डोकलाम मसले पर भारत भूटान के बीच उच्चस्तरीय चर्चा

punjabkesari.in Tuesday, Feb 13, 2018 - 04:54 PM (IST)

नई दिल्ली(  रंजीत कुमार ): सिक्किम सीमा पर डोकलाम इलाके में चीन की बढ़ती सैन्य तैनाती और आक्रामक रुख दिखाने के बीच आने वाले  महीनों में अपनाई जाने वाली साझा रणनीति पर भारत और भूटान के बीच उच्चस्तरीय चर्चा हुई है। 

ये हैं वार्ताएं अहम
डोकलाम पर चीन की पेशकश मान लेने के लिए भूटान पर बढ़ रहे चीनी दबाव के मद्देनजर भारत और भूटान के बीच ये वार्ताएं अहम हैं। यहां राजनयिक सूत्रों के मुताबिक चीन ने भूटान से पेशकश की है कि डोकलाम भूभाग के बदले उत्तरी इलाके में बड़ा भूभाग लेकर सीमा समझौता कर ले। कुछ महीनों बाद भूटान और चीन के बीच सीमा मसले पर बातचीत होने वाली है इसके मद्देनजर भूटान के नेतृत्व के साथ सलाह मशविरा के लिए विदेश मंत्रालय के आला अधिकारियों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने पिछले सप्ताह ही राजधानी थिम्पू का दौरा किया है।

भारत के लिए है चिंता की बात
सूत्रों के मुताबिक भारत और भूटान के बीच इस साल राजनयिक रिश्तों की स्थापना की 50 वीं जयंती मनाए जाने के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भूटान दौरे का कार्यक्रम भी बनाया जा रहा है। यहां सूत्रों ने बताया कि भूटान और चीन के बीच सीमा मसले पर बातचीत के पहले भूटान सरकार ने भारत से सलाहमशविरा किया है। भारत के लिए चिंता की बात यह है कि यदि भूटान डोकलाम इलाका चीन को दे कर सीमा समझौता कर लेता है तो डोकलाम इलाके में चीन का स्वाभाविक सम्प्रभु अधिकार हो जाएगा और वहां से वह भारत के किसी एतराज की चिंता किए बिना सड़क बना सकता है जिस पर से वह सिलीगुड़ी गलियारा को बाधित करने की स्थिति में आ जाएगा।  सिलिगुड़ी गलियारा काफी संकरा है औऱ यह  शेष भारत को उत्तर पूर्वी राज्यों से जोड़ता है। 

भूटान में अगले साल होने हैं जनतांत्रिक चुनाव 
पिछले साल डोकलाम सैन्य तनातनी के दौरान भूटान ने डोकलाम पर अपना दावा बनाए रखने वाला बयान दे कर भारत को समर्थन दिया था। भूटान के जनजीवन पर चीन के बढ़ते प्रभाव और भूटान को चीन द्वारा दिए जा रहे कई अन्य प्रलोभन के मद्देनजर भारत के लिए यह जरूरी है कि भूटान का हर हालत में साथ बनाए रखे। भूटान में अगले साल जनतांत्रिक चुनाव होने हैं और वहां का जनमत प्रभावित करने की कोशिश चीन से हो रही है। इसके मद्देनजर भारत ने भूटान में चलाई जा रही पनबिजली परियोजनाओं के काम में तेजी लाने का भरोसा भूटान को दिया है। कोशिश है कि भूटान की मांगदेछू घाटी पर बन रहा 720 मेगावाट प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री मोदी के थिम्पू दौरे तक उद्घाटन के लायक हो जाए। इस पनबिजली परियोजना की बिजली भारत को निर्यात होगी इसलिए इससे भूटान की निर्यात आए में भी भारी बढ़ोतरी होगी।


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