किसान आंदोलन में शामिल होने सिंघु बॉर्डर पहुंची शाहीन बाग की दादी बिल्किस बानो गिरफ्तार
punjabkesari.in Tuesday, Dec 01, 2020 - 06:18 PM (IST)
नेशनल डेस्कः नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) विरोध प्रदर्शन का चेहरा और शाहीन बाग की दादी बिल्किस बानों को सिंघु बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वह ज किसान आंदोलन का समर्थन करने सिंघु बॉर्डर पहुंची थीं। इससे पहले बिल्किस बानो ने कहा था कि हम किसानों की बेटियां हैं और हम आज किसानों के विरोध का समर्थन करेंगे। हम अपनी आवाज उठाएंगे, सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए।
दरअसल, पिछले कई दिनों से उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान संगठन केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के टिकरी, गाजीपुर और सिंघू बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जबकि पुलिस ने किसानों के दिल्ली चलो के आह्वान के मद्देनजर सीमा पर एहतियात के तौर पर वाहनों की जांच तेज कर दी है। वैसे टिकरी, सिंघू और गाजीपुर बॉर्डर के अलावा दिल्ली को हरियाणा और उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाले किसी अन्य सीमा क्षेत्र से विरोध प्रदर्शन की खबर नहीं है। एहतियात के तौर पर दिल्ली गुड़गांव सीमा पर भी सुरक्षा बलों की तैनाती मजबूत कर दी गई है।
Delhi: Police detain Shaheen Bagh activist Bilkis Dadi who reached Singhu border (Delhi-Haryana border) to join farmers' protest. https://t.co/UTnTit1oso pic.twitter.com/34lCCtXy5u
— ANI (@ANI) December 1, 2020
शाहीन बाग से सुर्खियों में आईं थीं बिल्किस दादी
ऐसा नहीं है कि बिल्किस दादी नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चले प्रदर्शन के दौरान केवल खास मौकों पर ही नजर आई थीं। वे सुबह से लेकर रात तक ही धरना देती दिखाई दी थीं। उन्होंने इस विरोध पर अंत समय तक बने रहने की बात की थी।
यूपी की रहने वाली हैं दादी
बिल्किस दादी के नाम से मशहूर बिल्किस बानो उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की रहने वाली हैं, लेकिन वे फिलहाल अपने बच्चों के साथ दिल्ली में रह रही हैं। उनके पति खेती मजदूरी किया करते थे जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। यही नहीं, प्रदर्शन के दौरान बिल्किस दादी ने बताया था कि उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी किसी राजनैतिक आंदोलन में भाग नहीं लिया था। इससे पहले वे केवल एक घरेलू महिला हुआ करती थीं। उन्होंने पहले कभी अपना घर नहीं छोड़ा। लेकिन इस प्रदर्शन में उनका खाना सोना धरना स्थल पर ही होता था। उनका कहना था कि वे केवल कुछ समय के लिए कपड़े बदलने घर जाती थीं।