंक पर कुल 24 हजार करोड़ डॉलर की देनदारी है। बैंक के पास करीब 40 अरब डॉलर यानी 2.85 लाख करोड़ रुपए की बैलेंस शीट है। चूंकि सरकार येस बैंक को बचाने के उपाय सोच रही है इसलिए बैंक का कैपिटल बेस बढ़ाने के लिए 2 अरब डॉलर चुकाने होंगे। इसके लिए बैंक ने अपना रेजोल्यूशन प्लान बड़ी बैंकों को भेजा ताकि वो मदद कर सकें लेकिन यहां काम नहीं बना है।
यहां ये भी बता दें, कि अगस्त 2018 में बैंक के शेयर का मूल्य 400 रुपए था, जो पैसा न होने की वजह से अब 18 से 16 रुपये के बीच है और सिर्फ 1 दिन में मार्केट कैपिटलाइजेशन में 6 हजार करोड़ से अधिक की गिरावट आई है.