देश के शैक्षणिक संस्थानों में कॉमन ड्रेस कोड वाली याचिका पर SC का तुरंत सुनवाई से इनकार,जज बोले- अभी इंतजार कीजिए

punjabkesari.in Thursday, Jul 14, 2022 - 04:30 PM (IST)

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को पंजीकृत शैक्षणिक संस्थानों में कर्मियों एवं छात्रों के लिए कॉमन ड्रेस पहनने के नियम लागू करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका (PIL) पर तत्काल सुनवाई से गुरुवार को इनकार कर दिया। याचिका में कहा गया कि एक जैसी पोशाक समानता सुनिश्चित करने और भाईचारा तथा राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है।

 

चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ से अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने अनुरोध किया कि उनकी जनहित याचिका को भी सुनवाई के लिए उसी तरह से सूचीबद्ध किया जाए जैसे कि हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध दायर अपीलों को सूचीबद्ध किया गया था। पीठ के सदस्यों में जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली भी शामिल हैं। पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण की दलीलों पर संज्ञान लिया। 

 

कर्नाटक में हिजाब पर अगले हफ्ते सुनवाई

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार करने के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गया। सुनवाई की शुरुआत में उपाध्याय ने कहा कि यह विषय एक जैसी पोशाक पहनने के नियम से जुड़ा हुआ है। पीठ ने कहा, ‘‘हमने आपको कई बार बताया है। मुझे दोबारा कहने के लिए मजबूर मत कीजिए। हर दिन आप एक जनहित याचिका दायर करते हैं। आपने कितने विषय दायर किए हैं? जैसे कि कोई नियमित मुकद्दमा ही नहीं हो। मैं नहीं जानता, हर विषय में आप आते हैं और उल्लेख करते हैं। यह समय आने पर करेंगे। इंतजार करिए...।'' इस पर उपाध्याय ने कहा, ‘‘माननीय न्यायाधीश कल हिजाब मामले पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गए...मैंने यह जनहित याचिका फरवरी में दायर की थी।''

 

इससे पहले फरवरी में निखिल उपाध्याय नाम के व्यक्ति ने अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय और अश्वनी दुबे के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में PIL दायर कर हिजाब विवाद के मद्देनजर शैक्षणिक संस्थानों में एक जैसी पोशाक पहनने के नियम को लागू करने का अनुरोध किया था। जनहित याचिका में केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा विधि आयोग को भी पक्षकार बनाया गया और प्रतिवादियों को ‘‘सभी पंजीकृत तथा मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में एक जैसी पोशाक पहनने का नियम सख्ती से लागू करने'' का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, ताकि सामाजिक समानता सुनिश्चित की जा सके और भाईचारा एवं राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया जा सके।

 

याचिका में कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर रोक के खिलाफ 10 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी में हुए कुछ प्रदर्शनों का उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया कि शैक्षणिक संस्थानों की धर्मनिरपेक्ष छवि को संरक्षित रखने के लिए सभी स्कूल-कॉलेज में एक समान पोशाक पहनने का नियम बनाना आवश्यक है, अन्यथा कल नगा साधु कॉलेज में दाखिला ले लेंगे और आवश्यक धार्मिक आचरण का हवाला देते हुए कक्षाओं में बगैर कपड़े पहने शामिल होंगे।


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Content Writer

Seema Sharma

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